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रायपुर मेडिकल कॉलेज के छात्रों को हॉस्टल के लिए सिर्फ आश्वासन, सुविधा कब तक पता नहीं ?

पूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन
Byपूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की...
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Published: July 3, 2025 2:52 PM
Last updated: July 3, 2025 3:31 PM
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MEDICAL COLLEGE RAIPUR
MEDICAL COLLEGE RAIPUR
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रायपुर। 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे के अवसर पर डॉक्टर के कार्यक्रम में सीएम विष्णु देव साय पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ( MEDICAL COLLEGE RAIPUR ) पहुंचे थे, इस अवसर पर मेडिकल छात्रों ने हॉस्टल के डिमांड के लिए जमकर नारे लगाए ‘ we want hostel’ ke नारों से ऑडिटोरियम गूंज उठा। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी मौजूद थे। यह नारे तब लगे जब सीएम संबोधन के बाद स्टेज पर बैठे, नारे सुनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल पोडियम पर जाकर स्थिति संभालने की कोशिश की लेकिन छात्र नारे लगाते रहे।

इसके बाद द लेंस मेडिकल कॉलेज पहुंचा और वहां के बच्चों से बातचीत की, लेकिन मीडिया को देखकर शुरू में बच्चे सहम गए और कुछ भी कैमरा के सामने बोलने से मना कर दिया। बच्चों को अपने भविष्य की चिंता थी और कुछ कार्रवाई हो जाने के डर से छात्र बात करने से मना कर दिए। इसके बाद द लेंस के रिपोर्टर ने स्थिति को समझा और ऑफ द रिकॉर्ड बात करने के लिए छात्र राजी हुए।

छात्रों ने बताया की लड़कियों के लिए हॉस्टल की सुविधा है लेकिन लड़कों के लिए कोई हॉस्टल की व्यवस्था नहीं है, न्यू बॉयज हॉस्टल NBH के नाम से एक टेंपररी हॉस्टल बनाया गया है जिसमें केवल 15 से 20 लड़के रहते हैं जबकि लगभग 250 से 300 लड़कों के लिए हॉस्टल चाहिए। नाम ना लिखे जाने की कंडीशन पर बच्चों ने बताया 2022 बैच के कुछ लोगों को हॉस्टल सुविधा दी गई है, 2023 बैच के किसी भी लड़कों को हॉस्टल नहीं मिला जबकि 2024 बैच से एक लड़के को हॉस्टल सुविधा मुहैया कराई गई है जबकि 2020 बैच का एडमिशन अगस्त से सितंबर में शुरू हो जाएगा ऐसे में संख्या और बढ़ जाएगी ।

छात्रों के अनुसार हॉस्टल के लिए बिल्डिंग 2 साल से बन रही है लेकिन अभी तक कंप्लीट नहीं हुई है, इसके लिए बच्चों की तरफ से कई बार एप्लीकेशन भी दिया जा चुका है रिसीविंग तो हो जाता है लेकिन उस पर बात कोई नहीं करता, नारेबाजी के बाद बच्चों को बुलाकर समझाइश जरूर दी गई और आश्वासन भी दिया गया कि जल्द ही हॉस्टल बना लिया जाएगा लेकिन कब तक यह नहीं पता।

जिन छात्रों से द लेंस ने बातचीत की उसमें कुछ लोग मेघालय के हैं, कुछ दिल्ली के और कुछ बिहार के हैं और एक छात्र जम्मूकश्मीर का। जम्मू कश्मीर के छात्र ने बताया कि जब वो यहां एडमिशन के लिए आया था तब यह पता था कि यहां हॉस्टल की सुविधा मिलेगी लेकिन एडमिशन लेने के बाद पता चला कि अभी हॉस्टल की बिल्डिंग अंडर कंस्ट्रक्शन है और कुछ दिनों में मिलने की संभावना है लेकिन 2 साल बीत गया है अभी तक हॉस्टल की सुविधा नहीं मिली। एडमिशन के वक़्त 4 से 5 दिन तक वह छात्र और उसके परिवार को होटल में रुकना पड़ा और एक हफ्ते की मेहनत के बाद उन्हें देवेंद्र नगर में रूम रेंट पर मिल पाया।

ऐसी ही स्थिति नॉर्थ ईस्ट के छात्रों और दिल्ली बिहार के छात्रों की भी है, छात्रों ने अपनी स्थिति बताते हुए द लेंस से कहा ‘ऑटो से आने जाने में आधे से 1 घंटे का समय जाता है, ऊपर से 7000 से 10000 रुपए किराया अलग से क्योंकि कैंपस के आसपास कोई भी रिहायशी इलाका नहीं है सबसे करीब में देवेंद्र नगर का इलाका है जहां रूम रेंट बहुत महंगा है। कैंपस के बाहर सिक्योरिटी की दिक्कतें भी है। नेशनल मेडिकल काउंसिल के गाइडलाइंस के मुताबिक हर कॉलेज में बच्चों के लिए हॉस्टल की सुविधा होनी चाहिए जिसमें 70 फ़ीसदी छात्रों को हॉस्टल सुविधा दिलाना अनिवार्य है।’

बातचीत के दौरान छात्रों ने यह बताया की कॉलेज प्रबंधन को यह लगा कि हम हॉस्टल की सुविधा के लिए नहीं बल्कि हॉस्टल री-इंबर्समेंट फीस के लिए नारे लगा रहें हैं। जब प्रबंधन से बात की तब पता चला कि ये री-इंबर्समेंट केवल ऑन पेपर लिया जा रहा है जबकि उनके खातों में कोई अमाउंट ट्रांजेक्शन आज तक नहीं हुआ है। यानी हॉस्टल सुविधा के नाम से लिए जा रहे पैसे कहां जा रहें हैं इसका पता नहीं।

फिलहाल छात्रों को बारिश के दिनों में असुविधा बढ़ गई है और ऐसे में हॉस्टल की मांग हर दिन तेज हो रही है, डॉक्टर्स डे पर नारे तो लग गए लेकिन छात्रों को सिर्फ आश्वासन मिला है, अभी 2 साल से चल रहे अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग के पूरा होने और उन्हें वहां अपनी पढ़ाई पूरी हो जाने से पहले हॉस्टल मिलने का इंतजार है।

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Byपूनम ऋतु सेन
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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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