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चुनाव आयोग के इंसेंटिव रिवीजन वाले दावे पर योगेंद्र यादव ने उठाया सवाल, कहा – लाखों वोट उड़ाने का खेल?

The Lens Desk
Last updated: June 28, 2025 10:16 am
The Lens Desk
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बिहार में आगामी विधान सभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन) अभियान शुक्रवार से शुरू हो गया है। पटना समाहरणालय में आयोजित कार्यशाला से इसे शुरू किया गया। इस अभियान के तहत 1 जुलाई 2025 को क्वालीफाई तारीख मानते हुए शुरू किया गया है। चुनाव आयोग के स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन शुरू करने के फैसले का लेकर अब सवाल उठने लगे हैं।

इस मसले को लेकर योगेंद्र यादव ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने, ‘बिहार में चुनाव आयोग का अभूतपूर्व, अजीब, अलोकतांत्रिक और असंभव आदेश: लाखों वोट उड़ाने का खेल?’ लिखते हुए सवाल खड़े किए। उन्होंने आगे लिखा, ‘लाखों लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कट जाएगा या फिर बिहार का चुनाव टल जाएगा।’

दरअसल, चुनाव आयोग के इंसेटिव रिवीजन के फैसले को लेकर यह सवाल खड़ा किया है। अपने इस वीडियो में दावा किया है कि अगर चुनाव आयोग इस तरह से वोटर लिस्ट का रिवीजन करता है तो लाखों वोटर्स का नाम कट जाएगा, क्योंकि चुनाव आयोग इस फैसले में यह उदावा कर रहा है कि मतदाताओं को एक फॉर्म भरना होगा और जमा करना होगा, इसके बाद ही उनका नाम मतदाता सूची में आएगा। उन्होंने अपने वीडियो में सवाल किया कि यह पहली बार हो रहा है कि चुनाव के तीन महीने पहले पूरे मतदाता सूची को नए सिरे से लिखा जा रहा है।

स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन की प्रक्रियाओं पर सवाल खड़ा करते हुए योगेंद्र ने कहा कि भारत में वोटरलिस्ट में आपका नाम है यह जिम्मेदारी आपकी नहीं सरकार की है। पहली बार वोटर से कहा जा रहा है कि आप फॉर्म भरो। अगर आप फॉर्म भरकर नहीं दोगे तो आपका नाम नहीं आएगा। पहली बार वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए आपसे देश के नागरिक होने का प्रूफ मांगा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अचानक चुनाव आयोग के दिमाग में यह बात कैसे आई है। 18 बिंदुओं में बदलाव की बात कही गई थी, लेकिन उनमें कहीं नहीं कहा गया कि हम नए सिरे से वोटर लिस्ट बनाएंगे। दिसंबर जनवरी तक बिहार में समरी रिविजन हुआ है। यानी कि पूरी वोटर लिस्ट की जांच हुई है। उसमें करीब 5 लाख नए नाम जुड़ें हैं और एक लाख नाम कटे हैं। अब एक बार फिर से लिस्ट का काम होगा तो यह अजीब फैसला है।

क्या है स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन?

चुनाव आयोग ने इस रिवीजन को लेकर दावा किया है कि बिहार में पिछला रिवीजन वर्ष 2003 में किया गया था। लेकिन वर्तमान में शहरीकरण, प्रवासन, नए मतदाताओं की संख्या में वृद्घि, मृतकों के नामों का अद्यतन न होना, और अवैध नागरिकों के नाम सूची में होने जैसी समस्याओं के चलते यह पुनरीक्षण आवश्यक हो गया है।

इस अभियान में हर मतदाता को गणना फॉर्म (Enumeration Form – EF) भरना होगा, जिसे बीएलओ (BLO) घर-घर जाकर वितरित और संग्रह करेंगे। फॉर्म भरने की सुविधा ऑनलाइन (voters.eci.gov.in) भी उपलब्ध है। बीएलओ तीन बार फॉर्म जमा करने का प्रयास करेंगे। बीएलओ फॉर्म प्राप्ति की रसीद देंगे। फॉर्म समय पर न देने पर प्रारूप सूची में नाम शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन दावा-आपत्ति अवधि में फॉर्म-6 और घोषणा पत्र के माध्यम से नाम जोड़ा जा सकेगा।

TAGGED:Biharincentive revisionTop_NewsYogendra Yadav
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