रायपुर। नक्सलियों के सबसे बड़े नेता बसवराजू (Basavaraju) की मौत के बाद भाकपा (माओवादी) दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के जारी प्रेस नोट को पुलिस ने बड़ी साजिश बताया है। माओवादी संगठन की तरफ से जारी प्रेस नोट के वायरल होने के बाद बस्तर पुलिस की तरफ से कहा गया कि माओवादियों ने बसवराजू सहित 28 माओवादियोें के मारे जाने की पुष्टि की है। लेकिन, इसके बाद जो बयान दिया है, वह तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। पुलिस ने कहा कि माओवादी कह रहे हैं कि बसवराजू शहीद हुआ है। वह शहीद नहीं बल्कि आतंक और हिंसा के युग का मुख्य सूत्रधार था।
बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि माओवादियों ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया। माओवादी जनभावनाओं को भटकाने का प्रयास कर रहें हैं। माओवादी संगठन की तरफ से जारी प्रेस नोट अधकचरा जानकारियों के साथ जारी की गई, जो भ्रामक और साजिशपूर्ण है। यह एक बिखरती हुए संगठन को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश है। आईजी ने कहा कि नक्सल मुक्त बस्तर का लक्ष्य सरकार का संकल्प है, जिसे सुरक्षा बल पूरा करने में लगे हैं। माओवादी संगठन का अंत निकट और निश्चित है।
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आईजी ने माओवादियों को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि माओवादी कैडरों के पास एकमात्र विकल्प यह है कि वे आत्मसमर्पण करें, हिंसा का रास्ता छोड़ें और समाज की मुख्यधारा में लौटें।
आईजी सुंदरराज ने कहा कि 21 मई 2025 भारत के वामपंथी उग्रवाद विरोधी इतिहास में एक निर्णायक दिन के रूप में याद किया जाएगा। मारे गए बसवराजू, जो कि माओवादी संगठन के सर्वोच्च नेता थे, की मौत से संगठन को केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी गहरा आघात पहुंचा है।
माओवादी बयान में बसवराजू की मौत को ‘बलिदान’ के रूप में पेश किए जाने की आईजी ने आलोचना की। आईजी ने कहा कि यह दशकों की हिंसा को महिमामंडित करने वाला झूठा प्रचार है। बसवराजू कोई शहीद नहीं था, बल्कि वह आतंक और हिंसा के युग का मुख्य सूत्रधार था। उसने हजारों निर्दोष आदिवासियों, महिलाओं और बच्चों की हत्या करवाई, और सैकड़ों सुरक्षाबलों को आईईडी धमाकों और घात लगाकर किए गए हमलों में मौत के घाट उतारा। ऐसे व्यक्ति को ‘जननायक’ के रूप में चित्रित करना न केवल भ्रामक है, बल्कि उन वीरों और नागरिकों का घोर अपमान है जिन्होंने बस्तर की शांति और समृद्धि के लिए अपने जान गवाएं हैं।
आईजी के अनुसार, यह प्रेस नोट माओवादी कैडरों के गिरते मनोबल को संबल देने की विफल कोशिश है। लगातार चलाए जा रहे खुफिया आधारित अभियानों के कारण संगठन टुकड़ों में बिखर चुका है और अब मूलभूत समन्वय बनाए रखने में भी असमर्थ दिख रहा है।
आईजी ने कहा कि भाकपा (माओवादी) संगठन पूरी तरह टूटने की कगार पर है, जहां न तो कोई सक्षम नेतृत्व बचा है और न ही कोई रणनीतिक दिशा। बसवराजू के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं अब बेमानी हैं। उनकी मौत के साथ ही यह आंदोलन अपनी वैचारिक और संचालन क्षमता भी खो चुका है। यह माना जा सकता है कि बसवराजू ही इस अवैध संगठन का अंतिम महासचिव था।