[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
मध्य प्रदेश में डिप्टी एसपी के साले को पीट पीटकर मार डाला
मस्जिद में घुसकर मौलाना की पत्नी और दो मासूम बेटियों की दिनदहाड़े हत्या, तालिबानी विदेश मंत्री से मिलने गए थे मौलाना
राघोपुर से तेजस्वी के खिलाफ लड़ सकते हैं पीके, खुला चैलेंज
तालिबान की प्रेस कॉन्‍फेंस से भारत सरकार ने झाड़ा पल्‍ला, महिला पत्रकारों की एंट्री बैन पर मचा हंगामा
68 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी मामले में अनिल अंबानी के सहयोगी पर शिकंजा
टीवी डिबेट के दौरान वाल्मीकि पर टिप्पणी को लेकर पत्रकार अंजना ओम कश्यप और अरुण पुरी पर मुकदमा
बिहार चुनाव में नामांकन शुरू लेकिन महागठबंधन और NDA में सीट बंटवारे पर घमासान जारी
क्या है ननकी राम कंवर का नया सनसनी खेज आरोप?
EOW अफसरों पर धारा-164 के नाम पर कूटरचना का आरोप, कोर्ट ने एजेंसी चीफ सहित 3 को जारी किया नोटिस
रायपुर रेलवे स्टेशन पर लाइसेंसी कुलियों का धरना खत्म, DRM ने मानी मांगे, बैटरी कार में नहीं ढोया जाएगा लगेज
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
सरोकार

नेहरू ऐसे बने भारत रत्न

रशीद किदवई
Last updated: July 3, 2025 3:35 pm
रशीद किदवई
Byरशीद किदवई
Follow:
Share
Jawaharlal Nehru Story
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं

देश का पहला आम चुनाव कांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में लड़ा, जिसमें देश के पहले प्रधानमंत्री ने लगभग 40 हजार किलोमीटर की यात्राएं कीं और करीब साढ़े तीन करोड़ लोगों को सीधे संबोधित किया। यह संख्या तब भारत की जनसंख्या का दसवाँ भाग थी। इस चुनाव में ‘कांग्रेस को वोट देना यानी नेहरू को वोट देना,’ जैसा नारा दिया गया था, जिससे साफ पता चलता है कि यह पूरा चुनाव पंडित जवाहरलाल नेहरू पर केंद्रित था। नेहरू की बिटिया इंदिरा गांधी भी इस चुनाव में पिता के साथ सक्रिय थीं, जो बाद में देश की सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री साबित हुईं। कई स्थानों पर पिता के साथ उन्होंने जनसभाओं को संबोधित किया।

रशीद किदवई, वरिष्ठ पत्रकार

फिर मतदान का समय करीब आने लगा तो इंदिरा ने रायबरेली की सीट पर ध्यान केंद्रित किया, जहां से उनके पति फिरोज गांधी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। उस समय जबकि नेहरू, फिरोज व इंदिरा जैसे प्रभावशाली व लोकतंत्र में पूरी आस्था रखने वाले व्यक्तित्व देश की राजनीति पर छाए हुए थे, उसी समय कहीं वंशवाद की नींव भी पड़ गई। फिरोज की जीवनी लिखने वाले बर्टिल फॉक के मुताबिक नेहरू के दामाद की राजनीति पर अच्छी पकड़ थी। इतनी अच्छी कि अगर उनका विवाह इंदिरा से नहीं हुआ होता तो भी कांग्रेस को उन्हें लोकसभा का टिकट देना पड़ता।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी फिरोज अंग्रेजी राज का विरोध करने के कारण चार बार जेल की यात्रा कर चुके थे। कांग्रेस में उन्हें केडी मालवीय, गोविंद बल्लभ पन्त, रफी अहमद किदवई व लालबहादुर शास्त्री जैसे दिग्गज नेताओं का समर्थन प्राप्त था।

सन् 1955 की गर्मियों में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उनकी खुद की सरकार द्वारा भारतरत्न देने की घोषणा की गई। नेहरू उस वक्त यानी 1955 की जून-जुलाई में यूरोप के दौरे पर थे और यूरोप के विभिन्न देशों में तैनात भारत के राजनयिकों को साल्जबर्ग में संबोधित कर रहे थे, ऑस्ट्रिया के चॉन्सलर जूलियस राब से वियना में भेंट कर रहे थे। देश का यह शीर्ष सम्मान जब उन्हें देने की घोषणा की गई, उस समय वे वियना में ही थे।

“कला, साहित्य और विज्ञान के उत्थान तथा सार्वजनिक सेवाओं में उच्चतम प्रतिमान स्थापित करने वालों के लिए” स्थापित किए गए भारतरत्न सम्मान का यह द्वि‍तीय वर्ष था। भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश के तहत इसे कायम किया गया था। प्रथम भारतरत्न सम्मान, अपने स्थापित किए जाने के वर्ष 1954 में सी. राजगोपालाचारी, सी.वी. रमन और एस. राधाकृष्णन को प्रदान किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के संबंध अपने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से ठीक नहीं थे। दोनों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे। इसके बावजूद प्रसाद ने नेहरू को भारतरत्न प्रदान करने की पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार की।

15 जुलाई, 1955 को इस बाबत प्रसाद ने कहा, “चूँकि यह कदम मैंने स्व-विवेक से, अपने प्रधानमंत्री की अनुशंसा के बगैर व उनसे किसी सलाह के बिना उठाया है, इसलिए एक बार कहा जा सकता है कि यह निर्णय अवैधानिक है; लेकिन मैं जानता हूँ कि मेरे इस फैसले का स्वागत पूरे उत्साह से किया जाएगा…” फलस्वरूप नेहरू को देश का यह शीर्ष सम्मान प्रदान किया गया। उनके साथ ही दार्शनिक भगवानदास व टेक्नोक्रेट एम. विश्वेसरैया को भी भारतरत्न से विभूषित किया गया था।

कूटनीतिज्ञ से राजनीतिज्ञ बने शशि थरूर ने सन् 2003 में प्रकाशित हुई अपनी किताब ‘नेहरू : द इन्वेंशन ऑफ इंडिया’ में इस बाबत लिखा है, “ ‘एशिया का प्रकाश’ अब औपचारिक रूप से ‘भारतरत्न’ था।” 7 सितम्बर, 1955 को विशेष रूप से निमंत्रित प्रतिष्ठित भद्रजनों के बीच एक गरिमामय समारोह में नेहरू को भारतरत्न से विभूषित किया गया।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस सम्मान समारोह में तात्कालीन केंद्रीय गृह सचिव ए.वी. पाई ने सम्मान पाने वाली विभूतियों के नाम उच्चारित किए, लेकिन नेहरू का प्रशस्ति-पत्र नहीं पढ़ा गया। प्रशस्तियों की आधिकारिक पुस्तिका में प्रधानमंत्री का महज नाम दर्ज है। उनके द्वारा की गई सेवाओं का वहां कोई जिक्र नहीं है। सामान्यतः यह उल्लेख परम्परागत रूप से उस पुस्ति‍का में किया जाता है। पुराने दौर के लोग कहते हैं कि देश व समाज के लिए नेहरू के अप्रतिम योगदान का चंद पैराग्राफ में जिक्र करना कठिन
न होगा, इसलिए उसे छोड़ दिया गया। एक प्रतिष्ठित अखबार में छपी इस कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक,

नेहरू जब यह उपाधि प्राप्त करने मंच पर पहुँचे तो सभागार हर्षध्वनि से गूंज उठा। राष्ट्रपति ने उन्हें ‘सनद’ व मेडल से विभूषित किया। शशि थरूर ने इस मौके का उल्लेख अपनी पुस्तक में यूँ किया है—“इस समारोह में उन (नेहरू) का एक फोटो है। सफेद अचकन पर लगा हुआ सुर्ख गुलाब का फूल, लगभग किसी युवा जैसे छरहरे, खड़े-खड़े मुस्करा रहे हैं और राष्ट्रपति उनके सीने पर अलंकरण लगा रहे हैं। तब वे 66 वर्ष के थे मगर…राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक महान व्यक्तित्व के रूप में स्थापित।”

इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे Thelens.in के संपादकीय नजरिए से मेल खाते हों।

TAGGED:CongressFeroze GandhiIndira Gandhi
Previous Article Voter List Controversy चुनाव आयोग की तरफ से मतदाता सूची में संशोधन के खिलाफ लामबंदी की तैयारी, दिल्‍ली में बड़ी बैठक
Next Article CG Liquor Shop आरंग में शराब दुकान के विरोध में ग्रामीणों ने किया सद्बुद्धि यज्ञ, कल करेंगे ग्रामीण करेंगे बैठक, आगे की बनेगी रणनीति
Lens poster

Popular Posts

राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में कांग्रेस ने की न्यायिक जांच की मांग

नई दिल्ली। कांग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत…

By आवेश तिवारी

MP में चपरासी बना प्रोफेसर, 5 हजार में जांची उत्तरपुस्तिका, प्राचार्य और प्रोफेसर निलंबित

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम स्थित एक कॉलेज में तब गजब हो गया जब उत्तरपुस्तिका प्रोफेसर…

By Amandeep Singh

तेलंगाना दवा फैक्ट्री विस्‍फोट में मृृतकों की संख्‍या 36 हुई, सरकार और कंपनी देगी 1 करोड़ का मुआवजा

हैदराबाद। तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में एक दवा बनाने वाली फैक्ट्री में रिएक्टर यूनिट में…

By Lens News Network

You Might Also Like

Marine Drive
छत्तीसगढ़

रायगढ़ में ‘मरीन ड्राइव’ के लिए उजड़ती बस्ती, कांग्रेस बोली- अंधेर नगरी चौपट राजा

By Lens News
देश

नेताओं पर ईडी की कार्रवाई : 10 सालों में 193 मामले, सजा सिर्फ दो को

By अरुण पांडेय
priyank kharge
देश

विदेश मंत्रालय ने पहले रोका फिर दी इजाजत, अब प्रियांक खड़गे नहीं जायेंगे अमेरिका

By Lens News
अन्‍य राज्‍य

400 एकड़ भूमि की हरियाली तबाह कर रही सरकार, सालों पुराना है यूनिवर्सिटी और सरकार के बीच का विवाद  

By Amandeep Singh

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?