दिल्ली की राज्य सरकार ने दस साल पुराने डीजल वाहनों और पंद्रह साल पुराने पेट्रोल वाहनों को पेट्रोल पंप से ईंधन न देने का अपना फैसला भारी दबाव में वापस ले लिया है। वैसे भी यह मनमाना फैसला था और इसने दिल्ली-एनसीआर के लाखों परिवारों को अचानक एक बड़ी मुश्किल में डाल दिया था। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण वाकई एक बड़ी समस्या है, जिसकी वजह से खासतौर से सर्दियों के मौसम में लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। हालत यह हो गई थी कि सुप्रीम कोर्ट तक ने 2018 में दिल्ली में दस साल पुराने डीजल वाहनों और पंद्रह साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगा दी थी। उसके बाद 2022 में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सारे देश के लिए व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी पेश की, जिसमें इन पुराने वाहनों को स्क्रैप में डालने के एवज मे कुछ प्रोत्साहन वगैरह की पेशकश की गई थी। कुल मिलाकर यह मान लिया गया है कि दस साल पुराने डीजल वाहन और पंद्रह साल पुराने पेट्रोल वाहन वायु प्रदूषण और दमघोंटू हवा के लिए जिम्मेदार हैं। बेशक, पेट्रोल और डीजल से निकलने वाला धुआं नुकसानदेह है, लेकिन इस तरह की कोई भी नीति सभी वाहनों पर सार्वभौमिक रूप से लागू करना न केवल मनमाना कदम है, बल्कि इससे नीयत पर भी सवाल उठते हैं। देश में लाखों मध्य वर्गीय परिवार जीवनभर में एक कार खरीद पाते हैं और यह उनके सपनों की कार होती है, जिससे वे भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। वाहनों को सड़क पर उतारने के लिए पाल्यूशन सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है, जिससे वाहन की फिटनेस का पता चल ही जाता है। वाहन से कार्बन उत्सर्जन का कोई एक मानक नहीं हो सकता, क्योंकि नई खरीदी गई कार भी बेजा इस्तेमाल से बेकार हो सकती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसौदिया ने तो आरोप लगाया है कि पुराने वाहनों को इस तरह हटाने का फैसला ऑटोमोबाइल उद्योगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है! दिल्ली सरकार ने फिलहाल वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से कहा है कि वह एक जुलाई से पुराने वाहनों को ईंधन देने से रोक लगाने वाला आदेश वापस ले ले। वास्तव में वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली दूरदर्शी नीति की जरूरत है, लेकिन एक झटके में लाखों वाहनों को सड़क से बाहर करने का फैसला न तो व्यावहारिक था और न ही तार्किक।
ऐसे फैसले लेती क्यों हैं सरकारें

Popular Posts
2050 तक भारत की एक तिहाई आबादी मोटापे के गिरफ्त में, क्या कहती है स्टडी ?
मोटापा अब महामारी का रूप ले रहा है. इस बात पर लैंसेट की एक नई…
By
पूनम ऋतु सेन
Bimstec is a good opportunity
The modi Yunus meeting on the sidelines of the bimstec summit in Bangkok is a…
बेंगलुरु भगदड़ : कर्नाटक हाईकोर्ट में सरकार ने रखा अपना पक्ष, अगली सुनवाई 10 जून को
द लेंस डेस्क। Bangalore Stampede : रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के कप्तान विराट कोहली ने…
By
पूनम ऋतु सेन