अमेरिका के ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के चौबीस घंटे भी नहीं बीते हैं कि खबर आ रही है कि ईरानी संसद ने तेल आवाजाही के महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग होर्मुज जलडमरूध्य को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
खबरों के मुताबिक ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के पैसले पर विचार कर रही है। दुनिया में 20 फीसदी तेल की आवाजाही होर्मुज जलडमरूमध्य यानी होर्मुज स्ट्रेट से होती है।
ईरानी सरकारी मीडिया प्रेस टीवी के हवाले से आई खबरों में कहा गया है कि अंतिम निर्णय देश की शीर्ष सुरक्षा संस्था के पास है, भले ही संसद ने कथित तौर पर इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी हो।
मीडिया में आए बयानों में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर और सांसद इस्माइल कोसारी ने कहा, “जलडमरूमध्य को बंद करना एजेंडे पर है और जरूरत पड़ने पर ऐसा किया जाएगा।”
उल्लेखनीय है कि 13 जून को ईरान पर इजराइल के हवाई हमले के बाद से आशंकाएं जताई जा रही थीं कि तनाव बढ़ने पर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है। इधर ईरान और इजराइल के तनाव के बीच कच्चे तेल के दाम 10 फीसदी बढ़कर 77 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हो गए हैं।
जहां तक भारत की बात है, तो उसके होर्मुज जलडमरूमध्य महत्त्वपूर्ण है। भारत के कुल 5.5 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) कच्चे तेल आयात में से करीब दो मिलियन बीपीडी इस संकरे जलमार्ग से होकर गुजरता है।
टैंकर युद्ध की याद
पश्चिम एशिया के ताजा तनाव ने 1980 के ईरान-इराक युद्ध के “टैंकर युद्ध” की याद दिला दी है। तब दोनों पक्षों ने खाड़ी में तेल टैंकरों पर हमले किए। ईरान ने सऊदी और कुवैती जहाजों के साथ ही अमेरिकी नौसेना के जहाजों को निशाना बनाया था। जवाब में तत्कालीन अमेरिकी रीगन प्रशासन ने 1987 में ऑपरेशन अर्नेस्ट विल शुरू किया, जो 1988 में ईरान एयर फ्लाइट 655 को गलती से मार गिराने के बाद ही खत्म हुआ था। उसमें 290 लोग मारे गए थे।