नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
पाकिस्तान जुलाई महीने के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालेगा। पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की दो साल की सदस्यता मिली है और वह मंगलवार, यानी कल से एक महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। पाकिस्तान ने 15 सदस्यीय परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में इसी वर्ष 25 जनवरी से अपना दो वर्षीय कार्यकाल शुरू किया है। 2013 के बाद यह पाकिस्तान की पहली अध्यक्षता है, और पाकिस्तान आठवीं बार सुरक्षा परिषद में शामिल हुआ है।
प्रतीकात्मक भूमिका वाला है अध्यक्ष पद
सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष पद काफी हद तक प्रतीकात्मक है, जिसमें कोई कार्यकारी प्राधिकार नहीं है, लेकिन यह मौका पाकिस्तान को ऐसे समय में मिला है, जब एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बहुत अधिक है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने तमाम मसलों पर शांतिपूर्ण समाधान के प्रति इस्लामाबाद की प्रतिबद्धता पर जोर दिया है।
पाकिस्तान के यूएन प्रतिनिधि ने क्या कहा
इफ्तिखार अहमद ने पाकिस्तान के दैनिक डॉन को दिए अपने बयान में कहा, “हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं के अनुरूप सामूहिक और समयबद्ध कार्रवाई के लिए सहयोग की भावना से परिषद के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर काम करेंगे।”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अध्यक्षता ऐसे समय में आई है, जब अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ रहा है।
राजदूत ने कहा, “पाकिस्तान ऐसे समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने जा रहा है, जब वैश्विक स्तर पर अस्थिरता बढ़ रही है, संघर्ष बढ़ रहे हैं, भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक परिदृश्य जटिल है, तथा अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे हैं।”
कश्मीर मुद्दे के गर्माने के आसार
पाकिस्तान भारत के साथ कश्मीर विवाद का मुद्दा सुरक्षा परिषद में उठा सकता है। द इकोनॉमिक टाइम्स ने खबर दी है कि भारत इस्लामाबाद की अध्यक्षता का मुकाबला करने के लिए रणनीति तैयार कर रहा है।
नई दिल्ली का ध्यान अपनी आर्थिक मजबूती और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के प्रति समर्पण पर रहेगा। भारत सीमा पार आतंकवाद की ओर भी ध्यान आकर्षित करेगा।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने पाकिस्तान पर पहलगाम हमले के पीछे आतंकवादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया है, लेकिन इस्लामाबाद ने इस आरोप से इनकार किया है। भारत ने सिंधु जल बंटवारा संधि में अपनी भागीदारी भी निलंबित कर दी है। भारत और इस्लामाबाद के बीच राजनयिक संबंध भी अभी न्यूनतम हैं।