लेंस ब्यूरो। बस्तर
नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और तेलंगाना नागरिक अधिकार एसोसिएशन ने शनिवार को आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने बीजापुर में माओवादी नेताओं को हिरासत में ले लिया है और फर्जी मुठभेड़ों में एक-एक करके मार रही है। शांति वार्ता की समन्वय समिति ने तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की बात कही है। इन आरोपों का बस्तर आईजी पी सुंदरराज (P Sunderraj) ने खंडन किया और एंटी नक्सल ऑपरेशन को कानूनी प्रावधानों के तहत चलाने का दावा किया।
संगठन की तरफ से किए गए दावे के बाद बस्तर आईजी ने बताया है कि माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन कानूनी प्रावधानों के तहत ही चलाए जा रहे हैं। सभी ऑपरेशन के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं (SOPs) का पालन किया जा रहा है। फोर्स पूरी जिम्मेदारी के साथ ऑपरेशन संचालित कर रही है।
आईजी ने बताया कि बस्तर पुलिस और इलाके में तैनात फोर्स कानून के तहत ही अपने दायित्वों को निभा रहीं हैं। हमारा उद्देश्य हमेशा से बस्तर क्षेत्र की जनता के जीवन, संपत्ति और अधिकारों की रक्षा करना रहा है।
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तेलंगाना नागरिक अधिकार एसोसिएशन ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य सुधाकर और तेलंगाना राज्य समिति के सदस्य मेलारापु अडेलू उर्फ भास्कर समेत माओवादी नेताओं को इंद्रावती नेशनल पार्क क्षेत्र में फर्जी मुठभेड़ों में मारने से पहले फोर्स ने पुलिस हिरासत में लिया था। समन्वय समिति ने लिखा कि छत्तीसगढ़ पुलिस सीआरपीएफ बलों के साथ मिलकर जो ऑपरेशन चला रही है वह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का घोर उल्लंघन है। इसके अलावा भारतीय न्याय व्यवस्था के मौलिक सिद्धांत और लड़ाकों के उपचार को नियंत्रित करने वाला अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है।
कमेटी के प्रेस नोट में साफ लिखा है कि इन ऑपरेशनों ने छत्तीसगढ़ की नागरिक आबादी के बीच आतंक का माहौल पैदा कर दिया है। कानून और व्यवस्था बनाए रखने की आड़ में परिवारों को अज्ञात, सड़ी-गली लाशें या कोई भी लाश नहीं मिलने जैसी बातें कर परिवार को परेशानियों में डाल रहीं हैं।
इन आरोपों के बाद बस्तर आईजी ने फोर्स की वैध कार्रवाइयों पर सवाल खड़े करने वाले दावों को अफवाहें फैलाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि झूठे आरोप लगाने का काम भी ये संगठन कर रहें हैं। इन संगठनों की तरफ से किया जा रहा काम न केवल भ्रामक और मनोबल गिराने वाला है, बल्कि पूरी तरह से अनैतिक और कानून के खिलाफ है, जो सच्चाई से भी कोसों दूर हैं।
आईजी ने कहा कि हमारी नियमित प्रक्रिया के तहत, हम हर ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी समय पर अपने आधिकारिक और प्रामाणिक बयानों के माध्यम से सभी संबंधित पक्षों को उपलब्ध कराते हैं। हमारी बस्तर के लोगों से अपील है कि वे किसी भी प्रकार के झूठे प्रचार या मनगढ़ंत आरोपों से गुमराह न हों।
नेशनल पार्क में दो बड़े नक्सली ढेर, मुठभेड़ पर उठाए जा रहे सवाल
बस्तर आईजी का यह बयान तब आया है, जब बीजापुर के इंदिरावती नेशनल पार्क क्षेत्र में तीन दिनों से मुठभेड़ चल रही है। इस मुठभेड़ में नक्सलियों के दो बड़े कमांडर भी मारे गए हैं। गुरुवार को सेंट्रल कमेटी मेंबर गौतम उर्फ सुधाकर को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद शुक्रवार को तेलंगाना स्टेट कमेटी का बड़ा नक्सली भास्कर उर्फ आदेलु को ढेर करने में फोर्स को सफलता मिली थी। शनिवार को भी मुठभेड़ चल रही है, जिसमें दो और नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। फोर्ल के लगातार ऑपरेशन के बाद फोर्स मुठभेड़ में कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं कर रही है।
बता दें कि यह बातें तब उठी जब हाल ही में फोर्स की तरफ से दावा किया गया था कि 2024-2025 में अब तक बस्तर रेंज में 403 माओवादी कैडरों को मुठभेड़ में मारा जा चुका है। सबसे बड़ी सफलता 21 मई को मिली, जब माओवादियों का टॉप लीडर महासचिव बसवराजू को मुठभेड़ मारा गया। इसके बाद बीते गुरुवार यानी 5 जून को बीजापुर की जंगलों में सुधाकर और शुक्रवार को भास्कर को ढेर किया गया। बसवराजू की मौत के बाद सुधाकर और भास्कर की मौत को माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
बस्तर के आदिवासी अब फोर्स और सरकाराें के साथ : आईजी
हाल ही में thelens.in को दिए इंटरव्यू में बस्तर आईजी सुंदरराज ने कहा था कि नक्सलवाद अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। नक्सलवाद की वजह से अब बस्तर का आदिवासी नहीं मारा जा रहा है, इसलिए नक्सली अब उन्हें बहका नहीं पा रहे हैं। माओवादियों तक अब बड़ी संख्या में हथियार नहीं पहुंच पा रहे हैं। उन्हें लेवी भी वसूलने में दिक्कत हो रही है। उनकी संख्या भी काफी कम हो गई है। पहले पोलित ब्यूरो और सीसी मेंबर मिलकर 40 सदस्य होते थे, लेकिन अब 15 से भी उनकी संख्या कम हो गई है। सशस्त्र नक्सलियों की संख्या भी काफी कम हो गई है। बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं। नक्सलियों और उनको सपोर्ट करने वाले संगठन इसलिए बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं कि अब बस्तर के आदिवासी फोर्स और सरकारों का साथ दे रहे हैं। विदेशी आतंकी संगठनों से भी माओवाद के रिश्ते रहने की बात सामने आई है।
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