नेशनल ब्यूरो(नई दिल्ली
कॉपीराइट को लेकर एएनआई (ANI copyright dispute) और यूट्यूबर्स के विवाद में अब कांग्रेस पार्टी और कई लोग कूद पड़े हैं। उधर, एएनआई ने यूट्यूबर मोहक मंगल, मोहम्मद जुबैर और कुणाल कामरा के खिलाफ कोर्ट का रुख किया है। इस विवाद में वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश के बीच तीखी नोकझोंक हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि जबरन वसूली और छोटे उद्यमों को बंद करने की कोशिश फ्री स्पीच के खिलाफ है। उन्होंने स्मिता प्रकाश से कहा कि अपने कंटेंट का रेट पहले तय करना चाहिए, न कि बाद में बड़ी फिरौती वसूल करनी चाहिए। हफ्ता वसूली ठीक नहीं है।
संजय ने यह जवाब यूट्यूबर मोहक मंगल, मोहम्मद जुबैर और कुणाल कामरा के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर करने पर दिया।
इसमें आरोप लगाया गया है कि एजेंसी पर जबरन वसूली का आरोप लगाने वाला उनका हालिया वीडियो न केवल झूठा है, बल्कि एएनआई की विश्वसनीयता और व्यावसायिक प्रतिष्ठा पर सोचा-समझा हमला है। एएनआई का कहना है कि सोशल मीडिया पर मंगल के वीडियो को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।
पवन खेड़ा ने उठाए कॉपीराइट कानून पर सवाल
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि भारत का कॉपीराइट कानून डिजिटल युग के अनुरूप नहीं बदला है। कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 52 आलोचना, टिप्पणी और समाचार के लिए “न्यायसंगत उपयोग” की अनुमति देता है, लेकिन यह कानून अब भी अस्पष्टताओं में उलझा है। “न्यायसंगत उपयोग” की परिभाषा क्या है? कितनी सामग्री का उपयोग “अत्यधिक” माना जाएगा?
पवन खेड़ा ने कहा कि इस कानून में आखिरी संशोधन यूपीए-2 सरकार ने 2012 में किया था। उसके बाद बीजेपी सरकार ने इस मुद्दे पर न तो कोई पहल की और न ही कोई रुचि दिखाई। “डिजिटल इंडिया” जैसे चकाचौंध वाले नारों को बेचने में सरकार व्यस्त रही, जबकि डिजिटल स्पेस को लोकतांत्रिक बनाने के लिए जरूरी मूलभूत सुधारों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। इसका खामियाजा स्वतंत्र रचनाकारों को भुगतना पड़ रहा है। एक ओर मुनाफाखोर प्लेटफॉर्म भारी-भरकम शुल्क मांगते हैं, तो दूसरी ओर ताकतवर कॉर्पोरेट कंपनियां अस्पष्ट कानूनों के चलते जवाबदेही से बच निकलती हैं।
एएनआई ने कहा : छवि धूमिल करने की कोशिश
अपनी याचिका में एजेंसी ने कहा है कि मंगल ने मुद्रीकरण के लिए अपनी कॉपीराइट वीडियो सामग्री का उपयोग करने की बात स्वीकार की है, लेकिन फिर भी उन्होंने “जानबूझकर भ्रामक और अपमानजनक वीडियो” जारी किया, जिसका उद्देश्य एएनआई और उसके पंजीकृत ट्रेडमार्क की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है।
एएनआई ने अपनी याचिका में कहा है, “आक्षेपित वीडियो में दिए गए बयान स्पष्ट रूप से झूठे हैं।” साथ ही कहा कि मंगल की कहानी न केवल तथ्यों को विकृत करती है, बल्कि एजेंसी को अपनी बौद्धिक संपदा की रक्षा करने के अधिकार के बजाय एक बलपूर्वक संचालक के रूप में पेश करके एएनआई की सेवाओं के वर्तमान और भावी उपयोगकर्ताओं को हतोत्साहित करने का लक्ष्य रखती है। एएनआई ने अपनी याचिका में कहा है कि इन लोगों द्वारा उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और जनता की नजरों में उनकी छवि को कम करने की कोशिश की जा रही है।