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Home » बंधुआ मजदूर कांड: 8 दिन बाद बाल श्रम के तहत ठेकेदारों पर FIR, बंधुआ मजदूर और यातनाओं का जिक्र तक नहीं

छत्तीसगढ़

बंधुआ मजदूर कांड: 8 दिन बाद बाल श्रम के तहत ठेकेदारों पर FIR, बंधुआ मजदूर और यातनाओं का जिक्र तक नहीं

Nitin Mishra
Last updated: July 17, 2025 12:56 pm
Nitin Mishra
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MOJO Mashroom Farm Case
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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे खरोरा में संचालित मोजो मशरूम फैक्ट्री में हुए बंधुआ मजदूर कांड के 8 दिनों बाद FIR दर्ज कर ली गई है। बाल श्रम अधिनियम और बंधुआ मजदूरी प्रतिषेध अधिनियम के तहत मशरूम फार्म के ठेकेदार विपिन तिवारी, विकास तिवारी, नितेश तिवारी और भोला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं, बंधुआ मजूदर और मासूम बच्चों के साथ हुई यातनाओं का जिक्र एफआईआर में नहीं है।

खबर में खास
18–18 घंटे कराया गया कामये हैं लगाई गई धाराओं का मतलब

महिला एवं बाल विकास विभाग की बाल संरक्षण इकाई की तरफ से यह एफआईआर की गई है। 10 जुलाई को ही इस कार्रवाई में 97 मजदूरों का रेस्क्यू किया गया था और एफआईआर केवल नाबालिगों के साथ हुए अत्याचारों की हुई है। जबकि, मजदूरों ने भी आरोप लगाया था कि उनके साथ मारपीट की जाती थी और 18 घंटे काम कराया जाता था।

रायपुर के खरोरा थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक 9 जुलाई को अधिकारियों को मोजो मशरूम फैक्ट्री में नाबालिगों के द्वारा काम कराए जाने और मानव तस्करी कराए जाने की जानकारी शाम 5:47 बजे व्हाट्स एप के जरिए मिली थी। 10 जुलाई को जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस एवं एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन, छत्तीसगढ़ की संयुक्त टीम ने तहसीलदार शेखर मंडई के नेतृत्व में रेड की गई। यहां से महिला बाल विकास विभाग, बाल संरक्षण ने 23 बालकों को नाबालिग मानकर रेस्क्यू किया। रेस्क्यू किये गये बालकों को बाल कल्याण समिति रायपुर के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

18–18 घंटे कराया गया काम

बालकों ने पूछताछ के दौरान बताया कि उनसे रात 2 बजे से अगले पूरे दिन से रात 10.30 बजे तक मशरूम कल्वर यूनिट में विभिन्न प्रकार का काम कराया जाता था। इसके लिए 14000-15000 हजार रूपये हर महीने देने का वादा किया गया था। लेकिन 5 महीने काम करने के बाद भी कोई भी वेतन नहीं दिया गया। बालकों ने बताया कि ठेकेदार भोला नाम के व्यक्ति उन्हें उत्तर प्रदेश से काम करने के लिए रायपुर लाया था जबकि रायपुर, खरोरा स्थित मारूति फेश (मोजो मशरूम) उमाश्री राईस मिल कंपनी में मशरूम उत्पादन (कल्चर) यूनिट में विपिन तिवारी, विकास तिवारी एवं नितेश तिवारी के द्वारा जबरदस्ती कार्य कराया जा रहा था और किसी भी प्रकार की मजदूरी नहीं दी जा रही थी, साथ ही उक्त तीनों ठेकेदारों के द्वारा मारपीट भी की जाती थी।

केवल नाबालिगों के मामले में हुई एफआईआर दर्ज

खरोरा थाने में आरोपियों के खिलाफ नाबालिगों का शोषण करने, वेतन ना देने और मारपीट के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। लेकिन, मशरूम फार्म में काम करने वाले अन्य मज़दूरों और खासकर महिला मजदूरों ने मारपीट और मानसिक प्रताड़ना समेत कई आरोप लगाए हैं। इसमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। मजदूरों के साथ हुई इस प्रताड़ना का एफआईआर में कोई जिक्र नहीं है, जबकि इनके साथ भी गुलामों जैसा सलूक किया गया था।

ये हैं लगाई गई धाराओं का मतलब

आरोपियों के खिलाफ की गई FIR में दर्ज धाराओं में बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 की धारा 14(3)(b), BNS की धारा 115(2), 127(4), 127(7) और 3(5) के तहत एफआईआर की गई है।

बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 की धारा 14(3)(b): यह  उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो अधिनियम के तहत आवश्यक सूचना देने में विफल रहते हैं। यह धारा उन लोगों पर जुर्माना या कारावास का प्रावधान करती है जो धारा 9 के तहत आवश्यक सूचना देने में विफल रहते हैं, या धारा 11 के तहत आवश्यक रजिस्टर बनाए रखने में विफल रहते हैं, या धारा 12 के अनुसार नोटिस प्रदर्शित करने में विफल रहते हैं। 

BNS की धारा 115(2) : स्वेच्छा से चोट पहुंचाने से संबंधित है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर या यह जानते हुए भी कि उसके कार्य से किसी को चोट लग सकती है, कोई कार्य करता है और उस व्यक्ति को चोट लग जाती है, तो उसे BNS की धारा 115(2) के तहत दोषी माना जाएगा।

BNS की धारा 127(4) : यह धारा गलत तरीके से किसी को बंधक बनाने या कैद करने से संबंधित प्रावधान है। इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी को दस दिन या उससे अधिक समय तक गलत तरीके से बंधक बनाता है, तो उसे पांच साल तक की कैद और दस हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी जा सकती है

BNS की धारा 127(7) : यह धारा गलत तरीके से किसी को कैद करने के अपराध को परिभाषित किया गया है। यदि कोई व्यक्ति किसी को गलत तरीके से कैद करता है, ताकि उस कैद व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संपत्ति या कीमती सामान छीना जा सके, या उस कैद व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को कोई अवैध काम करने के लिए मजबूर किया जा सके, तो उसे तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है। 

BNS की धारा 146 : गैरकानूनी अनिवार्य श्रम से संबंधित है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरन काम करने के लिए मजबूर करता है, तो उसे एक साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। 

BNS की धारा 3(5) : यह धारा सामान्य आशय (common intention) के सिद्धांत से संबंधित है, जिसका अर्थ है कि यदि कई व्यक्ति मिलकर कोई अपराध करते हैं, तो प्रत्येक व्यक्ति को उसी तरह जिम्मेदार ठहराया जाएगा जैसे कि उसने वह अपराध अकेले किया हो।

ये था मामला

दरअसल 10 जुलाई को खरोरा के एक मशरूम फार्म में 97 मजदूरों और उनके 40 बच्चों को 6 महीनों से बंधक बनाकर बंधुआ मजदूरी कराई जा रही थी। महिला बाल विकास विभाग और श्रम विभाग के अधिकारियों को शिकायत मिली थी, इसके बाद इन सभी मजदूरों का रेस्क्यू कर रायपुर लाया गया था। ये सभी मजदूर उड़ीसा, झारखंड और उत्तरप्रदेश से रायपुर में काम के लिए आए हुए थे। पहले दिन से मजदूर शाम को ठेकेदार से उनकी दिहाड़ी के पैसे की मांग करते थे। पैसों की मांग करने पर उन्हें धमकाया जाता था। मजदूरों के मोबाइल भी छीन लिए गए थे। जिससे वे लोग किसी से संपर्क ना कर सकें। मजदूर ने आरोप लगाया था कि ठेकदार आता था और उनके साथ कभी भी मारपीट करने लगता था। यहां तक महिलाओं को भी पीटा जाता था।


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