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मतदाता सूची के बहाने एनआरसी चुपके से लागू करने की साजिश, टीएमसी का बड़ा आरोप

Lens News Network
Last updated: June 28, 2025 4:00 pm
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Voter List Controversy
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द लेंस डेस्‍क। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर खड़ा हुआ विवाद अब बड़ा होता जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत सभी मतदाताओं को अपनी नागरिकता और जन्म से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने शनिवार को चुनाव आयोग द्वारा घोषित मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन को “राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को चुपके से लागू करने की साजिश” करार दिया। टीएमसी ने इस अभियान के समय पर सवाल उठाते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ इस मुद्दे को संसद के अंदर और बाहर उठाएगा।

ओ’ब्रायन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाया, “यह अभियान अचानक अभी क्यों शुरू किया जा रहा है?” उन्होंने दावा किया, “हमें सबूत मिले हैं कि यह इसलिए हो रहा है क्योंकि बीजेपी का हालिया आंतरिक सर्वेक्षण पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 46-49 सीटें मिलने का अनुमान दिखाता है। अपनी हताशा में हालात बदलने के लिए वे ऐसे कदम उठा रहे हैं।”

टीएमसी के राज्यसभा संसदीय दल के नेता ने इसे “एनआरसी को चुपके से लागू करने की साजिश” बताया। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन के दल इस मुद्दे को संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह उठाएंगे। “हम सभी इस मुद्दे पर एकमत हैं। हम संसद सत्र शुरू होने का इंतजार नहीं करेंगे। यह मामला इंतजार नहीं कर सकता,” ओ’ब्रायन ने कहा।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन नियमों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से भी अधिक खतरनाक बताते हुए आयोग पर बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। टीएमसी प्रमुख का कहना है कि यह प्रक्रिया बिहार के नाम पर शुरू की गई है, लेकिन इसका असली लक्ष्य पश्चिम बंगाल है। इस मुद्दे पर टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने भी चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आयोग बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की आड़ में एक अभ्यास चला रहा है और इसे पश्चिम बंगाल में भी लागू करने की योजना है।

इससे पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी बिहार में मतदाता सूची के विशेष संशोधन पर चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इसे रद्द करने की मांग की। सीपीआई(एम) के पोलित ब्यूरो सदस्य नीलोत्पल बसु ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को लिखे पत्र में कहा कि हालांकि मतदाता सूची की समीक्षा एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस प्रस्ताव में मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से मतदाताओं पर ही डाल दी गई है।

क्‍या है चुनाव आयोग का प्‍लान

बिहार के बाद, चुनाव आयोग इस साल के अंत तक 2026 में चुनाव होने वाले पांच राज्यों – असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल – में मतदाता सूची की समान समीक्षा करेगा। इन राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल मई-जून में समाप्त हो रहा है। गहन पुनरीक्षण अभियान में बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी की जांच करेंगे। मतदाताओं को अपनी नागरिकता, जन्म तिथि, जन्म स्थान और माता-पिता से जुड़े दस्तावेज जमा करने होंगे। इसके साथ ही, नए और पुराने मतदाताओं को एक शपथ पत्र भी देना होगा, जिसमें वे अपनी भारतीय नागरिकता की पुष्टि करेंगे। यह अभियान 26 जुलाई, 2025 तक पूरा होगा।

TAGGED:Derek O'BrienNRCTMCTop_NewsVoter List Controversy
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