द लेंस डेस्क। जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर ( SRINAGAR EID )में ईद-उल-अजहा के मौके पर ऐतिहासिक जामा मस्जिद और ईदगाह मैदान में सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं दी गई। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और कश्मीर के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक ने दावा किया है कि उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया है। इस फैसले ने कश्मीर के मुस्लिम समुदाय में निराशा और गुस्सा पैदा किया है जो इसे अपने धार्मिक अधिकारों पर हमला मान रहे हैं।
अंजुमन औकाफ जामा मस्जिद, जो श्रीनगर की 600 साल पुरानी जामा मस्जिद का प्रबंधन करती है, उसने एक बयान में कहा, “हमें बहुत दुख है कि प्रशासन ने एक बार फिर ईदगाह और जामा मस्जिद में ईद-उल-अजहा की नमाज़ की अनुमति नहीं दी। मस्जिद के दरवाजे बंद कर दिए गए और बाहर पुलिस तैनात है। यहाँ तक कि सुबह की फज्र की नमाज़ भी नहीं होने दी गई।”
मीरवाइज़ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “ईद मुबारक! लेकिन कश्मीर एक बार फिर दुखद हकीकत के साथ जागा: सातवें साल भी ईदगाह पर नमाज़ नहीं हो सकी और जामा मस्जिद को ताला लगा दिया गया। मुझे भी घर में नज़रबंद किया गया है। मुस्लिम बहुल इलाके में मुसलमानों को उनके बुनियादी धार्मिक अधिकार से वंचित करना शर्मनाक है।”

यह पहली बार नहीं है जब श्रीनगर के इन पवित्र स्थानों पर नमाज़ पर रोक लगाई गई है। 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से जामा मस्जिद और ईदगाह में ईद की नमाज़ सहित कई बड़े धार्मिक आयोजनों पर पाबंदी लगाई जा रही है। प्रशासन का कहना है कि ये कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाए गए हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि ऐसे आयोजन भारत विरोधी प्रदर्शनों में बदल सकते हैं।
मीरवाइज़ ने इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “1990 के दशक में, जब कश्मीर में उग्रवाद अपने चरम पर था, तब भी ईदगाह में नमाज़ की अनुमति थी। अब जब प्रशासन हर दिन ‘सामान्य स्थिति’ का दावा करता है, तो मुसलमानों को उनके धार्मिक स्थानों से क्यों दूर रखा जा रहा है? इसके पीछे क्या मंशा है? क्या कश्मीरी मुसलमानों की सामूहिक पहचान शासकों के लिए खतरा है?” उन्होंने इसे ‘दमनकारी और तानाशाही’ रवैया बताया।
अंजुमन औकाफ ने भी प्रशासन के रवैये को ‘मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान’ करार दिया। बयान में कहा गया, “ईदगाह और जामा मस्जिद लोगों के हैं। इन पवित्र स्थानों पर ईद जैसे खास मौके पर भी नमाज़ रोकना न केवल गलत है, बल्कि लाखों मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुँचाता है।”
विपक्षी दलों ने भी इस फैसले की आलोचना की है। पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, “सबको ईद मुबारक! लेकिन यह दुखद है कि जामा मस्जिद के दरवाजे फिर से बंद हैं और मीरवाइज़ को नज़रबंद किया गया है। यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है।” नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, जिसकी वजह से उनकी भी आलोचना हो रही है।
हालांकि, श्रीनगर के हजरतबल दरगाह और अन्य मस्जिदों में ईद की नमाज़ शांतिपूर्ण ढंग से अदा की गई। प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी थी ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ईद की बधाई देते हुए कहा, “यह त्योहार भाईचारे और एकता का प्रतीक है। मैं कामना करता हूँ कि यह शांति और खुशी लाए।”