नेशनल ब्यूरो। दिल्ली
भारतीय स्टेट बैंक ने दिवालिया हो चुकी अनिल अंबानी के रिलायंस कम्युनिकेशंस (RLCM.NS) के लोन खाते को धोखाधड़ी वाले खाते के तौर पर चिन्हित किया है। बैंक ने 2016 के एक मामले में कथित तौर पर धन के दुरुपयोग का हवाला देते हुए इसे धोखाधड़ी बताया है।
समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार यह खुलासा रिलायंस कम्युनिकेशंस द्वारा प्रतिभूति फाइलिंग में किया गया, जिसमें एसबीआई का 23 जून का पत्र संलग्न किया गया है जिसमें भारत के सबसे बड़े लोनिंग बैंक के द्वारा इस निर्णय के पीछे के कारणों का विवरण दिया गया था।
भारतीय बैंकिंग कानूनों के तहत, जब किसी खाते को धोखाधड़ी वाला बताया जाता है, तो मामले को आपराधिक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन एजेंसियों को भेज दिया जाता है और उधारकर्ता को पांच साल की प्रारंभिक अवधि के लिए बैंकों और अन्य विनियमित वित्तीय संस्थानों से आगे वित्त प्राप्त करने पर रोक लगा दी जाती है। इससे शेयरों के लिए समस्या पैदा हो सकती है।रिलायंस कम्युनिकेशंस ने अप्रैल में बताया था कि मार्च में उसका कुल ऋण 404 अरब रुपये (4.71 अरब डॉलर) था।
एसबीआई के पत्र में यह भी कहा गया है कि वह भारतीय बैंकिंग नियमों के अनुपालन में अनिल अंबानी की रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक को देगा। रिलायंस कम्युनिकेशंस के एक प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि अंबानी, जो रिलायंस कम्युनिकेशंस के निदेशक थे, कानूनी सलाह के अनुसार इस मामले को आगे बढ़ा रहे हैं।
नोटिस का जवाब नहीं, बैंक का आदेश वापस लेने अंबानी ग्रुप की अपील
रॉयटर्स द्वारा समीक्षित एक पत्र में अंबानी के वकीलों ने बुधवार को एसबीआई से अनुरोध किया कि वह रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने वाले आदेश को वापस ले तथा उनके मुवक्किल के बारे में आरबीआई को रिपोर्ट न करे। उन्होंने कहा कि एसबीआई ने उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर नहीं दिया।
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने मंगलवार देर रात प्रतिभूति दाखिल करते हुए कहा कि उसकी दिवालियापन की कार्यवाही कंपनी को किसी अन्य प्राधिकरण और कानून की अदालत के किसी भी आदेश से बचाती है। रिलायंस कम्युनिकेशंस की फाइलिंग से पता चलता है कि बैंक द्वारा कंपनी को भेजे गए प्रारंभिक पत्र में कहा गया था कि उसने अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस को आरोपों का जवाब देने के लिए कई मौके दिए, लेकिन उनके जवाब अपर्याप्त पाए गए।