नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
वह आहत हैं, हतप्रभ हैं, व्यथित हैं। हिंदी की एक नवोदित लेखिका को पटना के सूर्यपुरा हाउस में रेजिडेंटशिप के दौरान छेड़छाड़ का सामना करना पड़ा है। उक्त लेखिका ने सार्वजनिक तौर पर दूरदर्शन के पूर्व अपर महानिदेशक रह चुके एक सुप्रसिद्ध कवि पर गंभीर आरोप लगाए हैं, हालांकि इस मामले में अब तक कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की गई है। इस वजह से अभी हम उक्त कवि का नाम प्रकाशित नहीं कर रहे हैं लेकिन यह बता दें कि जिस कवि पर नवोदित लेखिका ने छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं उसे राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघने संगठन से निलंबित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि नई धारा नाम की संस्था द्वारा आरोपित कवि और पीड़ित लेखिका को रेजिडेंटशिप प्रदान की गई थी। कवि पर आरोप लगे कि उन्होंने पटना में नई धारा द्वारा मुहैया आवास में एक रात इस लेखिका के साथ अनुचित व्यवहार किया जिसका लेखिका ने जमकर प्रतिकार किया। मामला पुलिस में तो नहीं गया लेकिन लेखिका ने आयोजकों से शिकायत की और उक्त कवि को हफ्ते भर में ही पटना का वह आवास जहां उन्हें लंबी अवधि तक रह कर लिखा पढ़ा था, छोड़ कर जाना पड़ गया।
आरोपी कवि देश का जाना माना नाम है। इस घटना के सामने आने के बाद समूची हिंदी पट्टी में बुद्धिजीवियों में तीखी प्रतिक्रिया हुई। दिग्गज बुद्धिजीवी बंट गए! वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी से लेकर कई लेखक संगठन और प्रियदर्शन जैसे लेखक ने ,जो इस रेजिडेंटशिप के निर्णायकों में से एक थे, उस वरिष्ठ कवि के खिलाफ अपनी प्रतिक्रियाएं सार्वजनिक मंच पर जाहिर कीं। सुप्रसिद्ध कहानीकार उदय प्रकाश जहां खुलकर आरोपी वरिष्ठ के पक्ष में आ गए हैं । जनवादी लेखक संघ समेत तमाम संगठनों ने भी उस कवि के कृत्य की भर्त्सना की है।
छेड़छाड़ की शिकार लेखिका ने द लेंस से बातचीत में साफ तौर पर कहा कि मैं निराश नहीं हूं व्यथित जरूर हूं। दूसरी ओर आरोपी कवि ने अपनी सफाई में सोशल मीडिया पर कहा “अब तक के इतिहास में किसी हिंदी लेखक पर इतना सुनियोजित, घिनौना और भीषण आक्रमण शायद ही कभी हुआ हो, जो पिछले सप्ताह भर से मुझ पर हो रहा है। पिछले कुछ दिनों से मुझ पर जो मनगढ़ंत और काल्पनिक आरोप लगाए जा रहे हैं, उनसे मैं इनकार करता हूं। यह मेरे खिलाफ एक सुनियोजित षडयंत्र है, जिसमें हिंदी के बड़े घरानों के साथ, लेखक संगठन, कुछ कथित लेखक और मेरे अनगिनत दुश्मन शामिल हैं”। हालांकि यह सफाई भी बाद में उन्होंने खुद ही हटा ली।

घटना के संबंध में बताया जाता है कि नई धारा द्वारा एक चयन प्रक्रिया के बाद राइटर्स रेजिडेंसी में इन दो लेखकों को बुलाया गया था। इस चयन समिति में सुप्रसिद्ध लेखक प्रियदर्शन, ममता कालिया समेत दो अन्य भी थे। रेजिडेंसी में एक रोज रात को जब वह महिला लेखिका अपने कमरे में गयी और अपना बिस्तर ठीक कर रही थी तभी आरोपी कवि ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। इस पर उन्होंने ऐतराज जताया और शिकायत करने की बात कही तो महिला लेखिका के मुताबिक आरोपी कवि ने उनसे कहा , जाओ करो ! कौन मानेगा तुम्हारी बात?
महिला लेखिका ने द लेंस से को बताया कि आयोजकों की पहली प्रतिक्रिया तो मेरे लिए सहनुभूतिपूर्ण ही थी। उन्होंने मेरी लिखित शिकायत पर दो लोगों को भेजा जिन्होंने साक्ष्य देखने के बाद उस कवि को यहां से निकाल दिया। लेखिका ने फेसबुक पर इस घटना के बाद नई धारा को भेजी गई अपनी प्रतिक्रिया सार्वजनिक कर दी है जिसका एक हिस्सा हम ज्यों का त्यों लगा रहे हैं लेकिन लेखिका का नाम हटा रहे हैं।
“इस रेजिडेंसी में आने से पहले मुझे यह आश्वासन दिया गया था कि यहां मुझे वह माहौल मिलेगा जिससे मैं शांत चित्त से पढ़-लिख पाऊंगी। अब यहां चित्त की शांति तो दूर इस आदमी की (आरोपी कवि की) एक हरकत की वजह से मेरी सुरक्षा और नई-धारा रेजिडेंसी कार्यक्रम पर सवाल उठेंगे। साथ ही, उसकी गलत हरकत की वजह से डर के मैं यह कार्यक्रम बीच में छोड़कर नहीं जाना चाहती, क्योंकि जिसकी गलती होती है उसकी जगह सजा पीड़ित को मिले, ऐसा होने अन्याय होगा और मैं स्वयं के साथ अन्याय होते नहीं देख सकती हूं।
मुझसे कहा गया था, “मैं बताऊं, अपनी सुविधानुसार, मैं क्या चाहती हूं या तो उस कवि को वापस भेज दिया जाए या किसी को पर्मानेंट घर में देख-रेख के लिए रखा जाए। मैं इसके बीच की तीसरी चीज चाहती हूं वे (आरोपी कवि का नाम) वरिष्ठ लेखक और नीच आदमी है, इन दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए और नई धारा के सम्मान को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक रूप से ना सही, लेकिन नई धारा द्वारा भेजे गए किसी ऑफ़िशियल व्यक्ति की मौजूदगी में आरोपी कवि (नाम लिखा है) मुझसे लिखित में माफ़ी मांगे। वो बड़े लेखक हैं, अपने हाथों से एक माफीनामा अपने ऑटोग्राफ (हस्ताक्षर) के साथ लिख के दे सकते हैं मेरे लिए। यदि वो अपना माफीनामा लिखित में देने से इनकार कर दे तो उसे रेजिडेंसी छोड़कर जाने के लिए कहा जाए। उसके पास नई धारा के तरफ से औपचारिक तौर पर एक ईमेल/लेटर भेजा जाए (किसी ऑफिशियल के यहां आ जाने के बाद) जिसमें सिर्फ ये दो विकल्प रखे जायें कि वह अपनी गलती के लिए लिखित में माफी मांगे अन्यथा सूर्यपुरा हाउस छोड़कर चले जाएं। इससे मेरे आत्म सम्मान को जरूरी बल मिलेगा। कवि (नाम लिखा है) को पता होना चाहिए कि हर लड़की उसके लिए उपलब्ध नहीं है, हर लड़की चुप नहीं रहेगी, वो इतना बड़ा लेखक नहीं है कि एक आईपीएस ऑफिसर के घर के अदंर अपने से चालीस साल छोटी बच्ची के साथ छेड़छाड़ करके गर्व से नहीं घूम सकता और नई-धारा के लोगों को उसकी हरकत का पता है।
यदि साहित्यिक निवास में, साहित्यिक परिवेश में भी एक महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध छू के खुलेआम घूमा जा सकता है तो साहित्य के बाहर इसकी कितनी संभावनाएं बचेंगी। मुझे विश्वास है कि आपकी टीम मेरी मानसिक व्यथा को समझते हुए औपचारिक तौर पर इसका हल निकालेगी।” इन पंक्तियों के लिखे जाने तक ना तो आरोपी कवि ने माफी मांगी है ना ही मामला साहित्यिक मंचों से उतर कर पुलिस तक पहुंचा है।