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कोसी के पेट में बसे गांवों की कहानी : तमाम प्रदर्शन के बावजूद सरकार नहीं सुनती

Lens News Network
Last updated: June 4, 2025 1:07 pm
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flood of kosi river
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बिहार का शोक कोसी नदी! जिसे मां भी कहा जाता है और डायन भी। मां इसलिए कि ये लाखों लोगों को जीवन देती है और डायन इसलिए कि प्रत्येक साल कई जिंदगियां खत्म कर देती है। कोसी में हर साल आने वाली बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिए 1953-54 में कोसी प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो, तत्कालीन राष्ट्रपति गांव वालों को मनाने बिहार के सुपौल जिला पहुंच गए थे। आखिरकार कोसी बांध बनकर तैयार हो गया।

खबर में खास
उपेक्षा के शिकार हैं कोसी तटबंध में बसे लोगआम लोगों की समस्या

सरकार का मकसद था कि कोसी के दोनों तरफ तटबंध बनाकर कोसी का पानी एक सीमित धारा में ही सिमटा रहे और इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सके। लेकिन इसके उलट तटबंध बनने के बाद करीब चार लाख हेक्टेयर जमीन बर्बाद हो गई। तटबंध भीतर गांव के लोग हर साल बाढ़ और सरकारी व्यवस्था से मुकाबला करते हैं।

350 से भी अधिक गांवों के लाखों लोग चक्की के दो पाटों में बीच फंस गए। सरकारी वादे के मुताबिक घर बनाने के लिए जमीन दी जानी थी। बाढ़ से मुक्ति का वादा किया गया था। सब वादे खोखले साबित हुए हैं।

सहरसा जिला स्थित महिषी पंचायत के रहने वाले बब्बू ठाकुर बताते हैं, “जहां जमीन मिली, वहां से रोज यहां आकर खेती करना संभव नहीं था। कई लोगों को कागज पर ही जमीन का आवंटन हुआ है, तो कई लोगों का हुआ ही नहीं है। अब हर साल बाढ से लड़ना हमारी नियति बन चुकी है।”

उपेक्षा के शिकार हैं कोसी तटबंध में बसे लोग

अपने अधिकारों के लिए कोसी तटबंध के भीतर बसे लोग लगातार धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। शायद कभी इनकी आवाज सरकारी महकमों तक पहुंच सके। इसी कड़ी में कटाव की विभीषिका झेल रहे पीड़ितों ने सोमवार यानी 2 जून को कोसी नवनिर्माण मंच के बैनर तले निर्मली अनुमंडल कार्यालय गेट के समीप धरना दिया। कोसी नवनिर्माण मंच के जरिये कोसी पीड़ित धरना प्रदर्शन, पैदल यात्रा और बैठक के जरिये अपनी मांग को सरकार के सामने लगातार रखते हैं।

इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे मंच के संस्थापक महेंद्र यादव ने कहा, “कोसी तटबंध के भीतर बसे हजारों परिवार आज भी सरकारी उपेक्षा के शिकार हैं। कई परिवारों को अभी तक पुनर्वास नहीं मिला है। वर्षों से बाढ़ और कटाव से जूझ रहे ये लोग आज भी छप्पर और कच्चे घरों में जीवन बिताने को मजबूर हैं। विगत वर्ष आई बाढ़ में घर, खेत की फसलें सहित जरूरी सामान सब कुछ बह गया, लेकिन सरकार ने अब तक ना तो पूरी क्षतिपूर्ति दी और ना ही कोई स्थायी समाधान निकाला। यदि तटबंध के बाहर पुनर्वास होता तो वे इस नरक से बाहर निकलते।”

इस धरना प्रदर्शन में शामिल युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि, “कोसी के लोग लाखों के न्याय की लड़ाई लड़ रहे है। इनके द्वारा उठाई गई मांगों के साथ हूं। इस बार बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी आंदोलनों के साथ संवाद और समन्वय बनाकर काम कर रही है और आमजन के असल मुद्दों को पूरी मजबूती से उठाएगी।”

धरना प्रदर्शन में मुख्य रूप से नौ सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया था। जिसमें मुख्य रूप से शामिल था कि कोशी तटबंध के भीतर रह रहे विभिन्न कारणों से पुनर्वास से वंचित लोगों का सर्वे कराया जाएं। मानसून के मद्देनजर कोशी तटबंध के भीतर सभी घाटों पर सरकारी नावों की बहाली अविलम्ब की जाए। सभी कटाव पीड़ितों को गृह क्षति का लाभ मिले। तटबंध के भीतर उप-स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना हो एवं कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय व प्रभावी बनाया जाए। इसके साथ ही तटबंध के भीतर सभी रैयतों से चार हेक्टेयर तक माफ लगान की वसूली पर रोक लगाने की मांग है।

आम लोगों की समस्या

आंदोलन में शामिल ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके है। राजधानी तक पैदल यात्रा कर अपनी समस्या को सरकार के सामने कहने की कोशिश की। हालांकि अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

कोसी नव निर्माण मंच के इंद्र नारायण यादव बताते हैं कि, “अमेरिका में कई बांधों को तोड़ा गया है। कोसी बांध से भी नुकसान हैं फायदा नहीं है। इस बांध को तोड़कर ही तटबंध के भीतर बसे गांव के लोगों का बेहतर किया जा सकता है।”

आंदोलन में शामिल प्रमोद बताते हैं कि, “इस इलाके के अधिकांश मर्द कमाने के लिए बाहर चले जाते हैं। ऐसे में बाढ़ के वक्त महिलाएं और बच्चे त्रासदी झेलते हैं। सरकार मुआवजा के नाम पर चंद रुपया दे देती है। जहां जमीन मिली है, वहां सिर्फ रह सकते हैं खेती नहीं कर सकते। खेती करने के लिए कोसी तटबंध के बीच अपने गांव आना ही पड़ेगा।”

कोसी नवनिर्माण मंच के प्रतिनिधियों ने निर्मली एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गयी तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

:: लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं ::

TAGGED:Big_NewsBiharfloodkosi river
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