रायपुर। छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से मंगलवार को ही युक्तियुक्तकरण का फैसला लिया है। शिक्षकों ने बुधवार को तूता माना में धरना-प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में शिक्षक इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद शिक्षकों ने मंत्रालय का घेराव भी किया। पुलिस की तीन लेयर की सिक्योरिटि में दो लेयर तोड़कर शिक्षक मंत्रालय की ओर आगे बढ़े। शिक्षकों का कहना है कि हम युक्तियुक्तकरण के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन सरकार जो फैसला लिया है वो शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार नहीं है। इससे भविष्य में बेरोजगारी बढ़ेगी। Teachers Protest
छत्तीसगढ शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष केदार जैन ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जो गलतियां की हैं,उन गलतियों को छुपाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री को गलत जानकारी दे रहे हैं। प्रदेश के शिक्षक इस प्रक्रिया का विरोध नहीं कर रहे हैं। जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। वहां जो शिक्षक हैं उनको वहां पर भेजा जाए इसका हम लोग विरोध नहीं कर रहे हैं। हम चाहते हैं 2008 का सेटअप यथावत रखा जाए। सरकार 40 हजार पदों को समाप्त करना चाह रही है। 10 हजार से ज्यादा स्कूलों को मर्ज करके 10 हजार प्रधान पाठकों को समाप्त करना चाह रही है। इसका पूरे प्रदेश के शिक्षक विरोध कर रहे हैं।
शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष विरेंद्र दुबे ने कहा कि पूरे प्रदेश में अतिशेष शिक्षक हैं। इनके लिए नियुक्ति निकाली गई है। अतिशेष शिक्षकों को शाला विहीन और एकल शिक्षक स्कूलों में भेजा जाए। हमारी मांग यही है कि 2008 के सेटअप से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं किया जाए। उसके बाद सरकार यदि युक्तियुक्तकरण करती है। शिक्षक संघ उसका विशेष विरोध नहीं कर रहा है। यदि 2008 के सेटअप से छेड़छाड़ की जाएगी। तो हम पूरे प्रदेश के शिक्षक आंदोलन करेंगे। हम भी चाहते हैं सरकार हमसे बातचीत करें और बीच का रास्ता निकाले। यदि सरकार उचित निर्णय लेती तो हम एक बड़े आंदोलन के रूपरेखा हम तैयार कर रहे हैं।
प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने कहा कि शिक्षक संवर्ग का आंकलन और मूल्यांकन तो प्रतिवर्ष अनेक मापदंडों पर विद्यार्थियों, विद्यालयों, पालकों व विभाग द्वारा किया ही जाता है लेकिन उस प्रशासनिक संवर्ग का आंकलन कभी नहीं किया जाता जिनकी नीतियों और निर्देशों पर शिक्षक संवर्ग को कार्य करना पड़ता है अर्थात् नीतिगत एवं प्रशासनिक विफलताओं के लिए भी शिक्षक संवर्ग ही जिम्मेदार ठहराया जाता है।
शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधि ने कहा कि इससे बेरोजगारी बढ़ेगी, पद खत्म होगा। सब लोग अतिशेष में होते जाएंगे। अगर इस तरह की सरकार व्यवस्था करेगी तो सरकारी स्कूलों में संख्या भी घटेगी। सरकार का जो नियम है यह निजीकरण की ओर ले जाने का प्रयास है। कल गरीब के बच्चे, जो रिक्शा वाले के बच्चे हैं, जो मजदूर के बच्चे हैं। जिनको हमारे टीचर लोग पढ़ते हैं, उसे नया भविष्य देते हैं। आप देखेंगे तो हमारे सरकारी स्कूल के बच्चों ने टॉप किया है। आज जब सरकारी स्कूल अपना परफॉर्मेंस अच्छा दे रही है। उसके बाद भी सरकार का इस तरह का रवैया तो तानाशाही है। हमको पहली बार गर्मी में आंदोलन करना पड़ रहा है। सरकार नहीं चेतेगी तो आने वाले दिनों में तालेबंदी की स्थिति होगी।