द लेंस डेस्क। मणिपुर (manipur) में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार बनाने का दावा पेश कर नया सियासी मोड़ ला दिया है। राज्य में फरवरी 2025 से लागू राष्ट्रपति शासन के बाद यह पहला मौका है जब भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने सरकार गठन की दिशा में ठोस कदम उठाया है। भाजपा के 8 विधायकों, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के 1 विधायक और 1 निर्दलीय विधायक सहित कुल 10 विधायकों ने इम्फाल के राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सरकार बनाने के लिए आवश्यक समर्थन होने का दावा किया।
राष्ट्रपति शासन के बीच सरकार बनाने का दावा
मणिपुर में फरवरी 2025 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राजनीतिक अस्थिरता के चलते राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। बीरेन सिंह ने 9 फरवरी 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात के बाद इस्तीफा दिया था। इसके बाद भाजपा नेतृत्व ने उनके उत्तराधिकारी के चयन में सहमति नहीं बन पाने के कारण 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। यह कदम मणिपुर में मई 2023 से चली आ रही मेतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा के बीच उठाया गया, जिसमें 250 से अधिक लोगों की जान गई और हजारों विस्थापित हुए।
भाजपा की रणनीति
manipur: 21 फरवरी 2025 को भाजपा विधायकों ने पार्टी की राज्य इकाई अध्यक्ष ए. शारदा देवी से मुलाकात कर नेतृत्व परिवर्तन और सरकार गठन पर चर्चा की थी। विधायकों ने दावा किया था कि पार्टी में कोई विभाजन नहीं है और जल्द ही संयुक्त बैठक बुलाकर नया नेतृत्व चुना जाएगा। विधायक युमनाम खेमचंद सिंह ने कहा था, “हम एकजुट हैं और जल्द ही सरकार गठन की दिशा में कदम उठाएंगे।”
आज की मुलाकात में विधायकों ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपा। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि नया मुख्यमंत्री कौन होगा। संभावित उम्मीदवारों में विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह और शहरी विकास मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह जैसे नाम शामिल हैं।
क्या बोला विपक्ष
कांग्रेस ने इस घटनाक्रम पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन पहले वह राष्ट्रपति शासन को भाजपा की नाकामी का प्रतीक बता चुकी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश और मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों पर मणिपुर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफलता का आरोप लगाया था।
अब आगे क्या होगा
राष्ट्रपति शासन के दौरान विधानसभा को निलंबित (Suspended Animation) रखा गया है, जिसका मतलब है कि इसे भंग नहीं किया गया। इससे भाजपा को नया नेतृत्व चुनकर सरकार बनाने का मौका मिल सकता है। लोकसभा और राज्यसभा ने अप्रैल 2025 में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दी थी, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया था कि सरकार जल्द से जल्द शांति बहाली और सामान्य स्थिति की ओर बढ़ना चाहती है।
मणिपुर में सरकार गठन की यह कोशिश क्या रंग लाएगी, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। फिलहाल, सभी की निगाहें राजभवन और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी हैं, जो इस संकटग्रस्त राज्य में स्थिरता लाने की दिशा में अगला कदम तय करेंगे।