लेंस ब्यूरो। रायपुर
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित दल्लीराजहरा ( Dalli Rajhara Accident ) खदान क्षेत्र में बन रहे एक बांध में काम करने के लिए झारखंड से यहां लाए गए दो मजदूरों की 10 जून मंगलवार को तड़के ट्रेन से कटकर मौत हो गई। उनके दो साथी मजदूर घायल हो गए, जिन्हें बालोद के अस्पताल में भरती करवाया गया है।
पता चला कि झाऱखंड से यहां आए 11 मजदूर रेल पटरी के सहारे दल्ली राजहरा से पैदल कुसुमकसा की ओर जा रहे थे। इन मजदूरों को दल्लीराजहरा से नजदीक हितकसा में निर्माणाधीन कांक्रीट डैम में काम करने के लिए डॉयनासोर नामक कंपनी का ठेकेदार झारखंड से यहां लेकर आया था। यह कंपनी मुंबई की बताई जा रही है। यह भी पता चला है कि इन मजदूरों को यहां आए अभी महीने भर भी नहीं हुए थे। भुगतान को लेकर उनका विवाद हुआ, जिससे कंपनी कारिंदों ने उन्हें धमकाया। कंपनी के गुंडों के डर से ये मजदूर पैदल ही पटरी के सहारे कुसुमकसा जा रहे थे।
देर रात पैदल चलते ये मजदूर थक गए थे और पटरियों पर ही लेट गए थे। बताया जाता है कि तड़के चार बजे के करीब उनमें से चार मजदूर तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आए गए जिनमें से दो की मौत हो गई।
इस घटना से मजदूरों और मजदूर संगठनों में भारी नाराजगी है। निजी कंपनी बाहर से यहां मजदूर लाती है और मनमाने ढंग से उनसे काम लेना चाहती है।
मजदूर नेता शेख अंसार ने मजदूरों की मौतों के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) के प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है, जिनकी आड़ में निजी कंपनी के ठेकेदार मनमानी करते हैं। शेख अंसार ने द लेंस से कहा, भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारी चालाकी के साथ दल्ली राजहरा माइंस लीज सीमा से बाहर ग्राम हितकसा में डैम और दर्राटोला एरिया में पैलेट प्लांट बनवा रहे हैं। यहां लोहे के बुरादे से इस्पात का सहायक उत्पाद लोहे के छोटे गोले (जिसे स्थानीय भाषा में लड्डू कहते हैं) बनाया जाता है। उनका आरोप है कि पैलेट प्लांट को लीज क्षेत्र से इसलिए बाहर रखा गया है, ताकि खदान अधिनियम 1952 के प्रभाव से बचा जा सके। उनका कहना है कि हितकसा में प्लांट लगाने से इस पर केवल कारखाना अधिनियम 1948 लागू होता है।