द लेंस डेस्क। पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुए भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधि दुनिया भर में अलग-अलग मंचों पर अपनी बात रख रहे हैं। यह पहली बार होगा जब दोनों के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल एक ही दिन मंगलवार को वाशिंगटन में मौजूद हैं। हालांकि दोनों नेताओं की मुलाकात का कोई औपचारिक कार्यक्रम नहीं है।
भारत की ओर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर और पाकिस्तान की ओर से बिलावल भुट्टो-जरदारी इस उच्च-स्तरीय वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं। यह बैठक वैश्विक नेताओं के सम्मेलन (GLBS) के तहत हो रही है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच तनाव कम करना और आपसी सहयोग के रास्ते तलाशना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कूटनीतिक मुलाकात भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के महीनों में बढ़े तनाव को देखते हुए अहम मानी जा रही है। कश्मीर मुद्दे, सीमा पर तनाव और व्यापारिक मतभेदों जैसे कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है। इस बैठक में दोनों पक्ष इन मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने और समाधान की दिशा में कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं।
शशि थरूर, जो अपने कूटनीतिक कौशल और वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष रखने के लिए जाने जाते हैं, ने इस मुलाकात को “सकारात्मक दिशा में एक कदम” बताया है। वहीं, बिलावल भुट्टो-जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान रचनात्मक बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन वह अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक समुदाय भारत-पाकिस्तान संबंधों पर बारीकी से नजर रख रहा है। अमेरिका, जो इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, ने दोनों देशों से संयम और सहयोग की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में कुछ प्रगति हो सकती है, लेकिन ठोस परिणाम निकलना अभी चुनौतीपूर्ण है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा
शशि थरूर, जो अपनी कूटनीतिक समझ और वैश्विक मंचों पर प्रभावी वक्तव्यों के लिए जाने जाते हैं, भारतीय संसद के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। दूसरी ओर, बिलावल भुट्टो, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष, अपने देश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों नेता अपने-अपने देशों की नीतियों को मजबूती से पेश करने के लिए जाने जाते हैं, जिसके कारण इस संयोग को वैश्विक मीडिया में खासा महत्व दिया जा रहा है।
वाशिंगटन में दोनों प्रतिनिधिमंडलों की मौजूदगी को लेकर वैश्विक स्तर पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह संयोग भारत और पाकिस्तान के बीच अप्रत्यक्ष संवाद का आधार तैयार कर सकता है, जबकि अन्य का कहना है कि दोनों देशों के बीच गहरे मतभेदों के कारण कोई ठोस परिणाम निकलना मुश्किल है।