नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा के महज 18 दिनों बाद इस बात के संकेत मिलते हैं कि नई दिल्ली और वाशिंगटन अगले महीने तक अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा है कि भारत उन चुनिंदा समूहों में शामिल है जिनके साथ समझौते अंतिम चरण के करीब हैं। कहा जा रहा है कि दोनों देश 25 जून तक अंतरिम समझौते पर सहमत हो सकते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर दिब्येंदु मैती इसे ब्लैकमेलिंग कहते हैं। द लेंस से हुई बातचीत में कहा कि भारत के पास निर्यात करने के उत्पाद कम हैं जबकि अमेरिका के पास ज्यादा। वह उदाहरण देते हैं कि अमेरिकी भारतीय सस्ती दवाएं खरीदते हैं लेकिन इस बातचीत का विरोध वहां भी हो रहा क्योंकि अगर भारत ने टैरिफ लगाया तो अमेरिका में भी दाम बढ़ जाएगा। जो बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही है वह डिफेंस डील को लेकर है जिसका कोई विवरण अभी उपलब्ध नहीं है यह देखना होगा कि अमेरिका क्या कुछ रक्षा उत्पाद भारत को बेचना चाहता है।
व्यापार के प्रस्ताव के साथ सीजफायर
महत्वपूर्ण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीज फायर की घोषणा करते वक्त कहा था कि हम आप लोगों के साथ व्यापार करने जा रहे है। इसके पहले 2 अप्रैल को अमेरिका ने भारत पर 26 फीसदी पारस्परिक शुल्क लगाने का ऐलान किया था लेकिन इसे 9 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया है। इस बीच दोनों पक्ष प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं।
युद्ध समाप्ति के बाद बातचीत तेज
यह बात महत्वपूर्ण है कि सीजफायर के बाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते की कवायद में जबरदस्त तेजी आई है। इस समझौते को अमली जामा पहनाने के लिए भारत के मुख्य वार्ताकार वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने पिछले सप्ताह अपनी चार दिवसीय वाशिंगटन यात्रा पूरी की। उन्होंने प्रस्तावित समझौते पर अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ बातचीत की।वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी पिछले सप्ताह वाशिंगटन में थे और उन्होंने अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक से दो बार मुलाकात की। दोनों देशों ने प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को इस वर्ष के अंत (सितंबर-अक्टूबर) तक पूरा करने की समय सीमा तय की है।
लगातार चौथे साल अमेरिका सबसे बड़ा साझेदार
अमेरिका लगातार चौथे साल 2024-25 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहेगा, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 131.84 बिलियन डॉलर का होगा। भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और देश के कुल वस्तु व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। दोनों व्यापारिक साझेदार 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखते हैं।
क्या क्या होगा ट्रेड
द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारत, अमेरिका के साथ प्रस्तावित समझौते में कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, रसायन, अंगूर और केले जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए शुल्क रियायत की मांग कर रहा है। दूसरी ओर अमेरिका कुछ औद्योगिक वस्तुओं, ऑटोमोबाइल (विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन), वाइन, पेट्रोकेमिकल उत्पाद, डेयरी, तथा कृषि उत्पादों जैसे सेब, वृक्ष गिरी और जीएम फसलों जैसे क्षेत्रों में शुल्क रियायत चाहता है।
स्थानीय उद्योगों में हड़कंप
अमेरिका के साथ समझौते की खबर के बाद डेयरी उद्योग में हड़कंप की स्थिति है गौरतलब है कि भारत का डेयरी निर्यात पिछले वर्ष 8.22 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन अमेरिका भारत के डेयरी बाजार तक अधिक पहुंच के लिए दबाव बना रहा है, जो उच्च आयात शुल्क और गैर-टैरिफ बाधाओं से सुरक्षित है। देश के सबसे बड़े डेयरी ब्रांड अमूल के मालिक गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता का यह बयान पिछले सप्ताह चर्चा में रहा था “यह जरूरी है कि हम उन्हें अपने बाजारों में बहुत सस्ते दामों पर प्रवेश न दें। “मेहता ने कहा, “वे अपना बचा खुचा माल हमारे देश में फेंकने का इरादा रखते हैं, जिसे हम वहन नहीं कर सकते।”
विपक्ष ने खोला मोर्चा
इस बीच कांग्रेस इस नए व्यापारिक समझौते के पहले ट्रंप द्वारा टैरिफ को लेकर दी जाने वाली धमकों को लेकर हमलावर हो गई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि प्रधानमंत्री को देश को यह बताना चाहिए कि क्या यह सच है कि अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने 23 मई 2025 को न्यूयॉर्क स्थित यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में एक बयान दायर कर कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक ‘कमज़ोर युद्धविराम’ कराने और ‘नाजुक शांति’ स्थापित करने के लिए अपने टैरिफ अधिकारों का इस्तेमाल किया था?