रायपुर। ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल करने जा रहा है। श्रमिक संगठनों ने हड़ताल के समर्थन में मंगलवार को मशाल रैली निकाली है। मंच के संयोजक का. धर्मराज महापात्र ने कहा कि कल की हड़ताल में 20 करोड़ से अधिक मेहनतकश जनता शामिल होने जा रही है। Nationwide strike
ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आव्हान पर संगठित व असंगठित क्षेत्र से जुड़े सैकड़ों लोगों ने कर्मचारी भवन बुढ़ापारा से रैली निकाली। रैली शहर के प्रमुख मार्गो का भ्रमण करती हुई वापस कर्मचारी भवन पहुंची। कर्मचारी भवन में आमसभा आयोजित की गई। आमसभा को संबोधित करते हुए मंच के संयोजक धर्मराज महापात्र ने कहा कि कल की हड़ताल में 20 करोड़ से अधिक मेहनतकश जनता शामिल होने जा रही है।बैंक, बीमा, पोस्टल, टेलीकॉम, रेलवे, स्टील, कोयला क्षेत्र सहित राज्य शासन व केंद्र सरकार कर्मियों तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिक इस हड़ताल में शामिल हो रहे है l
उन्होंने कहा कि नई श्रम संहिताओं को थोपे जाने, निजीकरण, ठेकाकरण, आउट सोर्सिंग, ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले,सांप्रदायिकता, संविधान पर हमलों, महंगाई, बेरोजगारी, किसानों को फसल का उचित मूल्य देने सहित केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ देश के इंटक, सीटू, एटक, एच एम एस, ऐक्टू सहित प्रमुख 10 केंद्रीय श्रम संगठनों व 100 से अधिक श्रमिक एवं जन संगठनों ने इस हड़ताल का आव्हान किया है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है। रायपुर के तमाम मेहनतकश अपने कार्य स्थलों में हड़ताल करने के बाद एल आई सी के पंडरी स्थित मंडल कार्यालय में आयोजित संयुक्त सभा में शिरकत करेंगे जहां हड़ताल से संबंधित मुद्दों पर नेतागण विस्तार से अपनी बात रखेंगे।कल दोपहर अम्बेडकर चौक मे इस हड़ताल के पक्ष में वामपंथी पार्टियों का प्रदर्शन भी होगा। पूरे प्रदेश में हड़ताल की व्यापक तैयारियां की गई है।
उन्होंने सरकारी क्षेत्र में तत्काल नई भर्ती आरम्भ करने, न्यूनतम वेतन 26000 रूपये प्रतिमाह करने, महंगाई व बेरोजगारी पर रोक लगाने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, प्रस्तावित बीमा संशोधन विधेयक पर रोक लगाने, वित्तीय क्षेत्रों में एफ डी आई और निजीकरण पर रोक लगाने, सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्रों को बचाए रखने, धर्म व जाति के नाम पर जारी फसादों पर रोक लगाने, संविधान को बदल देने की मुहिम पर रोक लगाने, श्रम संहिताओं को वापस लेने, 35 घंटे का कार्य सप्ताह लागू करने, महिलाओं – दलितों व अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न को रोक लगाने की मांग करते हुए आम जनता से इस हड़ताल को समर्थन देने की अपील की।