[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
पत्रकार करण थापर और सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ असम में एफआईआर, गुवाहाटी तलब
राहुल गांधी की गाड़ी से पुलिसकर्मी को टक्‍कर, बीजेपी बोली-‘जनता कुचलो यात्रा’
राहुल गांधी ने CSDS के डेटा का इस्‍तेमाल नहीं किया : कांग्रेस   
ब्रेकिंग : नवंबर से महंगाई भत्ते के फैसले से खुश नहीं कर्मचारी संगठन, कहा – 11 महीने का एरियर्स खा गई सरकार, 22 को होगी हड़ताल
KBC सीजन 17 के पहले करोड़पति बने आदित्य कुमार ने कहा- ‘अमिताभ बच्चन की तारीफ मेरे लिए सबसे बड़ा इनाम’
चैतन्य बघेल को फिर से ED ने 5 दिन की रिमांड पर लिया, कुछ नए तथ्य मिले, जिसके बाद एजेंसी फिर करेगी पूछताछ
बच्चों को कुत्ते का जूठा खाना खिलाया, HC ने दिया बच्चों को मुआवजा, हेडमास्टर सस्पेंड
ग्रामीण बैंकों में IPO के विरोध में जंतर-मंतर पर धरना, सांसदों का मिला समर्थन
‘अब एकतरफा दबाव स्वीकार्य नहीं…’, चीनी विदेश मंत्री का भारत की धरती से अमेरिका को संदेश
कल सुबह साढ़े 10 बजे 3 मंत्री लेंगे शपथ, BJP ने विधायकों को भेजा न्यौता, राज्यपाल जगन्नाथ मंदिर पहुंचे
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस रिपोर्ट

World View : भविष्य के दलाई लामा पर आज भारत-चीन आमने सामने

सुदेशना रुहान
Last updated: July 4, 2025 2:33 pm
सुदेशना रुहान
Byसुदेशना रुहान
Follow:
Share
Dalai Lama
SHARE

सुदेशना रुहान

खबर में खास
ल्हासा से नेहरू तकतिब्बती त्रिकोण और वर्तमान चुनौतियांतिब्बती बिसात पर भारतीय चाल“बुद्धिज्म” बनाम “कम्युनिज्म”

6 जुलाई 2025 को तिब्बती धर्म गुरु और बौद्ध भिक्षु- 14वें दलाई लामा अपने जीवन के 90वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं। धार्मिक कारणों के इतर, इस बार यह समारोह भारत और चीन के दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। बुधवार, 2 जुलाई को दलाई लामा ने ‘15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन’ के उद्घाटन के दौरान, दलाई लामा के पुनर्जन्म की परंपरा के जारी रहने की घोषणा की। 

“भविष्य में दलाई लामा की पहचान करने की प्रक्रिया 24 सितम्बर 2011 के वक्तव्य में स्पष्ट रूप से स्थापित की गई है, जिसमें कहा गया है कि यह जिम्मेदारी पूरी तरह गदेन फोद्रांग ट्रस्ट, अर्थात परम पावन दलाई लामा के कार्यालय पर ही निहित होगी। मैं यहां पुनः यह दोहराता हूं कि भविष्य के पुनर्जन्म को मान्यता देने का विशेष अधिकार केवल गदेन फोद्रांग ट्रस्ट को ही है; इस विषय में हस्तक्षेप करने का अधिकार किसी और को नहीं है।”

चीन ने इस पर बयान जारी करते हुए कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को “केंद्रीय सरकार से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा!”

तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपरा के अनुसार दलाई लामा के उत्तराधिकारी की खोज उनके मृत्यु के बाद शुरू होती है। उन्होंने पूर्व में संकेत दिया था कि यह बालक तिब्बत के बाहर जन्म ले सकता है, जो आज चीन के अधीन है।

इस बीच 30 जून को चीन ने भारत के साथ लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद पर टिप्पणी की। बेज़िंग में पत्रकारों से बातचीत करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “सीमा से जुड़ा मामला जटिल है और इसे सुलझाने में समय लगता है।” यह बयान उस सवाल के जवाब में आया जिसमें 23 दौर की वरिष्ठ प्रतिनिधि स्तर की वार्ताओं के बावजूद इस मुद्दे के समाधान में हो रही देरी पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी।

ऐसे समय में दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर भारतीय टिप्पणी, चीन को और आक्रामक कर सकती है। लेकिन 14वें दलाई लामा की 90वीं वर्षगाँठ को देखते हुए यह तय है कि बयान अब बहुत दूर नहीं है। 

ल्हासा से नेहरू तक

दलाई लामा का जन्म 1935 में तिब्बत के दुर्गम आम्दो क्षेत्र में हुआ था। परिवार में वे ‘ल्हामो थोन्डुप’ के नाम से पुकारे जाते थे, जहां वे पांचवीं संतान थे। दो वर्ष की उम्र में उन्हें 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया, और वे तिब्बत के सर्वोच्च धार्मिक नेता और मठाधीश के रूप में चुने गए। 15 वर्ष की आयु तक उन्होंने तिब्बत की धार्मिक सत्ता संभाल ली जो उन दिनों चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों से जूझ रहा था। 

कैलिफोर्निया से प्रकाशित टेलीक्राम ट्रिब्यून में 4 अप्रैल को 1959 को दलाई लामा के भारत आने की प्रकाशित खबर। अब यह अखबार द ट्रिब्यून के नाम से प्रकाशित होता है।

7 अक्टूबर 1950 को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की तिब्बत में दाखिले के साथ, चीन ने उसे अपने मानचित्र में शामिल कर लिया। इसके साथ ही, चीन और भारत अब पड़ोसी देश बन गए थे। अंतरराष्ट्रीय तबका जहां इसे चीन प्रायोजित तिब्बती नरसंहार और विस्थापन के रूप में देखता था, वहीं चीन की नजर तिब्बत के भू-खनिज के विशाल भंडारों पर थी। 

विस्थापन का कारण तिब्बत का कमजोर होना नहीं, वरन धार्मिक होना था। कम्युनिस्ट विचारधारा की वजह से चीन मानता है, कि धार्मिक मान्यताएं गरीबी और पिछड़ेपन का कारण है। चीन का यह रवैया केवल तिब्बत के लिए नहीं, बल्कि हर उस देश के लिए है, जहां मान्यताएं धार्मिक हैं। 

1954-55 में तिब्बत की स्वतंत्रता को चीनी प्रभुत्व से सुरक्षित रखने हेतु, युवा दलाई लामा ने चीनी कम्युनिस्ट नेता माओ त्से तुंग से मुलाकात की, लेकिन नतीजा विफल रहा। तिब्बती समुदाय के असफल विद्रोह के बाद, दलाई लामा को 17 मार्च 1959 को तिब्बत छोड़ना पड़ा। 

दुर्गम हिमालयी दर्रों से दस दिन की कठिन यात्रा के बाद दलाई लामा भारत पहुंचे थे। तिब्बत में तत्कालीन भारतीय काउंसल जनरल पी. एन. मेनन ने 31 मार्च 1959 में 14वें दलाई लामा का अरुणाचल के खेनजिमान इलाके में स्वागत किया था। सुरक्षा कारणों की वजह से उन्हें बेहद गोपनीय ढंग से भारत में शरण दी गई थी। 

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू दलाई लामा के साथ। तब चीन की गिरफ्त से बचकर 13 दिन की यात्रा कर दलाई लामा भारत पहुंचे थे।

3 अप्रैल 1959 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने आधिकारिक रूप से संसद को सूचित किया कि तिब्बती धर्मगुरु और उनके साथियों को भारत में शरण दे दी गई थी। यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत के लिए तो सराहनीय था, मगर बीजिंग को यह निर्णय बेहद नागवार गुजरा।

1962 में हुए भारत-चीन युद्ध में यह इकलौता कारण नहीं था, लेकिन बहुत बड़ा कारण था। 6 दशक से अधिक समय गुजरने के बावजूद आज तक दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हुए हैं।  

तिब्बती त्रिकोण और वर्तमान चुनौतियां

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा निर्वाचित अगले पांचेन लामा “ग्याल्त्सेन नोरबू”।

तिब्बती बौद्ध धर्म में “पान्चेन लामा” को दूसरा सबसे बड़ा आध्यात्मिक अधिकारी माना जाता है, जो दलाई लामा के पुनर्जन्म की पहचान में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा निर्वाचित “ग्याल्त्सेन नोरबू” को चीन ने अगला पांचेन लामा बताया है। बीजिंग ने जोर दिया है कि पांचेन लामा की प्रमुख भूमिका के बगैर अगले दलाई लामा का चुनाव नहीं मान्य नहीं होगा। 

यह विकृति 1995 में तब शुरू हुई, जब दलाई लामा ने छह वर्षीय “गेडुन चोक्यी न्यिमा” को 11वें पान्चेन लामा के रूप में मान्यता दी थी। माना जाता है कि चीन के उस बच्चे को अगवा करने के बाद, आज तक उसकी कोई सूचना नहीं मिली है। गेडुन, आज दुनिया के सबसे कम उम्र के राजनीतिक कैदी हैं।

News18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन द्वारा नियुक्त पान्चेन लामा के बीच एक दशक बाद एक हाई-प्रोफाइल मुलाकात हुयी, जिसमें यह साफ निर्देश दिया गया- कि चीन बौद्ध धर्म के भविष्य पर चीनी नियंत्रण चाहता है, तिब्बती नहीं।  

दलाई लामा द्वारा चयनित पांचेंन लामा छह वर्षीय “गेडुन चोक्यी न्यिमा”।

हालिया अध्ययन बता रहे हैं कि चीन भारत में धर्मशाला स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) को बंद करने की मांग कर सकता है। साथ ही उसकी योजना अरुणाचल प्रदेश को अस्थिर करने की है, जो हमेशा ही विवादित रहा है।

अरुणाचल तनाव की जड़ में है मैकमहोन लाईन— जो 1914 में ब्रिटेन शासित भारत और तिब्बत के बीच ‘शिमला सम्मेलन’ में स्वीकृत की गई सीमा रेखा है। इसमें “तवांग” को भारत का हिस्सा बताया गया था। आज ये इलाका सिर्फ अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा ही नहीं, बल्कि भारत में ‘तिब्बती बौद्ध धर्म’ का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र भी है।

चीन ने इस समझौते को कभी मान्यता नहीं दी, और अरुणाचल प्रदेश को “दक्षिण तिब्बत” कहकर अपना दावा करता रहा है। भविष्य  में अगले दलाई लामा के उत्तराधिकारी की घोषणा तवांग मुद्दे को भारत के लिए और संवेदनशील बना देगा। 

6 मार्च 2024 को यूके स्थित ” रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट, (RUSI)”  की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2030 तक भारत-चीन युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

चीन की नजर पूर्वी लद्दाख पर भी है जो उसे कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए ईरान से पाकिस्तान होते हुए, शिनजियांग इलाके तक पहुंचने में मदद करेगा। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प कोई अपवाद नहीं, बल्कि बीजिंग की विस्तारवादी नीतियों का पूर्वाभ्यास थी।

तिब्बती बिसात पर भारतीय चाल

दलाई लामा के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फाइल फोटाे

द हिन्दू (मई 2025) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपनी रक्षा संरचना पर खर्च को तीन साल में दस गुना बढ़ाकर “बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन, (BRO)” का बजट अभूतपूर्व स्तर पर पहुंचा दिया है। यह अभियान सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों की तेज़ तैनाती सुनिश्चित करने के लिए सड़कों, सुरंगों और पुलों के निर्माण को युद्धस्तर पर आगे बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 825 करोड़ रूपए की लागत से बनी “सेला टनल” का उद्घाटन किया, जो अरुणाचल प्रदेश के तवांग को असम से जोड़ती है। 

पूर्वोत्तर में अपनी रणनीतिक योजना को आगे बढ़ाते हुए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में कुल 2,626 मेगावाट की पांच बड़ी हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजनाओं को भी मंज़ूरी दी है। रॉयटर्स (जून 2025) के अनुसार, इसके साथ ही भारत ने हिमालय क्षेत्र के लगभग 600 मठों में स्थानीय पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें देश के इतिहास व स्थानीय भाषाओं को शामिल कर युवा भिक्षुओं को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया जा रहा है। 

यह कदम दर्शाता है कि भारत चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए हिमालयी सीमा पर मज़बूत आर्थिक और जल संरचना खड़ी करने को लेकर गंभीर है। हालाँकि इन सभी प्रयासों में भारत यह सुनिश्चित कर रहा है, कि चीन के साथ जटिल रिश्तों को अपूरणीय क्षति न पहुंचे।  

“बुद्धिज्म” बनाम “कम्युनिज्म”

दलाई लामा के उत्तराधिकार प्रक्रिया पर नियंत्रण, चीन की विस्तार नीति का हिस्सा है जो सीधे तौर पर भारत के सुरक्षा हितों से टकराती हैं। हिमालयी समुदायों के तिब्बती बौद्ध धर्म से गहरे सांस्कृतिक व धार्मिक जुड़ाव के साथ ही, भारत-चीन के बीच 3,488 किलोमीटर की सीमा रेखा भी है जो विवादित है। 

अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने चीन के हस्तक्षेप से मुक्त होकर तिब्बतियों को अपने आध्यात्मिक नेता चुनने का अधिकार औपचारिक क़ानूनों में दर्ज ज़रूर किया है, मगर वे चीन के पड़ोसी नहीं हैं। भारत- QWAD साझेदारी, संयुक्त सैन्य अभ्यास और अत्याधुनिक तकनीकी समझौतों के माध्यम से वाशिंगटन के करीब आ रहा है। इसीलिए उस पर यूएस के अनुसार तिब्बत नीति अपनाने का दबाव भी है।

भारत की चिंता केवल हिमालय नहीं, बल्कि कच्छ और कन्याकुमारी भी हैं। परंतु यह बुद्ध और चाण्यक्य, दोनों का देश है। निश्चित ही शांति, अहिंसा और अखंडता के बीच भारत मध्य मार्ग अपनाएगा। 

The Lens के World View प्रोग्राम में देखें भविष्य के दलाई लामा पर ये वीडियो रिपोर्ट

TAGGED:Dalai LamaIndia-ChinaTibbatTop_NewsWorld View
Previous Article Justice Yashwant Varma A collective ignominy
Next Article CBI मेडिकल कॉलेज मान्यता : सीबीआई छापेमारी में पीएम के नजदीकी और कई भाजपाई घेरे में

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

भारत 24 की एंकर शाजिया निसार अमर उजाला के एंकर आदर्श झा के साथ ब्लैकमेलिंग और उगाही के आरोप में गिरफ्तार

नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली भारत 24 न्यूज़ चैनल BHARAT 24 NEWS CHANNEL में कार्यरत एंकर…

By Lens News Network

Indignation underplayed

The sight of a 104 Indian citizens handcuffed chained and brought to their homeland in…

By The Lens Desk

अब किरण सिंहदेव की होगी अपनी कार्यकारिणी, जल्द बनेगी प्रदेश भाजपा की नई टीम

रायपुर। आज भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति और फिर विधायक दल की बैठक होगी।…

By दानिश अनवर

You Might Also Like

PRADA KOLHAPURI CHAPPAL VIVAD
दुनिया

कोल्हापुरी चप्पल विवाद: Prada कंपनी ने मानी अपनी गलती, कारीगरों को मिलेगी पहचान?

By पूनम ऋतु सेन
Violent protests in Pakistan
दुनिया

पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन, सिंध प्रांत के गृह मंत्री का घर आग के हवाले, जानें ये क्‍यों हुआ

By Lens News Network
Cabinet meeting decision
देश

पीएम धन-धान्य कृषि योजना पर 24 हजार करोड़ और रेन्वेबल एनर्जी पर खर्च होंगे 27 हजार करोड़ रुपये

By अरुण पांडेय
Inhuman torture in Israeli prison
दुनिया

यूएन के 50 से अधिक कार्यकर्ताओं पर इजरायली जेल में अमानवीय अत्याचार, कुत्ते छोड़े, मानव ढाल बनाया

By Lens News Network
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?