दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) के दंतेवाड़ा में कंपनी के खिलाफ स्थानीय युवाओं का आंदोलन तेज हो गया है। 60 सालों से बैलाडीला की पहाड़ियों से लौह अयस्क निकालने वाली NMDC पर जल, जंगल और जमीन के दोहन का आरोप है। एनएमडीसी में कई पदों के भर्तियों मे स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने के मामले को लेकर संयुक्त पंचायत दंतेवाड़ा संघ के बैनर तले हजारों युवा आंदोलन कर रहे हैं।
गुरुवार को आंदोलन तब तेज हो गया जब युवाओं ने NMDC के काम को ठप्प कर दिया। समस्त कर्मचारियों को NMDC नाके से आगे जाने से रोक दिया है। युवाओ और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि प्रबंधन और प्रशासन जब तक यह लिखित अस्वासन नहीं देते कि भर्तियों मे स्थानीय दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा। इस पुरे मामले मे अब तक प्रशासन और प्रबंधन मौन है।
दरअसल, NMDC की नौकरियों में स्थानीय लोगों को कितनी हिस्सेदारी मिली? इस सवाल के साथ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करने वालों का कहना है कि भर्तियों में उनका हिस्सा नाममात्र का है। अब किरंदुल और बचेली प्रोजेक्ट्स में 765 रिक्त पदों की भर्ती की बात सामने आई है। लेकिन, स्थानीय युवा इस बार चुप नहीं हैं।
भारत के नौ रत्न कंपनी में शामिल NMDC वर्ष 1965 से दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला में स्थापित है। NMDC विगत 60 वर्षों से बैलाडीला के किरंदुल और बचेली से लौह उत्तखनन कर अन्य राज्यों और देशों को कच्चा लोहा निर्यात कर रहा है । इस लौह उत्तखनन से निकलने वाले लाल डस्ट के कारण दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा के सैकड़ो गांव प्रभावित हैं। हजारों एकड़ जमीन बंजर हो गए है सैकड़ो मवेशियां पानी में डूब कर मर चुके हैं। नलकूपों और चुवों से आयरन युक्त पानी निकलने के कारण हजारों ग्रामीण गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं।
ग्रामीणों ने कहा – ‘मांग साफ है जब तक लिखित आश्वासन नहीं मिलता कि इन भर्तियों में दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, यह आंदोलन जारी रहेगा।’ लेकिन, हैरानी की बात है कि इस पूरे मामले पर NMDC प्रबंधन और जिला प्रशासन खामोश हैं।