द लेंस डेस्क। बिहार की सियासत ( BIHAR POLITICS )में एक के बाद एक घटनाक्रम ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कानून-व्यवस्था को लेकर तीखा हमला बोला। इसके अगले दिन JDU के वरिष्ठ नेता रणविजय सिंह लालू से मिलने राबड़ी निवास पहुंचे। और अब, लालू के जन्मदिन पर नीतीश कुमार ने खुद उन्हें बधाई दी। इन घटनाओं ने बिहार में सियासी अटकलों को हवा दे दी है। क्या विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में कोई बड़ा सियासी ‘खेला’ होने वाला है? आइए जानें पूरा माजरा और लोग क्या कयास लगा रहे हैं।
लालू ने क्या कहा था?
10 जून को लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर नीतीश कुमार और बीजेपी की गठबंधन सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि नीतीश के शासन में 65,000 हत्याएं हुईं और बिहार पुलिस भ्रष्ट, लापरवाह और नाकारा हो गई है। लालू ने पटना के बिक्रम में 24 घंटे में चार हत्याओं का जिक्र करते हुए कहा, “नीतीश ने कानून-व्यवस्था का अंतिम संस्कार कर दिया। बिहार में कोई सुरक्षित नहीं है।” यह बयान RJD की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो विधानसभा चुनाव से पहले कानून-व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है।
अगले दिन रणविजय सिंह की मुलाकात
लालू के इस हमले के ठीक अगले दिन 11 जून को JDU के कद्दावर नेता रणविजय सिंह लालू यादव से मिलने राबड़ी निवास पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात रणविजय की बेटी की शादी के लिए आशीर्वाद लेने के लिए थी। लेकिन बिहार की सियासत में ऐसी मुलाकातें शायद ही कभी सिर्फ पारिवारिक रहती हैं। रणविजय सिंह नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं और वैशाली जिले में उनकी अच्छी पकड़ है। इस मुलाकात ने सवाल खड़े कर दिए कि क्या यह सिर्फ शिष्टाचार था या इसके पीछे कोई सियासी मंशा है?
नीतीश ने दी लालू को जन्मदिन की बधाई
सबसे चौंकाने वाली बात तब हुई जब 11 जून को लालू यादव के जन्मदिन पर नीतीश कुमार ने उन्हें बधाई दी। लालू के तीखे हमले के बावजूद नीतीश का यह कदम बिहार की सियासत में शिष्टाचार के साथ-साथ सियासी नजाकत को भी दर्शाता है। नीतीश ने लालू को फोन पर या व्यक्तिगत रूप से बधाई दी, जिसे कई लोग सियासी समीकरणों को टटोलने की कोशिश मान रहे हैं। यह बिहार की उस पुरानी कहावत को चरितार्थ करता है कि ‘सियासत में न कोई स्थायी दोस्त होता है, न दुश्मन।’
बिहार में क्या कयास लग रहे हैं?
लालू के हमले और रणविजय की मुलाकात के बाद बिहार के सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं:
JDU-BJP गठबंधन में तनाव!
पिछले कुछ समय से JDU और BJP के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। नीतीश की सेक्युलर छवि और बीजेपी की रणनीति पर सवाल उठते रहे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि रणविजय की मुलाकात JDU के भीतर असंतोष का संकेत हो सकती है। क्या नीतीश फिर से महागठबंधन की ओर झुक रहे हैं?
महागठबंधन की नई कोशिश!
लालू और तेजस्वी यादव कई बार नीतीश को महागठबंधन में वापस आने का ऑफर दे चुके हैं। जनवरी 2025 में लालू ने कहा था, “नीतीश के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं।” रणविजय की मुलाकात को कुछ लोग इस ऑफर की दिशा में एक कदम मान रहे हैं। क्या यह मुलाकात गठबंधन की जमीन तैयार करने की कोशिश है? विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। RJD और JDU दोनों अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने में जुटे हैं। कुछ का मानना है कि लालू का हमला RJD के कोर वोटरों को एकजुट करने की रणनीति है, जबकि रणविजय की मुलाकात JDU के कुछ नेताओं की नरम रुख को दर्शाती है। क्या यह सियासी ड्रामा वोटरों को लुभाने का तरीका है?
पारिवारिक मुलाकात या सियासी संदेश?
हालांकि JDU और RJD दोनों ने इस मुलाकात को पारिवारिक बताया है, लेकिन बिहार की सियासत में शायद ही कोई मुलाकात बिना सियासी मायने के होती है। सोशल मीडिया पर लोग कयास लगा रहे हैं कि यह मुलाकात नीतीश और लालू के बीच बैकडोर बातचीत का हिस्सा हो सकती है। एक यूजर ने लिखा, “लालू ने पहले डांटा, फिर मुलाकात हुई। बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है।”
लालू-नीतीश का पुराना रिश्ता
लालू और नीतीश का रिश्ता बिहार की सियासत का सबसे दिलचस्प पहलू रहा है। दोनों कभी दोस्त, कभी दुश्मन रहे हैं। 2015 में दोनों ने मिलकर महागठबंधन बनाया, लेकिन 2017 में नीतीश ने RJD का साथ छोड़कर BJP के साथ गठबंधन कर लिया। इसके बाद से दोनों के बीच तनाव रहा, लेकिन समय-समय पर मुलाकातें और बयान सियासी समीकरण बदलने की ओर इशारा करते हैं। जनवरी 2025 में नीतीश ने लालू के ऑफर को ठुकराते हुए कहा था, “हम दो बार गलती कर चुके, अब नहीं करेंगे।” लेकिन रणविजय की मुलाकात ने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
JDU और बीजेपी का जवाब
लालू के हमले पर JDU और बीजेपी ने तीखा पलटवार किया। JDU नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “लालू अपने जंगल राज को भूल गए, जब अपराधी खुलेआम घूमते थे।” बीजेपी के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, “लालू के समय अपराध सत्ता की शह पर होते थे। नीतीश की सरकार अपराधियों को बख्शती नहीं।” रणविजय की मुलाकात पर दोनों दलों ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि JDU के भीतर इस मुलाकात को लेकर चर्चा चल रही है।
चुनाव पर क्या असर?
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। RJD कानून-व्यवस्था और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश में है। दूसरी ओर, NDA नीतीश के सुशासन और विकास के दावों पर भरोसा कर रहा है। रणविजय की मुलाकात और लालू के बयान ने सियासी समीकरण को और जटिल कर दिया है। अगर JDU और BJP के बीच तनाव बढ़ता है, तो महागठबंधन के लिए मौका बन सकता है। लेकिन नीतीश की रणनीति अभी साफ नहीं है।
लालू के हमले और रणविजय की मुलाकात ने बिहार की सियासत में सस्पेंस बढ़ा दिया है। क्या यह मुलाकात महागठबंधन की ओर एक कदम है, या सिर्फ शिष्टाचार? क्या नीतीश फिर से गठबंधन बदलेंगे, या NDA के साथ डटे रहेंगे? ये सवाल बिहार की जनता और सियासी जानकारों के मन में हैं। चुनाव नजदीक हैं और हर कदम पर सबकी नजरें टिकी हैं।