नेशनल ब्यूरो। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरियाणा के शिकोहपुर में एक भूमि सौदे से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बहनोई और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा ( robert wadra ) के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। ईडी के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि जांच पूरी होने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट में 11 व्यक्तियों या संस्थाओं के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की गई है। इनमें रॉबर्ट वाड्रा और उनकी संस्थाएं, जिनमें मेसर्स स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य शामिल हैं, तथा सत्यानंद याजी और केवल सिंह विर्क की संस्था मेसर्स ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल है, को आरोपी बनाया गया है। हालांकि अदालत ने अभी तक अभियोजन पक्ष की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया है।
धोखे से जमीन खरीदने का है मामला
ईडी ने गुड़गांव पुलिस द्वारा 1 सितंबर, 2018 को दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि वाड्रा ने स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से, झूठी घोषणा के माध्यम से 12 फरवरी, 2008 को गुड़गांव के सेक्टर 83 के शिकोहपुर गांव में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से 3.53 एकड़ जमीन धोखाधड़ी से खरीदी।
43 संपत्तियां कुर्क
ईडी अधिकारी ने बताया, “जांच से पता चला है कि रॉबर्ट वाड्रा ने अपने निजी प्रभाव से ज़मीन पर व्यावसायिक लाइसेंस भी हासिल किया था। जिसके अंतर्गत 16 जुलाई, 2025 को एक अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया गया था, जिसमें रॉबर्ट वाड्रा और उनकी संस्थाओं मेसर्स स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड व अन्य से संबंधित 37.64 करोड़ रुपये की 43 अचल संपत्तियां कुर्क की गई हैं।
वाड्रा ने बताया था साजिश
इस कदम की आलोचना करते हुए इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार देते हुए, वाड्रा ने इस साल अप्रैल में दावा किया था कि उन्हें और राहुल गांधी को चुप कराने की कोशिश की गई थी । उन्होंने कहा था, “जब मैं देश के पक्ष में बोलता हूँ, तो मुझे रोका जाता है, राहुल को संसद में बोलने से रोका जाता है। भाजपा ऐसा कर रही है। यह राजनीतिक प्रतिशोध है।” उन्होंने आगे कहा था, “लोग मुझे प्यार करते हैं और चाहते हैं कि मैं राजनीति में आऊँ… जब मैं राजनीति में आने की इच्छा ज़ाहिर करता हूँ, तो वे मुझे नीचा दिखाने और असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए पुराने मुद्दे उठा देते हैं”।
क्या हैं आरोप
फरवरी 2008 में, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी, जिसे वाड्रा ने 2007 में एक लाख रुपये की पूंजी से शुरू किया था, ने गुड़गांव के मानेसर-शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से लगभग 3.5 एकड़ ज़मीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी। अगले ही दिन प्लॉट का म्यूटेशन स्काईलाइट के पक्ष में हो गया और कथित तौर पर खरीद के 24 घंटे के भीतर ज़मीन का मालिकाना हक वाड्रा को हस्तांतरित कर दिया गया। इस प्रक्रिया में आमतौर पर कम से कम तीन महीने लगते हैं।
हुड्डा के ऊपर भी उठ रही अंगुलियां
एक महीने बाद, हरियाणा सरकार, जिसके मुखिया तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे, ने स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को ज़मीन के अधिकांश हिस्से पर एक आवासीय परियोजना विकसित करने की अनुमति दे दी। इससे ज़मीन की कीमत में तुरंत वृद्धि हुई। जून 2008 में, रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ ने 58 करोड़ रुपये में प्लॉट खरीदने पर सहमति जताई, जिसका मतलब था कि कुछ ही महीनों में वाड्रा की संपत्ति की कीमत लगभग 700 प्रतिशत बढ़ गई। वाड्रा को किश्तों में भुगतान किया गया, और 2012 में ही ज़मीन पर कॉलोनी का लाइसेंस हस्तांतरित करने वाला म्यूटेशन डीएलएफ को हस्तांतरित किया गया।
कांग्रेस करती रही है आरोपों से इनकार
2018 में, 2005 से 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हुड्डा, वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनियों डीएलएफ तथा ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज़ के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। हुड्डा, वाड्रा और कांग्रेस ने हमेशा इस संबंध में किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया है।