मोतिहारी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संघर्षों की याद में यात्रा निकाल रहे उनके प्रपौत्र तुषार गांधी को बिहार के मोतिहारी में अप्रिय घटना का सामना करना पड़ा। एक कार्यक्रम के दौरान मुखिया ने उनका विरोध किया अंत में वह कार्यक्रम छोड़कर चले गए
तुषार गांधी इन दिनों बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। वे 12 तारीख से पश्चिम चंपारण में थे और सोमवार को पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया पहुंचे, जहां वे ऐतिहासिक नीम के पेड़ का दर्शन करने गए थे। एक सभा में उनके साथ आए एक व्यक्ति ने जब महागठबंधन को समर्थन देने की बात शुरू की, तो आयोजक और स्थानीय मुखिया बिनय सिंह नाराज हो गए। उन्होंने तुषार गांधी पर गुस्सा उतारा और उन पर कई आरोप लगाए।
शुरुआत में तुषार गांधी शांत रहे, लेकिन जब बिनय सिंह ने उन्हें गांधी जी का वंशज मानने से इनकार किया, तो उन्होंने मुखिया से शांतिपूर्वक और सम्मानजनक ढंग से बात करने को कहा। इसके बावजूद, मुखिया ने उन्हें सभा से चले जाने को कहा, जिसके बाद दोनों के बीच तीखी बहस हुई। स्थिति बिगड़ने पर स्थानीय लोग और गांधीवादी विचारधारा के लोग वहां से बाहर आ गए और मुखिया का विरोध करने लगे।
बाहर निकलकर तुषार गांधी ने लोगों से बात की और अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने मुखिया को नाथूराम गोडसे का अनुयायी करार देते हुए कहा कि यह न केवल उनका, बल्कि गांधीवाद और लोकतंत्र का अपमान है। उन्होंने कहा कि वे डरने वाले नहीं हैं और पूरे देश में अपनी आवाज उठाते रहेंगे। तुषार गांधी ने चंपारण की धरती पर हुए इस व्यवहार को दुखद बताया और इसे लोकतंत्र के लिए हानिकारक करार दिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, जिनमें प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, विधायक दल के नेता डॉ. शकील अहमद खान, विधान परिषद में पार्टी के नेता डॉ. मदन मोहन झा और राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने एक संयुक्त बयान जारी कर इस घटना पर कड़ा रुख अपनाया।
उनका कहना है कि भाजपा-जदयू समर्थित पंचायत मुखिया विनय कुमार ने सरकारी नीतियों पर सवाल उठाने के दौरान तुषार गांधी के साथ अभद्र व्यवहार किया। मुखिया ने तुषार गांधी को बीच कार्यक्रम में अपमानजनक ढंग से मंच छोड़ने के लिए मजबूर किया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब तुषार गांधी ने देश में बढ़ते उन्माद, सामाजिक विभेद और बिहार की राजनीतिक कमियों पर अपनी बात रखनी शुरू की, तो मुखिया ने उन्हें अपमानित करते हुए मंच से हटने का आदेश दिया। इस घटना ने कई गंभीर सवालों को जन्म दिया है।
क्या हम गांधी जी की अहिंसा और विचारों की स्वतंत्रता की विरासत को भुला रहे हैं? कांग्रेस नेताओं ने सवाल किया कि क्या नीतीश कुमार की सरकार की नीतियां गांधीवादी विचारधारा से इतनी दूर जा चुकी हैं कि उनके परिजनों की आवाज को भी दबाया जा रहा है?
क्या असहमति को कुचलना अब एक नई रणनीति बन गई है, जहां विचारों की आजादी पर अंकुश लगाया जा रहा है? कांग्रेस ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है।