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लेंस संपादकीय

सवाल नागरिकता का

Editorial Board
Last updated: July 10, 2025 9:15 pm
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Bihar Voter list
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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण पर स्थगन तो नहीं दिया है, लेकिन उसने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि वह मतदाताओं की पात्रता के लिए आधार, राशन कार्ड और वोटर आई कार्ड को भी शामिल करे। दरअसल 24 जून को चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का आदेश दिया था और स्पष्ट किया था कि यह प्रक्रिया 25 जुलाई तक पूरी कर ली जाएगी। इससे कांग्रेस, राजद के साथ ही तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के साथ ही सरकार की मंशा पर सवाए उठाए और आरोप लगाया कि यह पिछले दरवाजे से एनआरसी लागू करने की कोशिश है। ये आशंकाएं इसलिए पैदा हुईं, क्योंकि चुनाव आयोग ने बहुत सीमित समय में बिहार के आठ करोड़ से अधिक मतदाताओं के सत्यापन का फैसला किया है और मतदाता होने की पात्रता के लिए जो 11 दस्तावेज की सूची जारी की है, उनमें आधार, राशन कार्ड और वोटर आई कार्ड शामिल नहीं थे। इसके उलट जिस तरह के दस्तावेज इनमें शामिल किए गए, उन्हें लेकर सुनवाई के दौरान जस्टिस सुभाष धूलिया तक ने कहा कि मेरे पास भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है! असल में चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है, जिसमें उसने लिखा है कि यह कवायद यह सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है, ताकि सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सके और कोई भी पात्र मतदाता इससे न छूटे। इसके साथ ही आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसआईआर के जरिये अपात्र मतदाताओं को सूची से बाहर किया जाएगा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दो अहम बातें की हैं, उस पर गौर करने की जरूरत है, एक तो यह कि नागरिकता तय करना गृह मंत्रालय का काम है, उसमें चुनाव आयोग दखल नहीं दे सकता और दूसरा यह कि आधार कार्ड से नागरिकता तय नहीं होती। निस्संदेह बिहार में 23 साल बाद मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण हो रहा है, जिस पर याचिकाकर्ताओं ने भी एतराज नहीं किया है। इस मामले के तकनीकी पहलू के साथ ही सवाल बिहार की सियासत का है, जहां बुधवार को कांग्रेस, राजद और वाम दलों सहित महागठबंधन के अन्य सहयोगियों ने चुनाव आयोग की इस कवायद के विरोध में बंद रखा था। दरअसल यह मसला चुनाव आयोग की साख से भी जुड़ा हुआ है, जिस पर महाराष्ट्र के पिछले चुनाव में अचानक वोटों की संख्या बढ़ने को लेकर पहले ही काफी सवाल उठ चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई और उसकी टिप्पणियों को विपक्षी दल अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। लेकिन अहम सवाल बाकी है कि चुनाव आयोग की इस कवायद से छूट गए मतदाताओं का क्या होगा? क्या उन्हें अवैध नागरिक मान लिया जाएगा? जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट की 28 जुलाई की सुनवाई के बाद ही स्थिति और स्पष्ट होगी।

TAGGED:Bihar assembly electionsEditorialsupreme court
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