नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट 28 जुलाई को बिहार में वोटर लिस्ट के लिए चल रही विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में काउंटर हलफनामा दाखिल किया। ADR का कहना है कि चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसलों का उल्लंघन करती है और मतदाताओं के साथ धोखा है। SC ON BIHAR SIR
ADR ने कोर्ट को बताया कि जिन मतदाताओं ने नामांकन फॉर्म और जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए हैं, उनके नाम 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली मसौदा वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। अगर मतदाता बाद में दावा दायर करते हैं तो इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) उनकी पात्रता की जांच कर सकता है और नाम हटाने के लिए नोटिस जारी कर सकता है। ADR का आरोप है कि एक ERO को 3 लाख से ज्यादा फॉर्मों की जांच का जिम्मा दिया गया है जो इतनी बड़ी संख्या में सही तरीके से जांच करना लगभग असंभव है।
सबसे गंभीर आरोप यह है कि मतदाताओं की सहमति के बिना उनके नामांकन फॉर्म ऑनलाइन अपलोड किए जा रहे हैं। ADR के मुताबिक कई मामलों में मतदाताओं को फोन पर रसीद मिल रही है जबकि उन्होंने न तो कोई फॉर्म भरा और न ही बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से मुलाकात की। यह सब चुनाव आयोग के अवास्तविक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। ADR ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की मांग की है ताकि मतदाताओं के अधिकारों का हनन न हो।