ट्रेड यूनियन आगबबूला, लेंस से कहा – ‘होगा विरोध’, 9 जुलाई से पूरे देश में श्रम संगठन करेंगे आंदोलन
लेंस नेशनल ब्यूरो। नईदिल्ली/हैदराबाद
श्रम सुधार के तहत, आंध्र प्रदेश की नायडू सरकार ने मौजूदा श्रम कानूनों में संशोधन करके निजी कंपनियों और कारखानों के लिए न्यूनतम कार्य घंटों को 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे प्रतिदिन कर दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य औद्योगिक उत्पादकता को बढ़ावा देना और नए निवेश को आकर्षित करना है। हालांकि, इस निर्णय की श्रमिक यूनियनों ने तीखी आलोचना की है। वामदल इसके खिलाफ उतर आए हैं। उनका तर्क है कि यह कर्मचारी कल्याण को कमजोर करता है और दीर्घकालिक श्रम सुरक्षा को कमजोर करता है।
thelens.in से बातचीत में तमाम श्रमिक संगठनों ने इस नियम पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। आंध्रप्रदेश के माकपा के सचिव वी श्रीनिवास राव ने द लेंस से कहा है, ‘नियमों में संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार का दबाव है। ये संशोधन केवल श्रमिकों को गुलाम बनाएंगे।’ उन्होंने कहा कि आंध्र सरकार ने यह “दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय” उस समय लिया है जब देश का पूरा कार्यबल श्रम कानूनो में संशोधन के खिलाफ 9 जुलाई को हड़ताल की तैयारी कर रहा था। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश कारखाना अधिनियम के तहत किसी भी वयस्क श्रमिक से एक दिन में 9 घंटे से अधिक का काम नहीं किया जा सकता।
इंटक के राष्ट्रीय महासचिव संजय कुमार सिंह ने इस फैसले का पुरजोर विरोध करते हुए कहा है कि हमने 9 जुलाई से पूरे देश में हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा हम अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन को भी पत्र लिखे हैं कि यह आदेश श्रम कानूनों का सीधा उल्लंघन है। भारतीय मजदूर संघ भी इस फैसला का पुरजोर विरोध कर रहा हैं। राष्ट्रीय महासचिव रविन्द्र हिन्ते ने कहा है कि यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हमने बैठक बुलाई है इसमें निर्णय लेंगे कि इस मामले का विरोध किस स्तर पर किया जाए।
आंध्र सरकार ने नए श्रम कानून का बचाव करते हुए क्या कहा?
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेतृत्व वाली सरकार ने संशोधन का बचाव करते हुए दावा किया कि इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और यह व्यापक विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार होगा।
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि ये सुधार कार्य-जीवन संतुलन को बेहतर बनाने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हैं। लाइवमिंट के हवाले से नायडू ने कहा, ‘ऐसी पहल हमें बेहतर कार्य-जीवन संतुलन बनाने में मदद कर सकती है।’
नए कानून के तहत महिलाएं कर सकेंगी नाइट शिफ्ट
संशोधित कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि महिलाओं को रात 7 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति है, बशर्ते पर्याप्त सुरक्षा उपाय और परिवहन सुविधाएँ मौजूद हों। समर्थकों ने कार्यबल में लैंगिक समानता की दिशा में एक कदम के रूप में इसका स्वागत किया है, हालांकि आलोचक कार्यान्वयन और सुरक्षा उपायों के बारे में चेतावनी देते हैं।
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, ‘आंध्र प्रदेश का नया कारखाना संशोधन विधेयक महिलाओं को आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ रात की पाली में काम करने की अनुमति देता है… औद्योगिक सुधार की दिशा में एक कदम, लेकिन श्रमिकों के अधिकार और सुरक्षा सर्वोपरि रहनी चाहिए।’