द लेंस डेस्क। बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला है। देश के केंद्रीय बैंक ने रविवार को नए डिजाइन के बैंक नोट जारी किए, जिनमें बांग्लादेश के संस्थापक और ‘राष्ट्रपिता’ शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर को हटा दिया गया है। यह कदम पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के परिवार की विरासत को मिटाने की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है, जो 5 अगस्त 2024 को हिंसक छात्र आंदोलन के बाद देश छोड़कर भारत चली गई थीं।
नए करेंसी नोट में मुजीबुर रहमान की तस्वीरों की जगह प्रसिद्ध कलाकृति और मंदिरों की तस्वीरें छापी गईं। 1971 में देश के गठन के बाद से सभी बैंक नोटों पर बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति की तस्वीर छपी है। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पिछले साल बांग्लादेशी मुद्रा को चरणबद्ध तरीके से बदलने की योजना की घोषणा की थी, जिसमें ‘बांग्लादेश की ऐतिहासिक और पुरातात्विक वास्तुकला’ को शामिल करते हुए नई थीम शामिल की गई थी।
यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश ने अपनी मुद्रा में बदलाव किया है। 1972 में स्वतंत्रता के बाद, शुरुआती नोटों पर देश का नक्शा छापा गया था। बाद में शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरें शामिल की गईं।
पुराने नोट प्रचलन में रहेंगे
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1000, 50 और 20 रुपये के नए नोट बाजार में आए, जिन पर हिंदू और बौद्ध मंदिरों और प्रसिद्ध कलाकृतियों की तस्वीरें हैं। अधिकारियों ने इस सप्ताह की शुरुआत में संकेत दिया था कि सभी मूल्यवर्ग के बैंक नोटों के लिए नए डिजाइन पेश किए जाएंगे। हालांकि, ईद से पहले पहले चरण में केवल इन राशियों को ही शामिल किया जाएगा। नए संशोधित करेंसी नोट शुरू में ढाका में बांग्लादेश बैंक के मुख्य कार्यालय से जारी किए जाएंगे। बांग्लादेश के संस्थापक पिता की तस्वीर वाले मौजूदा नोट और सिक्के नए नोटों के साथ-साथ प्रचलन में बने रहेंगे।
मानव चित्र बिना जारी होंगे नए नोट
बांग्लादेश बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने कथित तौर पर एएफपी को बताया, “नई श्रृंखला और डिजाइन के तहत, नोटों पर कोई मानव चित्र नहीं होगा, बल्कि इसके बजाय प्राकृतिक परिदृश्य और पारंपरिक स्थल प्रदर्शित किए जाएंगे। नए नोट केंद्रीय बैंक के मुख्यालय से जारी किए जाएंगे, और बाद में देश भर के अन्य कार्यालयों से भी जारी किए जाएंगे।”
शेख मुजीबुर रहमान के बारे जानिए
शेख मुजीबुर रहमान, जिन्हें ‘बंगबंधु’ के नाम से जाना जाता है, बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। 1971 में पाकिस्तान से आजादी दिलाने में उनकी अहम भूमिका थी, जिसके बाद वे देश के पहले राष्ट्रपति और बाद में प्रधानमंत्री बने। शेख हसीना, उनकी बेटी, ने अवामी लीग के नेतृत्व में 2009 से 2024 तक बांग्लादेश पर शासन किया। मुजीबुर रहमान की तस्वीरें और मूर्तियां बांग्लादेश में राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक मानी जाती थीं और उनकी छवि सभी बैंक नोटों पर मौजूद थी।
शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरों को हटाने का निर्णय केवल एक डिजाइन परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश की बदलती राजनीतिक दिशा को दर्शाता है। जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन, जो सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ था, बाद में हिंसक हो गया और शेख हसीना को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस आंदोलन के दौरान, मुजीबुर रहमान की मूर्तियों और तस्वीरों पर हमले हुए और उनकी विरासत को ‘फासीवादी’ बताकर हटाने की मांग उठ चुकी है।