पटना। बिहार में कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज भी हो गईं हैI एक ओर सत्ता पक्ष जहां अपने काम को गिना रहा है वहीं विपक्ष उसे राज्य के विकास के मुद्दों पर घेरने का काम कर रहा है I लेकिन इसी बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने माहौल को गर्म कर दिया है I CAG की रिपोर्ट में ये बताया गया है कि बिहार की नीतीश सरकार 70,877 करोड़ रुपए का कोई हिसाब-किताब नहीं दे पाई हैI कैग ने यह साफ कहा है कि बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) के यह माना जा सकता है कि इस राशि का गबन कर लिया गया हैI BIHAR CAG REPORT
क्या कहती है विधानसभा में पेश हुई CAG की रिपोर्ट
दरअसल गुरुवार को राज्य विधानसभा में इस रिपोर्ट को पेश किया गया था और इस रिपोर्ट के पेश होते ही विपक्ष इसे लेकर सरकार पर हमलावर हो गई। इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि शर्त के बावजूद 31 मार्च, 2024 तक महालेखाकार बिहार को 70,877.61 करोड़ रुपये के 49,649 बकाया उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) नहीं मिले। यह नियमों का सीधे तौर पर उल्लंघन हैं क्योंकि किसी भी योजना की राशि जारी होने के बाद तय समय सीमा में UC देना अनिवार्य होता है।
किस विभाग में कितना हिसाब अभी बाकी ?
CAG की रिपोर्ट के मुताबिक उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) ना जमा करने वाले विभागों में सबसे आगे पंचायती राज विभाग (28,154.10 करोड़ रुपए) फिर शिक्षा विभाग (12,623.67 करोड़ रुपये), शहरी विकास (11,065.50 करोड़ रुपए), ग्रामीण विकास (7,800.48 करोड़ रुपए) और कृषि (2,107.63 करोड़ रुपए) शामिल है। इन विभागों द्वारा अपने हिस्से के पैसों का हिसाब नहीं दिया गया।
पैसों की हेराफेरी और गबन का शक
CAG की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि UC नहीं प्राप्त होने की स्थिति में यह सुनिश्चित भी नहीं किया जा सकता है जो राशि वितरित हुई है वह तय काम के लिए हुआ है। साथ ही धन का हेराफेरी, दुरुपयोग और गबन का भी जोखिम पैदा करती है। क्योंकि जिस काम के लिए पैसा लिया गया उसके खर्च का कोई प्रमाण नहीं है। CAG की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि बिहार सरकार में यह कोई नई समस्या नहीं बल्कि लंबे समय से चली आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 70,877.61 करोड़ रुपए में से 14,452.38 करोड़ रुपए की राशि वित्त वर्ष 2016-17 या उससे भी पहले की है।
बजट का 20% भी नहीं हुआ खर्च
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि वितीय वर्ष 2023-24 में राज्य का कुल बजट 3.26 लाख करोड़ था लेकिन सरकार इसका 79.92% यानी केवल 2.60 लाख करोड़ रुपए ही खर्च कर सकी। इसके अलावा बची हुई राशि 65,512.05 करोड़ में से भी राज्य द्वारा केवल 36.44% यानी 23,875.55 करोड़ भी सरेंडर किए. कैग कि रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 में राज्य की वित्तीय देनदारियां बीते वर्ष के मुकाबले 12.34% बढ़ी। इनमें से 59.26% देनदारियां आंतरिक ऋण (Internal Debt) की हैं। यानी की आंतरिक ऋण की शुद्ध देनदारी ₹28,107.06 करोड़ (13.51%) की वृद्धि के साथ बढ़ी है.