जुलूस में लाई गई कलात्मक ताजियां, बरसते पानी में इमाम हुसैन का मातम
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में हुसैनी मातमदारों ने यौमे आशूरा पर हजरत इमाम हुसैन को याद किया। इमाम हुसैन की याद में काले कपड़े पहने हुए मातमदारों का विशाल जनसमूह जुलूस (Matami Juloos) में शामिल हुआ। जुलूस में शामिल लोगों ने मातम करके, हुसैन के गम में आंसू बहाकर बरसते पानी में जुलूस निकला और इमाम हुसैन का मातम किया। इस दौरान हुसैन जिंदाबाद के नारों से पूरा शहर गूंज उठा। हालांकि जुलूस की वजह से कई जगहों पर लंबा ट्रैफिक जाम रहा।
पैगंबर हजर मोहम्मद साहब के नाती हजर इमाम हुसैन के शहादत पर राजधानी के मोमिनपारा से विशाल मातमी जुलूस निकाला गया। जुलूस में बड़ी संख्या में शामिल कलात्मक ताजियों ने जुलूस की रौनक बढ़ा दी। ताज़ियों को देखने लोग उमड़े।
हैदरी मस्जिद ट्रस्ट शिया मोमिन जमात के मुतवल्ली हैदर अली ने बताया है कि यौमे आशूरा के अवसर पर आज सुबह हैदरी मस्जिद मोमिनपारा में यौमे आशूरा की नमाज अदा की गई। यौमे आशूरा के आमाल पेश इमाम मौलाना असगर मेहदी साहब ने अदा कराया। हैदरी मस्जिद से दोपहर बाद परंपरागत रूप से 10 मोहर्रम का मातमी जुलूस निकाला गया। शुरुआत में हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर केन्द्रित दर्द भरे मरसिये पेश किए गए।
मातमी जुलूस मोमिनपारा से प्रारंभ होकर हांडीपारा, होते हुए आजाद चौक पहुंचा। यहां मौलाना असगर मेहदी साहब, पेश इमाम हैदरी मस्जिद, मोमिनपारा ने करबला की घटना और हजरत इमाम हुसैन के शहादत के उद्देश्यों पर केन्द्रित तकरीर की। ऐतिहासिक आजाद चौक पर विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने अपने नाना पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के धर्म इस्लाम की रक्षा के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया।
मातमी जुलूस में बहुत से कलात्मक ताजिए और बड़ी संख्या में अलमे मुबारक (हुसैनी ध्वज) शामिल हुए, जो आकर्षण का केन्द्र रहे। जुलूस आमापारा, विवेकानंद आश्रम, जीई रोड होते हुए देर रात को ऐतिहासिक करबला तालाब पहुंचा। यहां मातमी जुलूस का समापन किया गया। जुलूस में अंजुमने अकबरिया, अंजुमने इमामिया और हुसैनी ग्रुप के नौहाख्वानों ने नौहे पेश किए। करबला तालाब में जुलूस के समापन के बाद शामें गरीबां की मजलिस हुई, जिसे मुजफ्फर नगर से आए मौलाना मोहम्मद आलिम साहब ने संबोधित किया।