समाचार विश्लेषण – दानिश अनवर
रायपुर। ये बहुत रूटीन की प्रशासनिक खबर है कि 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव अमिताभ जैन को अगले तीन महीनों की सेवा वृद्धि दे दी गई। लेकिन, इस खबर के आगे पीछे की खबरें दिलचस्प हैं।
दिलचस्प यह है कि 1989 बैच के आईएएस अमिताभ जैन ने 30 जून को अपना अंतिम कार्यदिवस मानते हुए सुबह राज्यपाल रमन डेका से औपचारिक मुलाकात की। फिर वे कैबिनेट की बैठक में बतौर मुख्यसचिव शामिल हुए। माना जा रहा था कि बतौर मुख्यसचिव ये उनकी अंतिम कैबिनेट बैठक थी, लेकिन प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट बैठक के खत्म होते होते दिल्ली से फरमान आया कि अमिताभ जैन को तीन महीने की सेवा वृद्धि दी जाए। सेवानिवृत्ति के गुलदस्ते सेवा वृद्धि की खुशी में तब्दील हो गए और जिन्हें उम्मीद थी कि उनके दफ्तरों में गुलदस्ते आएंगे, वहां फिर इंतजार की तख्ती टंग गई।
छत्तीसगढ़ की नौकरशाही बड़ी असमंजस में है। सिर्फ नौकरशाही नहीं राज्य की राजनीतिक सत्ता भी कुछ दिनों से इंतजार में थी कि उसे किसके नाम का फरमान जारी करना है। सोमवार को हर घंटा इसी उत्सुकता में गुजर रहा था कि सेवानिवृत्ति तीन महीने की सेवावृद्धि में बदल गई।
अमिताभ जैन की जगह जिन नामों की चर्चा थी, उनमें 1991 बैच की आईएएस रेणु पिल्ले, 1992 बैच के आईएएस सुब्रत साहू, 1993 बैच के अमित अग्रवाल और 1994 बैच के आईएएस मनोज पिंगुआ हैं।

यहां नौकरशाही में चर्चा थी कि अंतिम समय तक मनोज पिंगुआ के नाम का ही आदेश जारी हो जाएगा क्योंकि राज्य सरकार और भाजपा की पसंद श्री पिंगुआ ही माने जाते हैं। नौकरशाही के सूत्रों का कहना है कि सुब्रत साहू के लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय में पदस्थ एक अत्यंत प्रभावशाली व्यक्ति के फोन के बाद राज्य सरकार के भी कदम ठिठक गए। राज्य सरकार अपने स्तर पर फैसला कर पाने की स्थिति में नहीं थी और उसकी निगाहें दिल्ली की ओर ही थीं– दिल्ली मतलब प्रधानमंत्री कार्यालय ही। और जब उसी कार्यालय के किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति ने श्री साहू के नाम की चर्चा कर दी तो राज्य के लिए अपनी पसंद तय करना मुश्किल हो गया।

वरिष्ठता क्रम में तो अमिताभ जैन के बाद रेणु पिल्ले हैं लेकिन राज्य में उनके नाम की चर्चा भी नहीं है। एक अधिकारी याद दिलाते हैं कि ये वही रेणु पिल्ले हैं जिन्होंने कोविड काल में स्वास्थ्य का जिम्मा संभालते हुए तब भी एक दिन की छुट्टी नहीं ली थी जब खुद इनके पति आईपीएस संजय पिल्ले कोरोना से पीड़ित थे और गंभीरावस्था में अस्पताल में भर्ती थे। रेणु पिल्ले की प्रशासनिक सख्ती के ढेरों किस्से मंत्रालय में सुने जा सकते हैं और यह भी सुना जा सकता है कि वे कभी किसी मनचाही पदस्थापना के लिए कोशिश नहीं करतीं।

मनोज पिंगुआ एक ऐसे नाम हैं जिन्हें लेकर राज्य सरकार में, भाजपा में सहमति है। उन्हें एक ऐसे नौकरशाह के रूप में जाना जाता है जिन्हें केंद्र में काम का अनुभव भी है और हर तबके में जिनकी स्वीकार्यता है। छत्तीसगढ़ में उन्होंने बहुत से महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व संभाला है। अभी अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में गृह और स्वास्थ्य विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

इसी तरह 1993 बैच के आईएएस अमित अग्रवाल का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। पर उनके साथ एक सवाल यह भी है कि क्या वे केंद्र सरकार में महत्व के काम छोड़ कर आना चाहेंगे। उन्हें भी एक अत्यंत अनुभवी अफसर की तरह देखा जाता है। खासतौर पर वित्त से जुड़े मामलों में उनकी कार्यकुशलता की खासतौर पर चर्चा होती है।
जानकार कहते हैं कि मुख्यसचिव की नियुक्ति का यह मामला अपने आप में पहला माना जा रहा है, जब राज्य सरकार फैसला नहीं कर पाई। उसे केंद्र के निर्देश का इंतजार था और केंद्र सरकार ने भी इस पर फैसला लेने को तत्काल जरूरत का काम न मानते हुए फिलहाल तीन महीनों के लिए टाल दिया है।
यानि फैसला ना लेना भी एक फैसला है।