आवेेश तिवारी
नई दिल्ली। क्या आप जान्हवी, राजशेखर, डॉ. भानुमति, डॉ. स्वयंज्योति, वैभव, वसीम हुसैन आदि को जानते हैं? यकीनन इन्हें आप नहीं जानते होंगे। लेकिन, एक बात आपको चौंकाएगी, जब मैं कहूंगा कि यह सभी लोग अंतरिक्ष यात्रा पर जा रहे हैं। यह बात सुनकर तो जरूर आपका दिमाग घूमेगा कि इतने भारतीय एक साथ! जी हां, नासा की हिट लिस्ट में शामिल एक फर्जी कंपनी, जिसका नाम टाइटन स्पेस इंडस्ट्रीज (Titan Space Industries) है हिंदुस्तानियों को एस्ट्रोनॉट बनाने का दावा कर रही है। कंपनी का खुला ऑफर है कि जो कोई भी उसको 25 मिलियन डॉलर यानी कि करीब 215 करोड़ रुपए देगा उसे कंपनी अंतरिक्ष की सैर कराएगी। गजब यह है कि देश में हिंदी अंग्रेजी के बड़े मीडिया हाउसेज, टीवी चैनल और न्यूज एजेंसीज बिना किसी तफ्तीश के अंतरिक्ष यात्रा के दावों पर लंबी चौड़ी खबर छाप रहे हैं। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि नासा के पिछले भर्ती अभियान में 12 हजार आवेदन आए थे, जिनमें से 10 को चुना गया था।
छत्तीसगढ़ के कथित एस्ट्रोनॉट ने माना, नासा से मतलब नहीं

thelens.in से बातचीत में छत्तीसगढ़ के रहने वाले और यूके में मौजूद एनालॉग एस्ट्रोनॉट राजशेखर ने माना कि टाइटन के इस अभियान का नासा से कोई मतलब नहीं है। एनालॉग एस्ट्रोनॉट उन्हें कहते हैं जो धरती पर रहकर किसी स्पेस ट्रेनिंग प्रोग्राम में अंतरिक्ष के अनुभवों को सीखते हैं। अमेरिकन बच्चों और युवाओं में यह काफी लोकप्रिय है। राजशेखर ने साफ तौर पर इस अभियान में शामिल होने का दावा करने वाली कुछ महिलाओं को फर्जी बताया।
राजशेखर ने यह भी माना कि वह केवल एनालॉग एस्ट्रोनॉट भर नहीं है बल्कि टाइटन स्पेस इंडस्ट्रीज के आर. एन. डी. का हिस्सा है। उनका कहना था कि मुझे इसके बदले में कोई वेतन या पारिश्रमिक नहीं मिलता। राजशेखर से पूरी बातचीत का ब्यौरा हम इस स्टोरी के फॉलोअप में आपको देंगे।
नासा ने कैसे खोली पोल?
सीधे चलते हैं पिछले महीने की 5 जून को, जब ब्राजील की 23 वर्षीय लेसा पेक्सोटो ने इंस्टाग्राम पर खुलासा किया कि 2022 में नासा अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें चंद्रमा और मंगल ग्रह के मिशन के लिए चुना गया है।

मिनास गेरैस की मूल निवासी लेसा ने अपनी पोस्ट में कहा कि वह 2029 में टाइटन स्पेस की पहली उड़ान में शामिल होंगी, जिसका नेतृत्व नासा के अनुभवी अंतरिक्ष यात्री बिल मैकआर्थर करेंगे। यह बिल्कुल उसी लाइन पर किया गया दावा था जो दावा जून के महीने में आंध्र प्रदेश की जान्हवी और अब छत्तीसगढ़ के राजशेखर पैरी ने किया है।
पेक्सोटो ने पोस्ट में लिखा, ‘अभी तक यह बात पूरी तरह से मेरे मन में नहीं आई है, लेकिन मैं अब तक की अपनी पूरी यात्रा के लिए तथा उन सभी लोगों के प्रति बहुत आभारी हूं जो इसका हिस्सा रहे हैं और हैं।’ पोस्ट के साथ उन्होंने नासा की शर्ट में ली गई अपनी एक तस्वीर भी पोस्ट की, जिसमें पृष्ठभूमि में न्यूयॉर्क शहर का क्षितिज दिखाई दे रही है।
पेक्सोटो ने कहा, ‘मुझे एक कैरियर अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए चुना गया है, जो निजी अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानों पर काम करेगा, और भविष्य में चंद्रमा और मंगल ग्रह के लिए मानवयुक्त मिशनों के लिए काम करेगा,’
उन्होंने आगे कहा, “अंतरिक्ष अन्वेषण के ऐसे निर्णायक युग में, जो मानवता के इतिहास को हमेशा के लिए बदल देगा, एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में ब्राज़ील का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है।
फिर क्या था पेक्सोटो के इन दावों की पड़ताल ब्रिटिश अख़बार डेली मेल और सन ने शुरू की तो उन्हें नासा की ओर से जवाब मिला कि ‘हालांकि हम आम तौर पर कर्मियों पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन यह महिला नासा की कर्मचारी, प्रमुख अन्वेषक या अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार नहीं है।’ उन्होंने कहा कि महिला ‘छात्रों के लिए एक कार्यशाला’ में शामिल थी, जो ‘नासा में इंटर्नशिप या नौकरी नहीं है।’
जाह्नवी का भी चौंकाने वाला दावा

इसी साल जून माह में आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले की जाह्नवी डांगेती को अमेरिका स्थित प्राइवेट स्पेस एजेंसी टाइटन स्पेस इंडस्ट्रीज (टीएसआई) के 2029 अंतरिक्ष मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में ख़ुद को चुनें जाने का दावा किया।
एक सोशल मीडिया पोस्ट में जाह्नवी ने कहा कि उन्हें टाइटन्स स्पेस की 2025 की उद्घाटन कक्षा के लिए अंतरिक्ष यात्री के उम्मीदवार के रूप में चुना गया है। यहां वो लगातार 3 साल अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए ट्रेनिंग करेंगी। जान्हवी का कहना है कि उसने एक्सा इंटरनेशनल एयर और स्पेस कार्यक्रम जो नासा के सहयोग से चलाया जाता है उसमे शामिल होने वाली पहली भारतीय रही है।
‘द लेंस’ ने अपनी तहक़ीक़ात में पाया कि जान्हवी नासा से जिस प्रशिक्षण की बात कर रही वह महज पाँच दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसमें कोई भी हिस्सा ले सकता है और अंतरिक्ष यात्री की तरह ट्रेनिंग का लुत्फ उठा सकता है। इसमें नासा की भूमिका केवल यह है कि उनका एक प्रतिनिधि मौजूद रहता है।
टाइटन की संदिग्ध भूमिका और धमकियां

पूरे मामले में टाइटन के सीईओ नील की भूमिका सर्वाधिक संदिग्ध है। दिलचस्प यह है कि यह व्यक्ति टाइटन के पहले कतर की एक हेल्थकेयर कंपनी एलबीडीसी इंटरनेशनल होल्डिंग में काम किया करता था जो मरीजों का डाटा मैनेजमेंट करती है। द लेंस को जानकारी मिली है कि कतर में काम करते वक्त नील की कई हिंदुस्तानियों से मित्रता हो गई। ग़ज़ब यह है कि आजकल नील हिंदुस्तान के टीवी चैनलों पर अतिथि प्रवक्ता बनकर दिखने लगा, जब शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा पर गए। हाल में उन्हें कई मुख्यधारा के टीवी चैनलों पर देखा गया।
पैसे की खुली डिमांड, धमकियां

टाइटन का दावा है कि वह 2030 तक एक हज़ार से लेकर दो हज़ार ऐसे लोगों को तैयार करेगा जो अंतरिक्ष उड़ान के लिए 25 मिलियन डॉलर की रकम 6 किस्तों में देंगे और इस तरह से पैसा इकट्ठा करके टाइटन एस्टॉर्नाट कार्यक्रम को सफल बनाया जाएगा।
नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के मुख्य अभियंता मोहम्मद अल अबिदाद समेत तमाम लोगों ने जब टाइटंस स्पेस इंडस्ट्रीज की वैधता पर सवाल खड़े किए तो कंपनी उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की धमकी देने लगी द लेंस के पास एक ऐसा ही पत्र है जो कंपनी के सीईओ ने अपनी लिंक्डइन प्रोफाइल से महज 24 घंटे पहले जारी किया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
बिना आधारभूत सुविधा के अंतरिक्ष उड़ान असंभव है। टाइटन की वेबसाइट पर जाएंगे तो आप ढेर सारी एआई जनरेटेड विजुअल्स देखेंगे कंपनी का दावा है कि इस मिशन की कमान एक सेवानिवृत्त नासा अंतरिक्ष यात्री के हाथों में होगी, जो 2029 तक 78 साल के हो जाएंगे। लेकिन, कंपनी के पास इनमें से कुछ भी नहीं है जो अंतरिक्ष उड़ान के लिए जरूरी होता है – एक प्रक्षेपण यान, एक उड़ान-सिद्ध अंतरिक्ष यान, कोई भी सार्वजनिक तकनीकी दस्तावेजीकरण, एफएए लाइसेंसिंग, जमीनी बुनियादी ढांचा, विश्वसनीय संस्थानों से प्रमाणित वित्त पोषण या समर्थन होना जरूरी है।
कैसे चलता है असली अंतरिक्ष मिशन?
इसके बजाय, हम जो देख रहे हैं वो है ढेर सारी मार्केटिंग की बेकार चीज़ें। भड़कीले वीडियो। घटिया स्रोतों वाले मीडिया लेख। CGI एनिमेशन। और लोग ऑनलाइन अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने जाने की शेखी ऐसे बघार रहे हैं जैसे कोई स्कॉलरशिप हो।
असली एयरोस्पेस ऐसे नहीं चलता। असली मिशन दशकों लग जाते हैं। असली टीमें डिज़ाइन समीक्षा, सुरक्षा बोर्ड, पर्यावरण परीक्षण, नियामक ऑडिट और उड़ान की तैयारी की समीक्षा से गुज़रती हैं। आप इन चरणों को सिर्फ़ इसलिए नहीं छोड़ सकते क्योंकि आपने एक फ़्लाइट सूट ख़रीदा है या किसी नकली कैप्सूल के सामने कुछ तस्वीरें खींची हैं। आईआईटी दिल्ली के एक प्रोफेसर कहते हैं कि
टाइटन्स स्पेस चार साल में वो कर दिखाने का दावा कर रहा है जो करने में स्पेस एक्स और नासा को सैकड़ों परीक्षण उड़ानों, अरबों डॉलर के निवेश और हज़ारों इंजीनियरों की मेहनत के बाद एक दशक से ज्यादा समय लगा। नासा के अनुबंधों और 100 से ज्यादा सालों के एयरोस्पेस अनुभव के बावजूद, बोइंग भी स्टारलाइनर को भरोसेमंद उड़ान नहीं दे पा रही है। क्या आपको लगता है कि बिना किसी प्रोटोटाइप वाली एक रहस्यमयी कंपनी यूं ही लोगों को कक्षा में भेज देगी?