नई दिल्ली। विश्व आर्थिक मंच के ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2025 की रैंकिंग में भारत 131वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल के मुकाबले रैंकिंग में गिरावट हुई है। साल 2024 में भारत 129वें स्थान पर था। 148 देश इस सर्वे में शामिल हुए थे। भारत का अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन माना जा रहा है। हालांकि भारत के समग्र लैंगिक समानता स्कोर में 2024 की तुलना में 0.3 अंकों का सुधार हुआ है।
गुरुवार को यह रिपोर्ट जारी की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, मात्र 64.1 प्रतिशत समानता स्कोर के साथ भारत दक्षिण एशिया में सबसे निचले पायदान वाले देशों में से शामिल है।
पिछले साल 146 देशों का आंकलन किया गया था। तब भारत 129वें स्थान पर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जिन आयामों में समानता बढ़ी है, उनमें से एक आर्थिक भागीदारी और अवसर है, जहां स्कोर 1.9 प्रतिशत बढ़कर 40.7 प्रतिशत हो गया है। जबकि अधिकतर संकेतक मूल्य समान रहे हैं।
विश्व आर्थिक मंच की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2025 में आइसलैंड लगातार 16वें साल लिस्ट में सबसे आगे है। उसके बाद फिनलैंड, नार्वे, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड है।
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स चार प्रमुख आयामों में लैंगिक समानता का मूल्यांकन करता है। इसमें आर्थिक भागीदारी और अवसर, शिक्षा प्राप्ति का स्तर, स्वास्थ्य और राजनीतिक सशक्तीकरण शामिल हैं।
आर्थिक भागीदारी और अवसर में भारत का स्कोर 0.9 प्रतिशत अंक बढ़कर 40.7% हो गया। इस सुधार के बावजूद देश इस श्रेणी में वैश्विक स्तर पर सबसे निचले पांच में बना हुआ है, जिसकी रैंकिंग 144वीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक भागीदारी और अवसर उपसूचकांक में सबसे निचले पांच में स्थान पाने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं, सूडान (31.3%), पाकिस्तान (34.7%), इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान (34.9%), मिस्र (40.6%) और भारत (40.7%)। इन देशों में, महिलाओं को पुरुषों के लिए उपलब्ध आर्थिक संसाधनों के एक तिहाई से भी कम का उपयोग करना जारी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शैक्षिक प्राप्ति में, भारत ने 97.1% स्कोर किया, जो साक्षरता और तृतीयक शिक्षा नामांकन के लिए महिला शेयरों में सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है। भारत ने हेल्थ और सर्वाइवल में भी बेहतर समानता दर्ज की, जिसे जन्म के समय लिंग अनुपात और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा के माध्यम से मापा गया।
हालांकि, राजनीतिक सशक्तिकरण भारत के लिए एक कमजोर क्षेत्र बना हुआ है। इस श्रेणी में देश का स्कोर 2024 की तुलना में 0.6 अंक कम हुआ है। संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 14.7% से घटकर 13.8% हो गया है और मंत्री पदों पर महिलाओं का अनुपात 6.5% से घटकर 5.6% हो गया है।