आम तौर पर उपचुनाव के नतीजों से किसी बड़े राजनीतिक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता, लेकिन चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों में गुजरात और पंजाब से आए संदेश महत्त्वपूर्ण हैं, जिनसे आम आदमी पार्टी को नई ताकत मिली है। केरल की एकमात्र सीट कांग्रेस की अगुआई वाली यूडीएफ ने एक तरह से एलडीएफ से छीन ली है, जहां एलडीएफ समर्थक स्वतंत्र उम्मीदवार के इस्तीफा देने से चुनाव कराने पड़े। वहीं पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट से तृणमूल कांग्रेस की अलिफा अहमद की जीत इसलिए औपचारिकता ही थी, क्योंकि यहां चुनाव उनके पिता के निधन के कारण कराना पड़ा। वैसे प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात के नतीजे खासे अहम हैं, और कांग्रेस के लिए निराश करने वाले। यहां कड़ी में भाजपा और सर्वाधिक चर्चित विसावदर सीट पर आप ने कब्जा बरकरार रखा है। विसावदर सीट पर उपचुनाव आप की टिकट पर जीतकर आए भूपेंद्र सिंह गंडूभाई भयानी के भाजपा में चले जाने से रिक्त हुई थी। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सीट से भाजपा की प्रतिष्ठा किस तरह जुड़ी थी। राज्य में आप की कुल चार सीटों में इजाफा भले न हुआ हो, लेकिन विसावदर में गोपाल इटाविया की जीत ने राज्य में आप को नई ताकत दी है। दिल्ली की सत्ता से बाहर हो चुकी आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब की लुधियाना वेस्ट में मिली जीत के भी खासे मायने हैं. क्योंकि इस सीट पर उसने राज्यसभा सदस्य संजीव खन्ना को उम्मीदवार बनाया था। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विधानसभा चुनाव हार चुके आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल अब राज्यसभा जाएंगे!