द लेंस डेस्क। कर्नाटक के कलबुर्गी में एक विवाद ने तब तूल पकड़ा जब भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) एन. रविकुमार ने डिप्टी कमिश्नर (डीसी) और आईएएस अधिकारी फौजिया तरन्नुम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। रविकुमार ने 24 मई को बीजेपी के ‘कलबुर्गी चलो’ विरोध प्रदर्शन के दौरान फौजिया पर कांग्रेस सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया और उनकी राष्ट्रीयता पर सवाल उठाते हुए कहा, “पता नहीं कलबुर्गी की डीसी पाकिस्तान से आई हैं या यहां की आईएएस अधिकारी हैं।”
विवाद के बाद कलबुर्गी के स्टेशन बाजार पुलिस स्टेशन में रविकुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। यह शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता दत्तात्रेय इलकालकी ने दायर की थी।
रविकुमार ने बाद में अपने बयान को “गलत और अनजाने में की गई टिप्पणी” बताते हुए माफी मांगी और इसे वापस लिया, लेकिन कई अधिकारियों और संगठनों ने उनकी माफी को अपर्याप्त माना।
फौजिया तरन्नुम ने इस विवाद पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की और कहा, “मैं इस मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहती। यह मेरा निजी निर्णय है और इसे सम्मान किया जाना चाहिए। मैं अपने काम को बोलने देना चाहती हूं।” उनके इस रुख की प्रशंसा हुई, और कई नेताओं और संगठनों ने उनके पेशेवर रवैये और समर्पण की सराहना की।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में मध्य प्रदेश के एक बीजेपी नेता द्वारा भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ भी इसी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी।
कौन हैं आईएएस फौजिया तरन्नुम
फौजिया तरन्नुम 2014 बैच की आईएएस अधिकारी, कलबुर्गी की उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने 2011 में यूपीएससी परीक्षा पास कर भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में प्रवेश किया था और बाद में 2014 में 31वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनीं।
वह अपनी उत्कृष्ट सेवा के लिए जानी जाती हैं और 2024-25 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सर्वश्रेष्ठ चुनाव प्रथाओं के लिए सम्मानित 22 अधिकारियों में से एक हैं। इसके अलावा, उन्होंने कलबुर्गी रोटी को ब्रांड के रूप में प्रचारित करने और क्षेत्र में बाजरा को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए ‘एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड’ भी प्राप्त किया है।
समर्थन में उतरे नेता और अधिकारी
रविकुमार के बयान की कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और मंत्री प्रियंक खरगे ने कड़ी निंदा की। सिद्धारमैया ने इसे “असहनीय” और सामाजिक विद्वेष फैलाने वाला बताया, जबकि शिवकुमार ने इसे सिविल सेवाओं की गरिमा पर हमला करार दिया। प्रियंक खरगे ने इस टिप्पणी को ‘मनुस्मृति विचारधारा’ से प्रेरित बताया और बीजेपी की मानसिकता पर सवाल उठाए।
आईएएस अधिकारियों के संगठन ने भी रविकुमार के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए इसे “आधारहीन और अनुचित” बताया। संगठन ने फौजिया के साथ एकजुटता व्यक्त की और बिना शर्त माफी की मांग की। संगठन ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां न केवल एक समर्पित अधिकारी की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि ड्यूटी के दौरान उत्पीड़न का कारण भी बनती हैं।