अमरावती से thelens.in के लिए वरिष्ठ पत्रकार दिनेश आकुला की रिपोर्ट

अमरावती। आंध्र प्रदेश में वाईएस जगन मोहन रेड्डी एक बार फिर विवादों के बीच खड़े हैं। इस बार मामला एक बड़े शराब घोटाले का है, जिसकी चार्जशीट में उनके इर्द-गिर्द घूमती हुई एक पूरी कहानी दर्ज है। एक 305 पन्नों की रिपोर्ट बताती है कि उनके कार्यकाल में शराब कंपनियों से हर महीने करीब ₹60 करोड़ की वसूली होती थी। यह रकम शेल कंपनियों और वफादार लोगों से होकर सीधे जगन तक पहुंचती थी। केसिरेड्डी राजशेखर रेड्डी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है, जिनके जरिए पैसा इकट्ठा होता और फिर वरिष्ठ नेताओं विजय साई रेड्डी, मिथुन रेड्डी और बालाजी गोविंदप्पा के जरिए ऊपर भेजा जाता।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पूरी शराब नीति को इस तरह बदला गया था कि वसूली आसान हो सके। फाइलें अटकाकर, सिस्टम से ईमानदार अफसर हटाकर, अपने लोग बैठाकर और नकद या सोने में रिश्वत लेकर मंजूरियां दी जाती थीं। जिन कंपनियों ने पैसा देने से मना किया, उनकी मंजूरी लटकाकर रखी गई।
पिछले हफ्ते इस जांच ने बड़ा मोड़ लिया जब सांसद पीवी मिथुन रेड्डी को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। उनके साथ 11 और लोग जेल भेजे गए। इनमें जगन के पूर्व आईटी सलाहकार, मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी और एक सीमेंट कंपनी के डायरेक्टर भी शामिल हैं। ईडी ने भी इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है। जांचकर्ताओं का कहना है कि इस रकम से विदेशों में जमीनें, सोना और महंगे सामान खरीदे गए और चुनाव अभियानों में भी खर्च किया गया।
यह पूरा मामला दिल्ली शराब घोटाले से मिलता-जुलता लगता है, जहां पहले गवाहों और सहयोगियों को दबोचा गया और फिर मुख्य चेहरे तक जांच पहुंची। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर पुख्ता सबूत न मिले तो गिरफ्तारी उलटी भी पड़ सकती है। कुछ का कहना है कि अगर जगन को गिरफ्तार करने के बाद छोड़ना पड़ा, तो इसका राजनीतिक फायदा उन्हीं को होगा।
जगन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए एक्स पर लिखा कि यह टीडीपी की बनाई हुई कहानी है। उनका दावा है कि मिथुन रेड्डी की गिरफ्तारी गवाहों पर दबाव डालकर और बयान उगलवाकर की गई। वाईएसआरसीपी के नेताओं ने भी यही रुख अपनाते हुए कहा कि गवाहों से जबरन दस्तखत कराए गए। वहीं कांग्रेस के मणिकम टैगोर का आरोप है कि असली मास्टरमाइंड जगन और उनकी पत्नी भारती हैं, मिथुन रेड्डी केवल मोहरा हैं।
सूत्र बताते हैं कि एसआईटी जल्दी ही जगन को समन भेज सकती है। अगर वे सहयोग न करें या सबूत और मजबूत हो जाएं, तो गिरफ्तारी भी हो सकती है। वैसे भी जगन पहले जेल का सामना कर चुके हैं। 2012 में अनुपातहीन संपत्ति के मामले में एक साल से ज्यादा समय जेल में रह चुके हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि अब वो मुख्यमंत्री नहीं हैं, सत्ता उनके हाथ में नहीं है, ईडी उनके पीछे लगी है और उनके कई करीबी पहले ही जेल में हैं।
हालात कितने भी कठिन क्यों न दिखें, मामला पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। राजनीति, कानून और जनता की राय अब तय करेगी कि कहानी किस मोड़ पर जाएगी। जैसे कांग्रेस नेता टैगोर ने कहा – असली सवाल यह नहीं कि अगला कौन गिरेगा, असली सवाल यह है कि इस लड़ाई का अंत किसके हक में होगा।