नई दिल्ली। यह बात सुनने में अजीब लग सकती है, लेकिन यह सच है कि रिश्वतखोरी के दम पर मेडिकल कॉलेजों की मान्यता लेने वालों में धर्मगुरुओं का बोलबाला है। सीबीआई की छापेमारी में अब तक कम से कम तीन धर्मगुरुओं को घेरे में लिया गया है।
गौरतलब है कि सीबीआई ने देशभर के 40 मेडिकल कॉलेजों पर छापेमारी की है, जिसके तहत 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 11 अधिकारी शामिल हैं। प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, यह घोटाला 1,300 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है।
डॉक्टरों की फैक्ट्री में बाबाओं का खेल

सीबीआई की कार्रवाई में जिन बाबाओं के नाम सामने आए हैं, उनमें गुजरात के कलोल में स्थित स्वामीनारायण मेडिकल कॉलेज के स्वामी भक्तवत्सलदासजी, छत्तीसगढ़ के आध्यात्मिक नेता रविशंकर महाराज और रायपुर के रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के रावतपुरा सरकार शामिल हैं।
गुजराती बाबा के खिलाफ भी एफआईआर
द लेंस की तहकीकात में पाया गया है कि गुजरात के स्वामीनारायण मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रेसिडेंट स्वामी भक्तवत्सलदास दरअसल स्वामी प्रेमस्वरूपदास के शिष्य हैं। प्रेमस्वरूप पहले भुज स्थित स्वामीनारायण मंदिर के महंत थे, फिर वे कलोल आ गए और वहां पिछले 20 वर्षों में बीएड से लेकर एमबीबीएस तक की पढ़ाई वाले कॉलेज खोल दिए। सीबीआई का मानना है कि भक्तवत्सलदास ने अधिकारियों को रिश्वत देकर फर्जी मरीजों और भूतिया फैकल्टी के माध्यम से मान्यता हासिल करने की कोशिश की थी।
रविशंकर महाराज पर भी कार्रवाई
इस मामले में सीबीआई के हत्थे चढ़ा दूसरा नाम रविशंकर महाराज का है, जिन्हें रावतपुरा सरकार के नाम से भी जाना जाता है। बुंदेलखंड में इन्हें रावतपुरा सरकार कहा जाता है। इन्होंने शिक्षण संस्थाओं का जाल बिछा रखा है। सीबीआई की छापेमारी में इनका छत्तीसगढ़ स्थित मेडिकल कॉलेज शीर्ष सूची में है, जिसने रिश्वतखोरी के बदले मान्यता लेने की कोशिश की। इनकी जल्द गिरफ्तारी की संभावना है। रविशंकर महाराज बुंदेलखंड के एक प्रसिद्ध संत हैं। उनका जन्म 1968 में टीकमगढ़ जिले के छिपरी गांव में हुआ था। 17 वर्ष की आयु में उन्होंने रावतपुरा में एक आश्रम स्थापित करने का संकल्प लिया और 1991 में एक यज्ञ के बाद आध्यात्मिक, धार्मिक और मानवीय गतिविधियों की शुरुआत की।
धर्मार्थ चलाए जा रहे मेडिकल कॉलेजों पर भी घेरा

आंध्र प्रदेश के एक निजी मेडिकल कॉलेज से जुड़े एक पादरी का नाम भी एफआईआर में शामिल है। कई धर्मार्थ मेडिकल कॉलेजों से जुड़े लोग भी घेरे में आए हैं। श्रीवेंकट निदेशक, गायत्री मेडिकल कॉलेज-विशाखापत्तनम और जोसफ कोमारेड्डी, फादर कोलंबो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वारंगल के नाम भी एफआईआर में शामिल हैं।
उच्च शिक्षण संस्थानों में सुनियोजित रैकेट की बदौलत मान्यता
जांच से पता चला है कि एनएमसी के आईटी और यूजी-पीजी बोर्ड के भीतर एक सुनियोजित रैकेट चल रहा है, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत है। मोटी रिश्वत के बदले कई निजी मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई, जबकि उनमें कई खामियां थीं।