रायपुर। माओवादियों ने आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू (Basavaraju) को फोर्स ने जिंदा पकड़कर मारा है। सीपीआई माओवादी की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की ओर से प्रवक्ता विकल्प ने प्रेस नोट जारी कर यह आरोप लगाया है। माओवादियों के इस आरोप पर फोर्स ने कहा कि कुख्यात माओवादी नेता बसवराजू को मुठभेड़ में मारा गया है।
माओवादियों के प्रवक्ता विकल्प ने एक बयान जारी किया जिसमें 21 मई को अबूझमाड़, जिसे माओवादी माड़ कहते हैं, में हुई मुठभेड़ का ब्यौरा दिया। विकल्प ने कहा कि पिछले 6 महीने में उनकी पार्टी के बहुत से लोग कमजोर हुए और टूटकर पुलिस के मुखबिर बन गए। इनमें बसवराजू की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले सदस्य भी शामिल हैं।

विकल्प का कहना है कि इन लोगों से मिली सूचनाओं के आधार पर फोर्स ने रेकी की और उस टुकड़ी की घेराबंदी की, जिसमें बसवराजू शामिल थे। विकल्प द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि ‘योजना के तहत 17 मई से नारायणपुर और कोंडागांव, डीआरजी वालों का डिप्लॉयमेंट ओरछा की तरफ से शुरू किया गया। 18 मई को दंतेवाड़ा-बीजापुर की डीआरजी, बस्तर फाइटर के जवान अंदर गए (जंगल में घुसे)। 19 मई सुबह 9 बजे तक फोर्स हमारी यूनिट के नजदीक पहुंच गई। अभियान से एक दिन पहले यानी 17 मई को उस यूनिट का एक पीपीसी मेंबर अपनी पत्नी के साथ भाग गया। ये लोग कहां गए, इस बात की जानकारी लेनी है।’
प्रेस नोट में कहा गया कि इस दंपती के भाग जाने के बाद उनके दल ने डेरा बदल दिया था। फिर 19 मई की सुबह पुलिस फोर्स के गांव के नजदीक पहुंच आने की खबर मिलने के बाद उनका दल वहां से निकल जा रहा था। तब सुबह 10 बजे रास्ते में पहली मुठभेड़ हुई। उसके बाद दिनभर 5 बार मुठभेड़ हुईं। इन मुठभेड़ों में किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ।
विकल्प का प्रेस नोट कहता है कि 20 मई को दिनभर बसवराजू की यूनिट पुलिस की घेराबंदी से निकलने की कोशिश करती रही, लेकिन सफल नहीं हुई। 20 मई की रात को बड़ी तादाद में पुलिस बल ने इस यूनिट को नजदीक से घेर लिया और 21 मई की सुबह फोर्स अंतिम ऑपरेशन को अंजाम दिया। बसवराजू की यूनिट में 35 माओवादी थे, जिन्हें पिछले 60 घंटों से खाने पीने को कुछ नहीं मिला। विकल्प ने कहा कि उनके साथी अपने नेता बसवराजू को सुरक्षित रखते हुए फोर्स से लड़ रहे थे। उनकी एक टीम फोर्स का घेरा तोड़ने में सफल भी हुई। ये 7 लोग थे, जो सुरक्षित बच गए। लेकिन इस ऑपरेशन में इनके 28 सदस्य मारे गए। विकल्प का आरोप है कि उनके महासचिव बसवराजू को फोर्स ने जिंदा पकड़ा था और बाद में मारा। हालाकि फोर्स की ओर से यह पहले ही कहा गया है कि बसवराजू मुठभेड़ में ही मारे गए। विकल्प ने बताया कि 27 शव पुलिस के कब्जे में है और एक माओवादी का निलेश का शव उनके संगठन पीएलजीए को मिला था। इस तरह अब इस ऑपरेशन में मारे गए कुल माओवादियों की संख्या 28 हुई। विकल्प ने यह भी कहा कि लौटते समय इंदिरावती नदी के किनारे उनके द्वारा लगाई गई आईईडी के विस्फोट में फोर्स का एक जवान रमेश हेमला की भी मौत हुई, जो कुछ साल पहले उसी इलाके में माओवादी संगठन की तरफ से एलओएस कमांडर के रूप में काम कर रहे थे।
विकल्प का कहना है कि हमसे सवाल किया जा रहा है कि अपने नेता की सुरक्षा को लेकर हमने क्या किया? इसका एक लाइन में जवाब है – ‘हां, हम विफल हो गए।’ प्रेस नोट कहता है कि जनवरी तक बसवराजू की यूनिट में 60 माओवादी थे, लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों में आसान मोबिलिटी के लिए इस संख्या को घटाया गया। इस यूनिट से कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद बसवराजू की यूनिट में कुल 35 सदस्य बचे थे। विकल्प का कहना है कि उनकी पार्टी को इस बात का अनुमान था कि फोर्स की ओर से अप्रैल और मई माह में बड़े अभियान होंगे। इसलिए बसवराजू से कहा गया था कि वे सुरक्षित स्थान पर रहें। लेकिन, बसवराजू इसके लिए तैयार नहीं हुए थे।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस ऐलान के बाद कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का सफाया हो जाएगा। सुरक्षा बलों ने देश के नक्सल प्रभावित इलाकों खास तौर पर बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ तगड़ा अभियान छेड़ रखा है। सुरक्षा बलों को लगातार जबरदस्त सफलता मिल रही है। बड़ी तादाद में नक्सलियों को मार गिराया गया। इनमें डीआरजी जिस रणनीति और बहादुरी के साथ सशस्त्र माओवादियों का मुकाबला कर रही है और उन पर हमले कर रही है, उसे खास तौर पर उल्लेखनीय माना जा रहा है। बता दें कि डीआरजी में शामिल ज्यादातर जवान दरअसल आत्मसमर्पित माओवादी ही हैं। वे न केवल माओवादी हथकंडों से वाकिफ हैं बल्कि अबूझमाड़ से लेकर पूरे बस्तर के चप्पे चप्पे से उतना ही परिचित हैं, जितना कि माओवादी। यही डीआरजी आज माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में फोर्स की बड़ी ताकत है।
पुलिस ने कहा – बसवराजू हजारों आदिवासी बच्चों के भविष्य को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार
बसवराजू को जिंदा पकड़कर मारने के विकल्प के ताजा आरोपों पर पुलिस ने कहा है कि कुख्यात माओवादी नेता बसवराजू को मुठभेड़ में मारा गया है। पुलिस की तरफ से प्रेस नोट जारी किया गया, जिसमें लिखा गया कि अबूझमाड़ के जंगलों में 21 मई को डीआरजी की टीमों की मुठभेड़ में अवैध और प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) को एक बड़ा झटका देते हुए इसके महासचिव और शीर्ष नेता नामबाला केशव राव उर्फ बसवराजु को मार गिराया गया। बसवराजू ने हजारों निर्दोष आदिवासियों और बहादुर जवानों की हत्या करवाई थी। उसका अंत अबूझमाड़ के जंगलों में हुआ। यह कुख्यात माओवादी कैडर बसवराजू देश के मोस्ट वांटेड अपराधियों में से एक था। 10 नवंबर 2018 से सीपीआई (माओवादी) का महासचिव बनाया गया था। इससे पहले वह माओवादी केंद्रीय सैन्य कमेटी का प्रमुख था।
पुलिस की प्रेस नोट में कहा गया कि बसवराजू हजारों निर्दोष आदिवासी बच्चों के भविष्य को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार था, जिन्हें उनके असहाय माता-पिता से जबरन अलग कर संगठन में भर्ती किया गया। वह और उसके अवैध, अमानवीय सहयोगी बस्तर की दो पीढ़ियों की शांति और समृद्धि छीनने के दोषी हैं। अब तक, जांच टीम ने बसवराजू के संलिप्तता वाले 258 से अधिक आपराधिक मामलों की छानबीन की जा चुकी है। नारायणपुर पुलिस इस मामले में आगे की वैधानिक कार्रवाई एवं जांच प्रक्रिया कर रही है। अबूझमाड़ मुठभेड़ के संबंध में सीपीआई (माओवादी) ने प्रेस नोट में स्वीकार किया है कि इस गोलीबारी में उनके महासचिव बसवराजू सहित कुल 28 कैडर मारे गए। प्रेस नोट में यह अवैध और प्रतिबंधित संगठन अपने समर्थकों को देशभर में रैलियां और सभाएं आयोजित कर, अपने क्रूर और भयावह नेतृत्व की मृत्यु को महिमामंडित करने के लिए भड़काने की कोशिश कर रहा है। वहीं नेतृत्व जो हजारों निर्दोष नागरिकों, आदिवासियों, महिलाओं, बच्चों और सुरक्षाबलों की मौत का जिम्मेदार रहा है। पुलिस और खुफिया एजेंसियां भूमिगत माओवादी कैडरों के साथ-साथ उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही हैं।