रायपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में इंडियन ओवरसीज बैंक राजिम में हुए करीब 1 करोड़ 65 लाख रुपए के गोल्ड लोन घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने शुक्रवार को चालान पेश कर दिया। आरोपियों ने 17 खाता धारकों के नाम पर गोल्ड लोन लेकर शेयर और क्रिप्टो करेंसी में निवेश किया। निवेश की गई रकम डूबने के बाद जब बैंक में गोल्ड की एंट्री में गड़बड़ी बाई गई, तब पूरे मामले का खुलासा हुआ।
इस मामले में ब्यूरो ने बैंक के तात्कालीन मैनेजर सुनील कुमार, असिस्टेंट मैनेजर अंकिता पाणिग्रही, क्लर्क योगेश पटेल और खेमनलाल कंवर को आरोपी बनाया गया है। चारों ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया है। ब्यूरो ने पहले ही इन चारों को गिरफ्तार कर लिया था। चारों आरोपियों ने बैंक के राजिम ब्रांच में 2022 को इस कारनामे को अंजाम दिया था।
ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार आरोपियों ने बैंक में किसानों के 17 इनएक्टिव खातों का इस्तेमाल कर इस घोटाले को अंजाम दिया था। आरोपियों ने इन 17 खातों के नाम से गोल्ड लोन की एंट्री दिखाई। इन 17 खाता धारकों के अकाउंट में रकम ट्रांसफर की और बैंक के लॉकर में गोल्ड की एंट्री की। इसके बाद गोल्ड के एवज में बैंक खातों में आई करीब 1 करोड़ 65 लाख रुपए का इस्तेमाल चारों ने मिलकर किया। इस रकम को आरोपियों ने क्रिप्टो करेंसी और शेयर ट्रेडिंग में निवेश किया। निवेश में जब चारों को नुकसान हुआ और बैंक में ऑडिट हुआ तो इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।
EOW ने इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 व 2018, धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में एफआईआर की थी। आरोपियों ने दिसंबर 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक इस कारनामे को अंजाम दिया।