नई दिल्ली। तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने मंगलवार को भारत के चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें मतदाता सूची प्रबंधन की प्रक्रिया को किसी भी चुनाव के 6 महीने पहले नियत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। पार्टी ने मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से कई सुधारों का प्रस्ताव किया। पार्टी ने प्रक्रियागत स्पष्टता, गलत तरीके से नाम हटाए जाने के विरुद्ध सुरक्षा उपायों को आजमाने और मतदाताओं के प्रति सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया।
टीडीपी नेताओं ने यह भी सुझाव दिया कि एसआईआर (Special Intensive Revision) प्रक्रिया पर्याप्त समय के साथ पूरी की जानी चाहिए, आदर्श रूप से किसी भी बड़े चुनाव के छह महीने के भीतर नहीं, ताकि विश्वास और प्रशासनिक तैयारी सुनिश्चित हो सके। इस बात पर जोर देते हुए कि इस प्रक्रिया को नागरिकता सत्यापन के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए, पार्टी ने आंध्र प्रदेश में एसआईआर को शीघ्र शुरू करने की मांग की।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा सभी दलों के साथ बुलाई गई बैठक में टीडीपी लोकसभा के नेता लावू श्री कृष्ण देवरायलु ने 2024 के आम चुनावों में आंध्र प्रदेश के 81.80 प्रतिशत मतदान पर फोकस किया, जो राष्ट्रीय औसत 65.79 प्रतिशत से कहीं अधिक है।
उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि वह समयबद्ध, समावेशी और तकनीक-संचालित मतदाता सूची संशोधन के माध्यम से इस लोकतांत्रिक गति को जारी रखे। बैठक में पार्टी की आंध्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पल्ला श्रीनिवास राव और सांसदों सहित टीडीपी नेताओं ने भाग लिया।
टीडीपी के प्रमुख सुझाव
- टीडीपी ने सुझाव दिया कि प्रशासनिक तैयारी सुनिश्चित करने के लिए एसआईआर का आयोजन पर्याप्त समय के भीतर किया जाना चाहिए, आदर्श रूप से किसी भी बड़े चुनाव के छह महीने के भीतर नहीं।
- मतदाता सूचियों में विसंगतियों की पहचान के लिए सीएजी की देखरेख में वार्षिक तृतीय-पक्ष ऑडिट।
- वास्तविक समय में डी-डुप्लिकेशन, माइग्रेशन और मृत प्रविष्टियों के लिए एआई-संचालित उपकरणों का उपयोग।
- बीएलओ या ईआरओ के स्तर पर समयबद्ध शिकायत निवारण तंत्र।
- मतदाता सूची सत्यापन को मजबूत करने के लिए देश भर में द्वार संख्या का मानकीकरण।
- पार्टी के अन्य प्रमुख सुझावों में मतदाता सूची में विसंगतियों की पहचान करने के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की देखरेख में वार्षिक तृतीय-पक्ष ऑडिट, वास्तविक समय में डी-डुप्लीकेशन, माइग्रेशन और मृतक प्रविष्टियों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित उपकरणों का उपयोग, ब्लॉक स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) या निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) के स्तर पर समयबद्ध शिकायत निवारण तंत्र सुनिश्चित करना और मतदाता सूची सत्यापन को मजबूत करने के लिए नीतिगत उपाय के रूप में देश भर में डोर नंबरों को मानकीकृत करना शामिल है।
- टीडीपी ने यह भी सुझाव दिया कि आधार-आधारित ईपीआईसी नंबर सत्यापन से दोहराव को दूर करने में मदद मिलेगी और स्याही-आधारित सत्यापन प्रक्रिया के स्थान पर बायोमेट्रिक सत्यापन प्रक्रिया लागू की जाएगी।
पार्टियों की भागीदारी
टीडीपी ने सुझाव दिया कि ईसीआई को पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान सभी मान्यता प्राप्त दलों के बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) को अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए तथा वास्तविक समय में सत्यापन को सक्षम करने के लिए बीएलए के साथ मसौदा रोल को प्रकाशन-पूर्व साझा करना अनिवार्य बनाना चाहिए।
टीडीपी नेताओं ने कहा कि मतदाताओं की संख्या बढ़ाने और हटाने के बारे में जिलावार आंकड़े ईसीआई पोर्टल पर स्पष्टीकरण के साथ प्रकाशित किए जाने चाहिए और मतदाताओं की शिकायतों पर नज़र रखने तथा उनके समाधान के लिए एक वास्तविक समय सार्वजनिक डैशबोर्ड स्थापित किया जाना चाहिए।
कानूनी सुधार और जवाबदेही
टीडीपी ने चुनाव अधिकारियों की जवाबदेही को और सख्त करने की भी मांग की। इसने ईआरओ या जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) की निष्क्रियता या कदाचार के लिए वैधानिक समय-सीमा और दंड लागू करने, राज्य चुनाव निगरानी समितियों को मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान पर्यवेक्षक का दर्जा देकर कार्य करने का अधिकार देने, स्थानीय प्रभाव या पक्षपातपूर्ण दुरुपयोग को रोकने के लिए ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ)/निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) का अनिवार्य रोटेशन करने और मतदाता सूची से संबंधित अनसुलझे राजनीतिक शिकायतों के समाधान के लिए चुनाव आयोग के तहत एक राज्य-स्तरीय लोकपाल नियुक्त करने का सुझाव दिया।
इसने ईसीआई को प्रवासी श्रमिकों, जनजातीय समूहों, बुजुर्गों और बेघर नागरिकों के लिए लक्षित पुनः नामांकन अभियान चलाने का भी सुझाव दिया, तथा गतिशील आबादी को मताधिकार से वंचित होने से बचाने के लिए बुनियादी दस्तावेजों के साथ अस्थायी पते की घोषणा की अनुमति देने का भी सुझाव दिया।