मेरठ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश, उपभोक्ता परिषद, उपभोक्ताओं के अन्य संगठनों और किसान संगठनों ने आज मेरठ में विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई के दौरान पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का जोरदार विरोध किया। सभी ने एक स्वर में कहा कि बिजली का निजीकरण किसानों, उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हित में नहीं है। अतः निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल रद्द किया जाए।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश की ओर से सी. पी. सिंह, निखिल नायक, कृष्णा सारस्वत, आलोक त्रिपाठी, प्रगति राजपूत, गुरुदेव, पी. पी. सिंह, कपिल देव गौतम और जितेंद्र कुमार ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार को एक ज्ञापन सौंपकर यह मांग की कि पावर कॉर्पोरेशन द्वारा प्रस्तुत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग मंजूरी न दे और इस प्रस्ताव को तत्काल निरस्त करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करे।
पावर कॉर्पोरेशन द्वारा झूठे आंकड़े प्रस्तुत करने का आरोप
संघर्ष समिति ने अपने ज्ञापन में कहा है कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन घाटे के झूठे आंकड़े देकर निजीकरण करना चाहता है, जो स्वीकार्य नहीं है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन सब्सिडी की धनराशि और सरकारी विभागों के बिजली राजस्व की धनराशि को घाटे में जोड़कर निजीकरण का तर्क दे रहा है, जो सरासर बेइमानी है।
3242 करोड़ के मुनाफे में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम

संघर्ष समिति ने कहा कि वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने 13297 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली की, 5321 करोड़ रुपये की टैरिफ सब्सिडी प्राप्त की, 376 करोड़ रुपये की निजी नलकूप सब्सिडी और 630 करोड़ रुपये की बुनकर सब्सिडी प्राप्त की। इस प्रकार कुल राजस्व 19624 करोड़ रुपये हुआ। पूर्वांचल में राज्य सरकार के सरकारी विभागों पर 4182 करोड़ रुपये का बकाया है। इस धनराशि को जोड़ने के बाद कुल राजस्व 23806 करोड़ रुपये हो जाता है। विद्युत नियामक आयोग को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने बताया कि उसका कुल खर्च 20564 करोड़ रुपये है। इस प्रकार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम 3242 करोड़ रुपये के मुनाफे में है।
दक्षिणांचल को 2156 करोड़ का मुनाफा
इसी प्रकार दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में कुल राजस्व 11546 करोड़ रुपये का प्राप्त हुआ। टैरिफ सब्सिडी 4692 करोड़ रुपये, निजी नलकूप सब्सिडी 991 करोड़ रुपये और बुनकर सब्सिडी 23 करोड़ रुपये की प्राप्त हुई। इन सबको मिलाने पर कुल राजस्व 17252 करोड़ रुपये होता है। सरकारी विभागों का 4543 करोड़ रुपये का बकाया जोड़ने के बाद कुल राजस्व 21795 करोड़ रुपये हो जाता है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने विद्युत नियामक आयोग को बताया कि वर्ष 2024-25 में उसका कुल खर्च 19639 करोड़ रुपये है। इस प्रकार दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का मुनाफा 2156 करोड़ रुपये है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने भी जताया विरोध
मेरठ की जनसुनवाई में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष श्री अवधेश वर्मा ने निजीकरण के विरोध में जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि झूठे आंकड़ों के आधार पर निजीकरण कर उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का बोझ नहीं डाला जा सकता। उपभोक्ता परिषद इसे कदापि स्वीकार नहीं करेगी और इसका पुरजोर विरोध करेगी। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव राणा ने निजीकरण पर जमकर प्रहार किया। भारतीय किसान यूनियन भानू के अध्यक्ष सुमित शास्त्री ने कहा कि किसी भी कीमत पर बिजली का निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और इसके विरोध में सड़कों पर उतरेंगे।
बिजली कर्मचारियों के साथ अन्य संगठन लामबंद
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने द लेंस से कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के साथ उपभोक्ता संगठन और किसान संगठन लामबंद हो गए हैं। अब बिजली कर्मचारी, उपभोक्ता और किसान मिलकर निजीकरण के विरोध में चल रहे संघर्ष को और तेज करेंगे।