नेशनल ब्यूरो। न्यूयार्क
एक अमेरिकी संघीय अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने अधिकार का अतिक्रमण करते हुए दुनिया भर के देशों में व्यापक टैरिफ लगाया है। अदालत द्वारा जवाबी टैरिफ की कार्रवाई को रोकने के आदेश दे दिए गए। गौरतलब है कि ट्रंप को टैरिफ पॉलिसी की वजह से कंपनियों से लेकर आम अमेरिकियों तक सभी के लिए आयात की लागत बढ़ गई है। यह फैसला उस वक्त आया है जब टैरिफ को लेकर अमेरिकी दबाव के बीच भारत से व्यापारिक समझौते की बात चल रही है।
ट्रंप प्रशासन की जवाबी अपील
अदालत के आदेश ने बाद प्रशासन ने बुधवार रात को इस निर्णय के विरुद्ध तुरंत अपील कर दी, जिससे उपभोक्ताओं और कंपनियों के लिए स्थिति अनिश्चित हो गई है। सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या ट्रम्प के आयात शुल्क लागू रहेंगे।
लिब्रेशन डे टैरिफ पर भी रोक
मैनहट्टन में यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के तीन न्यायाधीशों के पैनल ने ट्रम्प के वैश्विक टैरिफ को रोक दिया, जिसे उन्होंने आपातकालीन आर्थिक शक्तियों का हवाला देते हुए लगाया था, जिसमें 2 अप्रैल को घोषित “लिबरेशन डे” टैरिफ भी शामिल थे। यह ट्रम्प को इस साल की शुरुआत में भारत, चीन, मैक्सिको और कनाडा के खिलाफ लगाए गए अपने टैरिफ को लागू करने से भी रोकता है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका में आने वाले फेंटेनाइल से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में कायम रहा तो सभी टैरिफ पर रोक
न्यायालय ने स्थायी निषेधाज्ञा के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे संभवतः ट्रम्प के वैश्विक टैरिफ को अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ “सौदे” पर पहुंचने से पहले ही रोक दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि यदि अपील में और संभवतः सुप्रीम कोर्ट में भी यह फैसला कायम रहता है, तो ट्रम्प के अधिकांश – लेकिन सभी नहीं – टैरिफ पर रोक लग जाएगी।
भारत पर लगाया था 26 फीसदी टैरिफ
यह आदेश भारत पर 26 फीसदी टैरिफ चीन पर ट्रंप के 30 फीसदी टैरिफ, मेक्सिको और कनाडा से आयातित कुछ वस्तुओं पर उनके 25 फीसदी टैरिफ और संयुक्त राज्य अमेरिका में आने वाले अधिकांश सामानों पर 10 फीसदी सार्वभौमिक टैरिफ को रोकता है। हालांकि, यह ऑटो, ऑटो पार्ट्स, स्टील या एल्युमीनियम पर 25 फीसदी टैरिफ को प्रभावित नहीं करता है, जो व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के अधीन थे । गौरतलब है कि भारत पर लगाए गए टैरिफ को पहले ही 8 जुलाई तक बैन किया गया है।