द लेंस डेस्क। यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दिए जाने की तारीख मुकर्रर की गई है, लेकिन उसे बचाने की आखिरी कोशिश भारत में शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने निमिषा की जान बचाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भर दी है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने इस मामले की सुनवाई 14 जुलाई को तय की है।
याचिकाकर्ता के वकील ने सुझाव दिया कि कूटनीतिक प्रयासों और मृतक के परिवार को ‘ब्लड मनी’ देने के जरिए निमिषा की सजा को माफ करवाने की संभावना तलाशी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को मंजूर करते हुए फांसी से महज दो दिन पहले सुनवाई का फैसला लिया है।
कौन हैं निमिषा
निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स हैं, उनको 2017 में यमन में अपने व्यवसायी साझेदार महदी की हत्या का दोषी पाया गया था। 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में यमन की अदालत ने उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी। निमिषा को बचाने के लिए काम कर रहे एक संगठन का कहना है कि 16 जुलाई को उनकी फांसी हो सकती है। एकमात्र उम्मीद यह है कि महदी का परिवार ब्लड मनी स्वीकार कर निमिषा को माफ कर दे।
खबरों के मुताबिक, निमिषा के परिवार और समर्थकों ने 10 लाख डॉलर की पेशकश की है, लेकिन माफी के लिए मृतक के परिजनों की सहमति जरूरी है। निमिषा 2008 में नर्स के रूप में यमन गई थीं और बाद में महदी के साथ मिलकर क्लीनिक शुरू किया। 2017 में महदी की मौत के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वह वर्तमान में सना की सेंट्रल जेल में बंद हैं।
आरोपों को बताया गलत
निमिषा ने लगे आरोपों को गलत बताया था। उन पर महदी को बेहोशी की दवा की अत्यधिक मात्रा देकर हत्या करने का आरोप है। निमिषा ने दावा किया कि महदी ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, उनका पैसा और पासपोर्ट छीन लिया और धमकियां दीं।
उनके वकील ने कोर्ट में कहा कि निमिषा सिर्फ अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए महदी को बेहोशी की दवा देना चाहती थीं, लेकिन गलती से दवा की मात्रा ज्यादा हो गई, जिससे महदी की मौत हो गई। जनवरी 2024 में यमन के हूती विद्रोहियों की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल ने भी फांसी की सजा को मंजूरी दी थी। निमिषा की मां 2024 से यमन में हैं और अपनी बेटी को बचाने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं।