रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ लगातार अभियान जारी हैं। इन अभियानों में सबसे ज्यादा नुकसान शहीद होने वाले जवानों और उनके परिवारों को होता है। शहीदों के परिजनों को पेंशन और अनुकंपा नियुक्ति मिलती है, लेकिन पेंशन इतनी कम होती है कि घर चलाना मुश्किल होता है। इन्हीं सब मांगों के लेकर शहीदों के परिजन गृहमंत्री विजय शर्मा के बंगले के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। ये परिवार प्रदेश के अलग-अलग जिलों से अपनी मांगो की पूर्ती करने के लिए रायपुर पहुंचे हैं। martyr family
शहीदों के परिजनों का कहना है कि जब नक्सलियों को सरेंड़र कराया जाता है तो उनके लिए सभी सुविधाएं दी जाती हैं। लेकिन जब कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिवार को सुविधाएं नहीं दी जाती हैं। नक्सलियों के लिए नीति बनाई गई है, तो शहीदों के लिए कोई नीति क्यों नहीं बनाई गई है।
कांकेर से आए एक शहीद के परिजन ने बताया कि उनका बेटा सुकमा जिले के मिनपा में शहीद हुआ था। उनके घर में उनका बेटा ही कमाता था। बेटे के शहीद होने के बाद 3050 रूपए पेंशन दी जाती है। इतनी महंगाई में घर कैसे चलेगा। इससे पहले भी हमने प्रदर्शन किया था लेकिन, की सुनने को तैयार नहीं है। जब गृहमंत्री यहां आकर मुलाकात करेंगे। तब हम अपना धरना बंद करेंगे।
एक महिला ने बताया कि उनके पति 25 साल पहले नक्सल मोर्चे पर शहीद हो गए थे। पेंशन को लेकर समस्या बनी रहती है। मेरे पति के नाम से एक सामुदायिक भवन बनाने की घोषणा की गई थी। 8 साल से मैं इसे बनवाने के लिए लड़ रहीं हूं। शहीद परिवारों के साथ इस प्रकार करना ठीक नहीं है।