नेशनल ब्यूरो। लखनऊ
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन पर बिजली कर्मचारियों के साथ मनमाने ढंग से उत्पीड़न का आरोप लगाया है। समिति का कहना है कि निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए ये कार्रवाइयां की जा रही हैं। समिति ने चेतावनी दी है कि अगर ये उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयां बंद नहीं हुईं, तो 22 जुलाई को पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के केंद्रीय पदाधिकारियों ने आज यहाँ बताया कि बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता विगत आठ माह से शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं।
इस दौरान बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश के कई प्रमुख जनपदों में बिजली पंचायत और बिजली महापंचायत आयोजित कीं, जिनमें बिजली कर्मियों के साथ किसानों और उपभोक्ताओं ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन को व्यापक जन आंदोलन बनते देखकर पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन बौखला गया है।
बिजली पैदा करने वालों के घर स्मार्ट मीटर
बौखलाए पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने बिजली कर्मियों का मनोबल तोड़ने के लिए मनमाने ढंग से उत्पीड़न की कार्यवाहियाँ प्रारंभ कर दीं। सबसे ताज़ा उत्पीड़न की कार्यवाही बिजली कर्मियों के घरों पर रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने हेतु स्मार्ट मीटर लगाने की कार्यवाही है। उल्लेखनीय है कि बिजली कर्मियों को रिफॉर्म एक्ट 1999 और ट्रांसफर स्कीम 2000 के अंतर्गत रियायती बिजली की सुविधा गजट नोटिफिकेशन के ज़रिए मिली है।
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में भी साफ लिखा है कि विद्युत परिषद के समय मिल रही सुविधाएँ किसी भी स्तर पर कमतर नहीं होंगी। स्मार्ट मीटर लगाकर रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने की कोशिश इन सभी अधिनियमों का खुला उल्लंघन है। इससे बिजली कर्मचारी, पेंशनर और उनके परिवार प्रभावित हो रहे हैं। प्रबंधन स्मार्ट मीटर लगाने के लिए परिवारों का उत्पीड़न करने पर उतर आया है।
हज़ारों कर्मचारियों का वेतन रोका
फेशियल अटेंडेंस के नाम पर कई हज़ार बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं का जून माह का वेतन रोक दिया गया है। ये सभी कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर आ रहे हैं और अपना कार्य कर रहे हैं। किंतु जुलाई माह की 18 तारीख हो जाने तक इन कर्मचारियों को जून माह का वेतन भी नहीं दिया गया है।
दूरस्थ इलाकों में कर्मचारियों का ट्रांसफर
इसके पूर्व निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन में अपना कार्य करने के बाद कार्यालय समय के उपरांत सभाओं में भाग लेने वाले कर्मचारियों और महिला कर्मचारियों को चिन्हित कर हज़ारों की तादाद में दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया गया और उन्हें बिना प्रतीक्षा किए तत्काल कार्यमुक्त कर दिया गया। अत्यंत अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों को मनमाने ढंग से छँटनी करके निकाल दिया गया। लगभग 45% संविदा कर्मचारी सेवाओं से बर्खास्त कर दिए गए।
आर-पार की लड़ाई के लिए बिजली कर्मचारी तैयार
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि उत्पीड़न की कार्यवाहियाँ तत्काल बंद न की गईं और बिजली कर्मियों का वेतन जारी न किया गया, स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया बंद न की गई, पदाधिकारियों और सक्रिय कर्मचारियों का स्थानांतरण रद्द न किया गया, संविदा कर्मी बहाल न किए गए तो आगामी 22 जुलाई को सभी बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद भी यदि उत्पीड़न की कार्यवाहियाँ निरस्त न हुईं तो संघर्ष समिति और कड़ा कदम उठाने के लिए बाध्य होगी, जिसकी सारी ज़िम्मेदारी प्रबंधन की होगी।