द लेंस डेस्क। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि फ्रांस फलस्तीन ( palestine country ) को एक स्वतंत्र राज्य या एक देश के रूप में के रूप में मान्यता देगा। यह फैसला गजा में भुखमरी और मानवीय संकट को लेकर बढ़ते वैश्विक गुस्से के बीच आया है। मैक्रों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे इसकी औपचारिक घोषणा सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में करेंगे और उनका मुख्य उद्देश्य गजा में युद्ध रोकना और आम लोगों की जान बचाना है। लेकिन इस फैसले से इजरायल पर कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा और अन्य देश भी ऐसा करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
इजरायल और फलस्तीन की प्रतिक्रिया
फ्रांस का यह कदम पश्चिमी देशों में सबसे बड़ा माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले 140 से ज्यादा देश जिसमें यूरोप के दर्जन भर से अधिक राष्ट्र शामिल हैं, पहले ही फलस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। फलस्तीन के लोग पश्चिमी तट, पूर्वी जेरूसलम और गजा में एक स्वतंत्र देश चाहते हैं, जो 1967 के मध्य पूर्व युद्ध में इजरायल ने कब्जे में लिया था। हालांकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले की कड़ी निंदा की और कहा कि यह आतंकवाद को बढ़ावा देगा साथ ही गजा की तरह एक और ईरानी समर्थित ठिकाना बन सकता है। दूसरी ओर फलस्तीन अथॉरिटी ने मैक्रों का स्वागत करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन बताया।
गजा संकट और अंतरराष्ट्रीय दबाव
गजा में हालात बद से बदतर हो रहे हैं दूसरी तरफ इजरायल ने सहायता भेजने पर पाबंदी और सैकड़ों फलस्तीनी लोगों की हत्या की निंदा की जा रही है। फ्रांस ने इस सप्ताह यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इजरायल की इन कार्रवाइयों की आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र ने भी गजा में इजरायली हमलों और राहत केंद्रों पर निशाना साधने की निंदा की है जबकि इजरायल ने इन हालात के लिए हमास को जिम्मेदार ठहराया। शुक्रवार को फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के नेता आपात बैठक करेंगे जिसमें गजा में भोजन पहुंचाने और युद्ध रोकने पर चर्चा होगी। ब्रिटिश पीएम कीर स्टारमर ने कहा कि फलस्तीनी लोगों का राज्य बनना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है और युद्धविराम इसके लिए जरूरी है।