[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
तेलंगाना पंचायत चुनाव: कांग्रेस समर्थित उम्‍मीदवारों की भारी जीत, जानें BRS और BJP का क्‍या है हाल?
MNREGA हुई अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’, जानिए कैबिनेट ने किए और क्‍या बदलाव ?
उत्तर भारत में ठंड का कहर, बर्फबारी और शीतलहर जारी, दिल्ली में ठंड और प्रदूषण की दोहरी मार
इंडिगो क्राइसिस के बाद DGCA ने लिया एक्शन, अपने ही चार इंस्पेक्टर्स को किया बर्खास्त,जानिये क्या थी वजह
ट्रैवल कारोबारी ने इंडिगो की मनमानी की धज्जियां उधेड़ी
287 ड्रोन मार गिराने का रूस का दावा, यूक्रेन कहा- हमने रक्षात्मक कार्रवाई की
छत्तीसगढ़ सरकार को हाई कोर्ट के नोटिस के बाद NEET PG मेडिकल काउंसलिंग स्थगित
विवेकानंद विद्यापीठ में मां सारदा देवी जयंती समारोह कल से
मुखर्जी संग जिन्ना की तस्‍वीर पोस्‍ट कर आजाद का BJP-RSS पर हमला
धान खरीदी में अव्यवस्था के खिलाफ बस्तर के आदिवासी किसान सड़क पर
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस रिपोर्ट

बिहार को औद्योगिक हब बनाने की हकीकत क्या है?

राहुल कुमार गौरव
राहुल कुमार गौरव
Byराहुल कुमार गौरव
Follow:
Published: July 25, 2025 12:51 PM
Last updated: July 25, 2025 11:36 PM
Share
SIR in Bihar
SHARE

BIHAR KATHA. बिहार में बेरोजगारी, गरीबी और पलायन चिरस्थायी चुनावी मुद्दे रहे हैं। इन सारे मुद्दों की जड़ उद्योग है। जब तक उद्योग के माध्यम से रोजगार के नए अवसर पैदा नहीं होंगे, तब तक पलायन, बेरोजगारी और गरीबी पर रोक लगाना संभव नहीं है। इस साल भी अक्टूबर-नवंबर में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, प्रमुख दलों ने फिर से इन मुद्दों को अपने चुनाव प्रचार अभियान का हिस्सा बनाना शुरू कर दिया है। 20 साल से ज्यादा समय से सरकार में रहने के बावजूद राज्य की एनडीए सरकार चुनाव से पहले तमाम दावे कर रही है कि दो जून की रोटी के लिए किसी को बाहर जाने की जरूरत नहीं है, किंतु हकीकत सरकारी दावों के बिल्कुल उलट है। नए उद्योग-धंधे लगे नहीं हैं, पुराने की स्थिति खस्ताहाल हो चुकी है। आज हम इसकी विस्तृत पड़ताल करते हैं।

बिहार उद्योग विभाग के मुताबिक अभी राज्य के कई जिलों में ‘बिहार आइडिया फेस्टिवल 2025’ का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले देश के कई शहरों में नियमित अंतराल पर एनआरआई मीट एवं इन्वेस्टर मीट का आयोजन होता रहा है। बिहार सरकार के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि ब्रिटानिया, पेप्सिको, टाटा समूह और मेदांता जैसी दिग्गज कंपनियों ने बिहार में उद्योग के लिए निवेश किया है। कई स्थानीय युवा भी स्टार्टअप के जरिए उद्यमिता की ओर बढ़ रहे हैं। इस सबके बावजूद मजदूर राज्य के तौर पर पहचान रखने वाले बिहार के लिए उद्योग एक ख्वाब की तरह है। 

📍 इंडस्ट्री हाउस, पटना
🗓️ 19 जुलाई 2025

बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा आयोजित “बिहार राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का विकास – अवसर एवं चुनौतियाँ” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सह प्रदर्शनी के समापन सत्र में सम्मिलित हुआ।

इस दौरान बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के… pic.twitter.com/mKdQIor36o

— Nitish Mishra (@mishranitish) July 19, 2025

बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत लाभार्थी को चेक देते उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा


बिहार आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013-14 में 3,132 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में परिचालन कारखानों की संख्या घटकर 2,782 हो गई है। यह राष्ट्रीय स्तर की औद्योगिक वृद्धि के उलट है। 2013-14 में 1,85,690 के मुकाबले 2022-23 में देश भर में 2,06,523 कारखाने चल रहे हैं। विडंबना यह है कि देश में कुल परिचालन औद्योगिक इकाइयों का सिर्फ 1.34% हिस्सा बिहार में है। 

‘उद्घाटन‘ एवं ‘शिलान्यास‘ की संस्कृति से लोगों का भरोसा उठा

EY और TCS जैसी बड़ी कंपनी के साथ काम कर चुके अतुल कुमार का सपना बिहार में कंपनी खोलने का है। वह इस पर काम भी कर रहे हैं। अतुल बताते हैं कि, “मीडिया के माध्यम से जितना यहां उद्योग के बारे में पता चल रहा है, समझ में आ रहा है कि यहां का सिस्टम ही नए निवेशकों के आने में बड़ी रुकावट है। बिहार में ‘उद्घाटन’ एवं ‘शिलान्यास’ की संस्कृति पर आम लोगों का विश्वास उठ चुका है। बिहार में एक सरकारी कागजात बनाने के लिए अधिकारी खुलेआम रिश्वत मांगते हैं।” रिश्वत लेने के आधार पर इंडिया करप्शन सर्वे रिपोर्ट 2019 के मुताबिक बिहार दूसरे नंबर पर है।

सरकारी प्रयास से हाजीपुर स्थित इंडस्ट्रीयल एरिया में मार्च, 2023 को पांच जीविका दादियों के साथ केला रेशा उत्पादन शुरू किया गया

बिहार के नामचीन ब्लॉगर और लेखक रंजन ऋतुराज बताते है कि,” 1990 के बाद से बिहार से पलायन करने वाले लोग वापस नहीं लौट रहे। मुजफ्फरपुर की बेला इंडस्ट्रियल बेल्ट में छोटे उद्योग लगने शुरू हुए, तो वहां पर बनियान बनाने वाली एक स्थानीय फैक्ट्री शुरू हुई,लेकिन बस कुछ सालों में ही सब बर्बाद हो गया। फतुहा में विजय सुपर स्कूटर और बिहार की राजधानी पटना से 80 किलोमीटर दूर मढ़ौरा में ‘मॉर्टन’ चॉकलेट की कंपनी थी। रोहतास जिले का डालमियानगर 90 से पहले शक्कर, कागज, वनस्पति तेल, सीमेंट, रसायन और एस्बेस्टस उद्योग के लिए विख्यात था। सब बर्बाद हो चुका है। अब जब कहा जा रहा है कि हम विकास कर रहे हैं, तो सारे कारखाने खत्म हो गए हैं।” आंकड़े के मुताबिक नौकरी के लिए दूसरे राज्यों में जाने वाले लोगों के मामले में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है, और देश में बहुआयामी गरीबी दर सबसे अधिक बिहार राज्य में है।

पटना एलएन मिश्रा इंस्टीट्यूट से पढ़ाई कर चुके विक्की मिश्रा पुणे की नामचीन कंपनी में काम कर रहे हैं। वह कहते  हैं, “बिहार में क्राइम की स्थिति पहले जैसी है। नहीं भी हो, तो मीडिया जो दिखाता है, वही लोग देख रहे हैं। कोई ऐसे राज्य में इन्वेस्ट करना क्यों चाहेगा, जो क्राइम और भ्रष्टाचार के तौर पर जाना जा रहा हो।” बिहार में पिछले 19 दिन में 60 हत्याएं हुई हैं, जिसमें अधिकतर व्यापारी ही हैं।

रिटायर्ड सरकारी अधिकारी अरुण कुमार झा कहते हैं, ” आजादी के वक्त  बिहार में लगभग 33 चीनी मिलें हुआ करती थीं, लेकिन आज लगभग 10 चीनी मिलें ही ठीक हैं। ये वे मिलें हैं, जिनका स्वामित्व सरकार के पास नहीं, बल्कि प्राइवेट कंपनियों के पास है। देश के कुल चीनी उत्पादन में 40 फीसदी का योगदान देने वाला बिहार बमुश्किल चार फीसदी का योगदान दे रहा है।”

सरकार का प्रयास 

सरकारी प्रयास से हाजीपुर स्थित इंडस्ट्रीयल एरिया में मार्च, 2023 को पांच जीविका दादियों के साथ केला रेशा उत्पादन शुरू किया गया

बिहार सरकार के उद्योग विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 30 सितंबर 2023 तक 4713 करोड़ रुपये की लागत से 524 नई कंपनियां स्थापित हुई हैं। मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक उद्यमी योजना के तहत 2055 लाभार्थियों को 81.13 करोड़ रुपए दिए गए हैं। 

बिहार सरकार का उद्योग में प्रयास का असर जीविका, टेक्सटाइल और लेदर पॉलिसी और लघु एवं सूक्ष्म उद्योग में देखने को मिल रहा है। स्थानीय पत्रकार परमवीर सिंह कहते हैं कि, “बिहार में टेक्सटाइल और लेदर उद्योगों में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। जिस पर सरकार काम भी कर रही है। जीविका के माध्यम से गांव में कई सूक्ष्म उद्योग शुरू की गई है। एक सच यह भी है कि राज्य में सरकारी व्यवस्था में कमियां, माफियागिरी और बुनियादी ढांचे का अभाव निवेशकों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।” बिहार निर्यात प्रोत्साहन नीति 2024 में भी कपड़ा और टेक्सटाइल व्यवसाय को महत्वपूर्ण भूमिका में रखा गया है।

बिहार के मुजफ्फरपुर में देश की पहली सेमीकंडक्टर कंपनी ‘सुरेश चिप्स एंड सेमीकंडक्टर प्राइवेट लिमिटेड’ के मालिक चंदन राज ने अक्टूबर 2024 में  सोशल मीडिया पर लिखा “बिहार में सेमीकंडक्टर प्लांट चलाना मेरे लिए बेहद मुश्किल हो रहा है। कंपनी शुरू करना मेरे जीवन का सबसे बुरा फैसला था।” हालांकि, बाद में यह ट्वीट हटा दिया गया। इस ट्वीट को उन्होंने क्यों हटाया, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

2020 के विधानसभा चुनावी रैली के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि, “जो राज्य समुद्र के किनारे हैं, वहीं बड़े उद्योग लग पाते हैं।”  बिहार के अधिकांश लोग नौकरी की तलाश में दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़,पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जाते है। यह राज्य भी समुद्र से घिरा हुआ नहीं है। बिहार ने भी मालवहन को आसान बनाने के लिए रेल और सड़क मार्ग की सुविधाओं का पर्याप्त इस्तेमाल नहीं किया है। उस वक्त मुख्यमंत्री के इस बयान की काफी आलोचना की गई थी। 

वर्षों से खुलने का इंतजार कर रही सहरसा की बैजनाथ पेपर मिल

बिहार के लोगों को चुनाव में इस बात पर सवाल खड़ा करना चाहिए?

ब्लॉगर रंजन ऋतुराज कहते हैं,”आईटी और कंपनी तो अभी बिहार के लिए सपना है। अभी सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योग बिहार की सबसे बड़ी जरूरत है। इसके लिए कई चीजों की जरूरत है और उसमें राज्य में व्यापारिक माहौल के साथ-साथ बैंकों का सीडी रेशियो भी बढ़ना जरूरी है। जबकि आंकड़े के अनुसार पिछले 35 साल में क्रेडिट डिपाजिट रेशियो में कोई सुधार नहीं है। यानी की बिहार के लोग जितना पैसा बैंकों में डालते हैं उसका मात्र 40 % ही वापस ऋण में जाता है,जबकि विकसित राज्यों में यह बिहार का दोगुना है। जब तक व्यापारी या उद्यमी को सुलभता से धन मुहैया नहीं होगा,तब तक वो कैसे व्यापार या उद्यम करेगा ? 

युवा हल्ला बोल से जुड़े प्रशांत बताते हैं कि, “2024 के लोकसभा चुनाव के बाद गया जी से लोकसभा सांसद जीतन राम। मांझी को मध्यम,लघु और सूक्ष्म उद्योग का मंत्रालय मिला है। चिराग जी को फूड प्रोसेसिंग भी मिला है। ललन सिंह को दुग्ध उत्पादन और मत्स्य मिला है। गिरिराज सिंह को टेक्सटाइल उद्योग मिला है। बिहार से राजनीति कर रहे यह केन्द्रीय मंत्री कैसे बिहार को आगे ले जा रहे हैं? कृषि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट कितना लगाया गया है? बिहार के लोगों को चुनाव में इस बात पर सवाल खड़ा करना चाहिए?”

बिहार सरकार के द्वारा उद्योग विभाग, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग उद्यमियों  के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना संचालित कर रहे हैं। इस योजना के माध्यम से सरकार की वित्तीय सहायता से कुछ उद्यमियों ने अपना काम अवश्य ही शुरू किया है, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है। सरकारें बदलती रहीं, उद्योगों की स्थिति में सुधार के दावे किए जाते रहे, किंतु यथार्थ में जो उद्योग पहले से यहां थे उनकी भी स्थिति दिन-प्रतिदिन खस्ताहाल होती गई और अंतत: वे बंदी की कगार पर पहुंच गए। हालांकि सरकारी प्रयास का असर कुछ इस तरह देखने को मिल रहा है कि बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 में 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए। यह 2023 के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा है। 

बंद पड़ी बिहार की चीनी मिल


TAGGED:bihar kathaBihar NewsINDUSTRIES IN BIHARNITISH MISHRATop_News
Previous Article जातीय जनगणना के पहले कांग्रेस के ओबीसी नेताओं का बड़ा जमावड़ा
Next Article Khadan Jansunwai 5 गांव प्रभावित करने वाले खदान की जनसुनवाई का ऐसा विरोध की 400 की फोर्स भी पस्त, नहीं हो सकी सुनवाई
Lens poster

Popular Posts

अमन की सौगात दीजिए

भारतीय जनता पार्टी ईद के मौके पर देश भर में 32 लाख मुस्लिमों को सौगात-ए-मोदी…

By The Lens Desk

छत्तीसगढ़ में ABVP की राष्ट्रीय कार्यकारी बैठक संपन्न, छात्र संघ चुनाव समेत कई जरूरी विषयों पर हुआ मंथन

रायपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी ABVP की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक रायपुर में…

By नितिन मिश्रा

ई–रिक्शा जनता के साथ-साथ प्रशासन के लिए भी सिर दर्द, परिवहन विभाग ने ली अधिकारियों की मीटिंग

रायपुर। ई - रिक्शा और ऑटो के कारण उत्पन्न यातायात समस्याओं, उनके समाधान से जुड़े…

By नितिन मिश्रा

You Might Also Like

Chaitanya Baghel
छत्तीसगढ़

पूर्व सीएम के बेटे को राहत नहीं, ईडी कोर्ट ने चैतन्य बघेल की जमानत अर्जी की खारिज

By दानिश अनवर
MNREGA Name Change
देश

MNREGA हुई अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’, जानिए कैबिनेट ने किए और क्‍या बदलाव ?

By Lens News Network
IAS Transfer
छत्तीसगढ़

नए मुख्य सचिव के आते ही जनसंपर्क सचिव बदला, रेणु पिल्ले माशिमं और सुब्रत साहू राजस्व मंडल के अध्यक्ष

By दानिश अनवर
अन्‍य राज्‍य

मध्य प्रदेश में दर्दनाक हादसा, खंडवा में दुर्गा विसर्जन के दौरान तालाब में डूबी ट्रैक्टर-ट्राली, 12 की मौत

By पूनम ऋतु सेन

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?