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सरोकार

वोट वाइब सर्वे : केरल में कांग्रेसनीत यूडीएफ सबसे आगे, मगर थरूर की लोकप्रियता ने दुविधा में डाला

Rasheed Kidwai
Last updated: July 10, 2025 2:30 pm
Rasheed Kidwai
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kerala politics
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रशीद किदवई, वरिष्ठ पत्रकार

केरल के विधानसभा चुनावों में अब एक साल से भी कम का समय बाकी है। तमाम राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाला एलडीएफ क्या लगातार तीसरी बार सत्ता में आ पाएगा? वोट वाइब सर्वे एजेंसी का ताजा सर्वेक्षण इसकी संभावना काफी कम आंक रहा है। सर्वे में प्रबल सत्ता विरोधी रुझान दिखाई दे रहा है। ऐसे में एलडीएफ की सत्ता से विदाई लगभग तय मानी जा रही है। हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ में भी सबकुछ ठीक प्रतीत नहीं हो रहा। यह गठबंधन नेतृत्व की चुनौतियों से मुखातिब है।

खबर में खास
स्टेट वाइब सर्वे के कुछ प्रमुख नतीजे इस तरह हैं:बंगाल में ममता अब भी कहीं आगे…

गाहे-बगाहे अपनी पार्टी की विचारधारा से इतर सोच रखने वाले शशि थरूर इस सर्वे के अनुसार राज्य में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं और उन्हें मुख्यमंत्री विजयन के उत्तराधिकारी के तौर पर सबसे पसंदीदा विकल्प माना गया है। थरूर की लोकप्रियता रेटिंग 28.4 फीसदी है, जबकि इस पद के लिए पार्टी के अन्य दावेदार उनसे काफी पीछे हैं। संगठन मामलों के प्रभारी एआईसीसी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल की लोकप्रियता सिर्फ 4.2 फीसदी है, जबकि वी. डी. सतीशन और सनी जोसेफ की लोकप्रियता क्रमशः 15 फीसदी और 2 फीसदी है। वहीं रमेश चेन्नीथला को 8.2 फीसदी, जबकि के. मुरलीधरन को 6 फीसदी का समर्थन हासिल है।

वोट वाइब ने यह सर्वेक्षण ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तुरंत बाद किया था, जो बताता है कि थरूर के गैर-पारंपरिक रुख के बावजूद राज्य में और यूडीएफ-कांग्रेस हलकों के भीतर उनकी लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा है। आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न देशों में भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों में से एक की अगुवाई थरूर ने की थी। इसके बाद थरूर की कुछ टिप्पणियां पार्टी में विवाद का विषय बन गई थीं। उन्होंने एक राष्ट्रीय दैनिक में लिखे अपने आलेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नेशनल असेट’ कहकर संबोधित किया था। इससे उन्हें कांग्रेस पार्टी के भीतर से काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ीं।

वोट वाइब के लोकप्रियता सर्वे में जिस तरह से थरूर को सबसे आगे बताया गया है, उससे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के लिए कई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। माना जाता है कि यूडीएफ के कई सहयोगी दल, जैसे आईयूएमएल, केसी, आरएसपी, सीएमपी और केडीपी के नेता थरूर को यूडीएफ का मुख्यमंत्री फेस बनाने के पक्ष में हैं।

स्टेट वाइब सर्वे के कुछ प्रमुख नतीजे इस तरह हैं:

  • राज्य में 47.9% यानी लगभग आधे मतदाता सरकार से खुश नहीं हैं और उसे बदलने को तत्पर हैं।
  • करीब 62% मतदाता अपने मौजूदा विधायक के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं और उसे बदलना चाहते हैं।
  • यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) 38.9% समर्थन के साथ सबसे आगे है।
  • लोकप्रिय नेताओं की रेटिंग में शशि थरूर 28.3% फीसदी के साथ सबसे आगे हैं। लेकिन यूडीएफ के समर्थकों में 27.1% ऐसे भी हैं, जो अपनी राय को लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट कहने की स्थिति में नहीं हैं।
  • एलडीएफ में केके शैलजा 24.2% के साथ सबसे आगे हैं, जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की लोकप्रियता रेटिंग केवल 17.5% फीसदी है। एलडीएफ समर्थकों में एक बड़ी संख्या यानी 41.5% लोग नेतृत्व को लेकर असमंजस में हैं।
  • सर्वे का निष्कर्ष कहता है कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर स्पष्ट नजर आ रही है और यूडीएफ को बदलाव के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

वोट वाइब के सर्वे के बाद बड़ा सवाल यह है कि क्या मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता को दांव पर लगाकर केसी वेणुगोपाल को केरल का सीएम फेस बनाएंगे? और क्या केवल इसलिए कि दिल्ली में मौजूद ज्यादातर एआईसीसी पदाधिकारी और कांग्रेस नेता वेणुगोपाल को संगठन महासचिव के पद से हटाना चाहते हैं? या इसलिए कि कांग्रेस का भविष्य तभी सुधर सकता है, जब वेणुगोपाल की कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय से रवानगी हो और राहुल गांधी को उनके प्रभाव से मुक्त किया जा सके।

बंगाल में ममता अब भी कहीं आगे…

वोट वाइब ने पश्चिम बंगाल के लिए भी एक विस्तृत सर्वेक्षण किया है। इसमें यह सामने आया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अब भी व्यापक जनसमर्थन हासिल है, जो उन्हें आगामी चुनावी मुकाबले में सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है। सर्वे के मुताबिक ममता बनर्जी मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्प बनी हुई हैं। उन्हें 41.7 फीसदी मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है।

इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे thelens.in के संपादकीय नजरिए से मेल खाते हों।

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